जयपुर

इजिप्ट और जयपुर का वातावरण 1 जैसा , ‘प्राचीन ममी’को बेसमेंट में रखना थी भयंकर भूल

ममी को अल्बर्ट हॉल के बेसमेंट में शिफ्ट करने पर उठ रहे सवाल, विभाग अधिकारियों को बचाने में जुटा

धरम सैनी
जयपुर। राजस्थान के केंद्रीय संग्रहालय अल्बर्ट हॉल जयपुर में पानी भरने और बेसमेंट में बने स्टोर में रखी प्राचीन कलाकृतियों में से अधिकांश के बर्बाद होने के बाद कहा जा रहा है कि अल्बर्ट हॉल में पुरातत्व अधिकारियो ने ही ‘प्राचीन ममी’ की सुरक्षा को खतरे में डाला दिया था। पानी भरने के बाद बमुश्किल ममी को बचाया जा सका, लेकिन प्राचीन ममी को बेसमेंट में ले जाने के निर्णय पर सबसे ज्यादा बवाल मचा हुआ है।

आमेर डेवलपमेंट अथॉरिटी (एडमा) के सूत्रों के अनुसार अल्बर्ट हॉल में पानी भरने के बाद प्रमुख शासन सचिव मुग्धा सिन्हा ने एडमा कार्यालय में पानी से हुए नुकसान की समीक्षा के लिए अधिकारियों की बैठक ली थी। इसमें एडमा और पुरातत्व विभाग के अधिकारी शामिल हुए। कहा जा रहा है कि बैठक में सिन्हा ने सभी से जानकारी ली थी कि प्राचीन ममी को बेसमेंट में ले जाने का निर्णय किसका था।

पुरातत्व विभाग के सूत्रों के अनुसार अल्बर्ट हॉल के अधीक्षक और तत्कालीन निदेशक को इस गलत निर्णय का जिम्मेदार बताया जा रहा है। अल्बर्ट हॉल के अधीक्षक राकेश छोलक तो बेसमेंट में ममी गैलरी तैयार कराने के काम को अपने कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि बताते आए हैं।

कुछ अन्य कार्यों को भी वह अपनी उपलब्धियों में शामिल करते रहे है, लेकिन अब अल्बर्ट हॉल में उनके द्वारा कराए जा रहे सभी कार्यों पर सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं। उल्लेखनीय है कि अल्बर्ट हॉल अधीक्षक भी विभाग के ऐसे अधिकारियों में शामिल हैं, जो लंबे समय से एक ही जगह पर टिके हैं।

museum

ममी विशेषज्ञों की राय दरकिनार कर की शिफ्टिंग

विभागीय सूत्रों का कहना है कि अल्बर्ट हॉल में ममी विशेषज्ञों की राय को दरकिनार कर बेसमेंट में शिफ्ट किया गया था। वर्ष 2011 में इजिप्ट के ममी विशेषज्ञ अल्बर्ट हॉल में रखी प्राचीन ममी के संरक्षण के लिए आए थे। जानकारी में आया है कि विशेषज्ञों के सामने ही पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने ममी को दूसरी जगह शिफ्ट करने की बात उठाई थी, लेकिन तब ममी विशेषज्ञों ने अधिकारियों को साफ कर दिया था कि ममी को कभी भी ऐसी जगह पर नहीं शिफ्ट किया जाए, जहां नमी की मात्रा अधिक हो।

इजिप्ट और जयपुर का वातावरण एक समान, शिफ्टिंग गलत

जानकारी में आया है कि इजिप्ट के विशेषज्ञों ने उस समय कहा था कि इजिप्ट और जयपुर करीब-करीब एक ही अक्षांक्ष पर स्थित हैं और दोनों जगहों के वातावरण में भी समानता है, इसलिए ममी को नेचुरल वातावरण में ही रखा जाए तो अच्छा रहेगा। ममी को नमीयुक्त वातावरण में रखने से उसमें नुकसान की संभावना बढ़ेगी। साथ ही ममी को सुरक्षित रखने के लिए ऑक्सिजन फ्री शोकेस में रखा जाना बेहतर होगा। इसके बावजूद पुरातत्व अधिकारियों ने चूने से बनी इमारत के बेसमेंट में ममी को प्रदर्शित कर दिया।

बेसमेंट से निकालने के बाद इन्हीं पानी से भीगी फाइलों के साथ एक कमरे में रखा गया ममी को

बेसमेंट में नमी ज्यादा

म्युजियोलॉजिस्टों का कहना है कि पुरा सामग्रियों की उम्र पर वातावरण का बेहद असर पड़ता है। किसी भी इमारत के बेसमेंट में उस इमारत के अन्य तलों के मुकाबले नमी हमेशा ज्यादा रहती है। चूने से बनी इमारतों के बेसमेंट में नमी की समस्या काफी ज्यादा होती है, क्योंकि चूने में से जमीन का पानी आसानी से पर होकर अंदर नमी बढ़ा देता है।

फिर बेसमेंट में सनलाइन नहीं पहुंचना भी गलत प्रभाव डालता है, ऐसे में ममी को बेसमेंट में शिफ्ट करना और पुरा सामग्रियों को बेसमेंट में बने गोदाम में रखना पुरातत्व विभाग की भयंकर भूल है, जिसे माफ नहीं किया जा सकता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि इस नुकसान के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई कब होती है।

कहीं कमीशनबाजी का खेल तो नहीं

विभागीय सूत्र अंदेशा जता रहे हैं कि ममी की शिफ्टिंग के पीछे कहीं कमीशनबाजी का खेल तो नहीं है। विगत डेढ़ दशक में पुरातत्व विभाग पर पैसों की बरसात होती रही है। पर्यटन विकास के लिए जहां केंद्र से उन्हें अरबों रुपए मिले, वहीं इसी दौरान प्रदेश में पर्यटकों की संख्या में अकल्पनीय बढ़ोतरी हुई। इस पैसे को ठिकाने लगाने के लिए पिछले एक दशक से स्मारकों और संग्रहालयों को इंटरनेशनल लेवल का बनाने के लिए बेवजह तोड़फोड़ करने और मरम्मत करने का बड़ा घोटाला चल रहा है।

विभाग ममी को इस लिए शिफ्ट करना चाहता था कि अधिकांश पर्यटक संग्रहालय के भूतल पर घूमकर ही बाहर निकल जाते थे, कम ही पर्यटक पर्यटक प्रथम तल पर जाते थे। ऐसे में यदि शिफ्टिंग करनी थी तो ममी को भूतल पर रखा जा सकता था और इस कार्य में कोई ज्यादा खर्च नहीं होता, लेकिन अधिकारियों ने बेसमेंट में ममी गैलरी तैयार कराई और अच्छा-खासा बजट खर्च किया।

वहीं संग्रहालय को एयरकंडिशंड करने के लिए भी इसकी दीवारों को बड़ी-बड़ी मशीनों से छेद दिया गया, जो इस प्राचीन और खूबसूरत इमारत के लिए नुकसानदेह है। कालीन गैलरी में कराए गए डिस्प्ले कार्य पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं और कहा जा रहा है कि कालीनों को आई कॉन्टेक्ट से दूर कर दिया गया। इन कार्यों में करोड़ों रुपए खर्च किए गए।

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