जयपुर

नगरीय क्षेत्र में शामिल राजस्व ग्रामों की कृषि भूमि पर निर्माण के पट्टे दिये जाने में रियायत

जयपुर। नगरीय विकास, स्वायत्त शासन एवं आवासन मंत्री शांति धारीवाल ने नगरीय क्षेत्र में सम्मिलित राजस्व ग्रामों की ऐसी समस्त कृषि भूमि जिन पर मास्टर प्लान अधिसूचित किये जाने से पूर्व अथवा नगर पालिका गठन से पूर्व एवं 31 दिसम्बर, 2021 से पूर्व अकृषि उपयोग होकर निर्माण हो चुका है, को राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम 1956, राजस्थान नगरीय क्षेत्र नियम, 2012 के तहत कार्यवाही की जाकर भूमि निकाय के नाम दर्ज किये जाने और उसकी किस्म आबादी दर्ज किये जाने, से संबंधित पत्रावली पर स्वीकृति प्रदान कर दी है।

धारीवाल ने बताया कि नगरीय क्षेत्र में सम्मिलित राजस्व ग्रामों की ऐसी समस्त कृषि भूमि जिन पर मास्टर प्लान अधिसूचित किये जाने से पूर्व अथवा नगर पालिका गठन से पूर्व एवं 31 दिसम्बर, 2021 से पूर्व अकृषि उपयोग होकर निर्माण हो चुका है, को राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 90-ए (8) सपठित राजस्थान नगरीय क्षेत्र (कृषि भूमि का गैर कृषिक प्रयोजन के लिए उपयोग की अनुज्ञा और आवंटन) नियम, 2012 के नियम-13 (10 मई, 2022 संशोधित) के तहत कार्यवाही की जाकर भूमि निकाय के नाम दर्ज करने और उसकी किस्म आबादी दर्ज किये जाने के निर्देश दिये गये है।

ऐसे भूखण्डों/निर्माणों को मास्टर प्लान में भिन्न भू-उपयोग दर्शाये जाने पर भी कमिटमेन्ट मानते हुए अनुज्ञेय मानकर धारा 90-ए(8) की कार्यवाही की जायेगी एवं संबंधित स्थानीय निकाय द्वारा नगर पालिका अधिनियम, 1959 की धारा 71, जयपुर विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1982 की धारा 54 – बी, अजमेर/जोधपुर विकास प्राधिकरण अधिनियम की धारा 49-बी एवं नगर सुधार अधिनियम की धारा 60(4) (जो भी लागू हो) सुओ मोटो सर्वे कराकर 60 प्रतिशत से अधिक (सघन आबादी) निर्माण है, तो न्यूनतम 20 फीट सड़के रखते हुये और 60 प्रतिशत से कम निर्माण हो, तो 30 फीट की सड़के रखते हुये बसावट के अनुसार शुल्क व लीज लेकर फ्री होल्ड के पट्टे दिये जा सकेंगे।

स्थानीय एम्पावर्ड समिति करेगी शहर की सड़कों के मार्गाधिकार का पुनः निर्धारण
प्रशासन शहरों के संग अभियान-2021 के दौरान शहरों के अन्दर के राष्ट्रीय/राज्य राजमार्ग व अन्य सड़कों के मार्गाधिकार का पुनः निर्धारण स्थानीय एम्पावर्ड समिति द्वारा किया जाएगा। जिससे अधिक से अधिक लोगों को लाभान्वित किया जा सके। यह आदेश नगरीय विकास, स्वायत्त शासन एवं आवासन मंत्री शांति धारीवाल ने दिए है।

धारीवाल ने बताया कि कई शहरों में राष्ट्रीय/राज्य राजमार्ग के बाई पास बन गये हैं जिससे शहर के अन्दर के राष्ट्रीय/राज्य राजमार्ग उस शहर की अन्य सड़कों की तरह नगरीय सड़कों की श्रेणी में शामिल हो गये है और अब ये राष्ट्रीय/राज्य राजमार्ग के रूप में नहीं रहे हैं। ऐसी अन्दर की सड़कों की चैड़ाई राष्ट्रीय/राज्य राजमार्ग के आधार पर या उससे अधिक मास्टर प्लान में रखी गई है जबकि उनके दानों तरफ निर्माण हो गया है। ऐसी स्थिति में इन सडकों के मार्गाधिकार का पुनः निर्धारण कर पट्टे दिये जाने के लिए सड़कों के मार्गाधिकार का पुनः निर्धारण स्थानीय एम्पावर्ड समिति द्वारा किया जायेगा। पुनः निर्धारित मार्गाधिकार के अनुसार ही योजनाओं/भूखण्डों का अनुमोदन/नियमन किया जा सकेगा। जिन काॅलोनियों का पूर्व में नियमन राष्ट्रीय/राज्य राजमार्ग की सीमा को छोड़ते हुए किया गया है, जिससे कई भूखण्डों का नियमन नहीं हो सका है या आंशिक भाग का नियमन हुआ है तो पुनः अन्य निर्धारित मार्गाधिकार के अनुसार भूखण्डों के पट्टे दिये जा सकेंगे या पट्टों के क्षेत्रफल में संशोधन किया जा सकेगा।

उन्होनें बताया कि शहर के अन्दर मास्टर प्लान की अन्य सडकें जिनके दोनों ओर 80 प्रतिशत से अधिक निर्माण हो चुका है एवं मास्टर प्लान व मौके पर सड़क की चैडाई में भिन्नता है तो मौके के मध्यनजर सडकों की चैड़ाई का पुनः मार्गाधिकार निर्धारण स्थानीय एम्पावर्ड समिति द्वारा किया जाकर पुनः निर्धारित मार्गाधिकार के अनुसार पट्टे दिये जाएंगें। नगरीय योग्य क्षेत्र में विद्यमान सड़कों पर स्थित कृषि भूमि पर भूखण्डों का निर्माण/सृजन होकर 31 दिसम्बर, 2021 से पूर्व अकृषि उपयोग हो चुका है वहां विद्यमान मुख्य सड़क के मध्य से सड़क क्षेत्र की गणना सुविधा क्षेत्र में कर भूखण्डों के पट्टे दिये जा सकेंगें।

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