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राजे ने राजस्थान में कांग्रेस सरकारों द्वारा बनाई गई योजनाओं को रोकने और बंद करने का काम किया : गहलोत

कांग्रेस के ईआरसीपी परियोजना में बोले गहलोत, राजस्थान सरकार ईआरसीपी परियोजना को बंद नहीं करेगी

जयपुर। पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना से लाभान्वित होने वाले 13 जिलों के प्रमुख कांग्रेसजनों का सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजे सरकार पर कांग्रेस द्वारा बनाई गई योजनाओं को रोकने और बंद करने का आरोप दोहराया और कहा कि परियोजनाओं को रोकने से उनकी लागत बढ़ रही है।

सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए गहलोत ने कहा कि आज का अधिवेशन परिपाटी से हटकर है क्योंकि इस सम्मेलन में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को लेकर चर्चा की जाएगी। पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना प्रदेश की महत्वकांक्षी परियोजना है जिसकी डीपीआर केन्द्र सरकार के उपक्रम वेप्फॉस लिमिटेड द्वारा तैयार की गई है। 37200 करोड़ की लागत से बनने वाली इस परियोजना को वर्ष 2016-2017 में भाजपा की वसुंधरा राजे सरकार ने बनाया था।

उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राजस्थान में कांग्रेस सरकारों द्वारा बनाई गई योजनाओं को रोकने अथवा बंद करने का कार्य किया था। राजे सरकार ने रिफाईनरी जैसी महत्वपूर्ण योजना को चार साल तक ठण्डे बस्ते में रखा। जब कांग्रेस नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने आन्दोलन चलाकर दबाव बनाया तो प्रधानमंत्री को बुलाकर रिफाईनरी का पुन: शिलान्यास कराने का कार्यक्रम घोषित किया, किन्तु प्रोजेक्ट में देरी होने के कारण 40 हजार करोड़ की परियोजना 70 हजार करोड़ रूपये की लागत की हो गई है।

गहलोत ने कहा कि आमजनता को अभियान से जोडक़र केन्द्र सरकार पर ईआरसीपी परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलाने हेतु दबाव बनाना पड़ेगा, क्योंकि यदि ईआरसीपी परियोजना में देरी हो गई तो इसकी लागत कई गुना बढ़ जाएगी। ईआरसीपी जैसी महत्वकांक्षी परियोजना पर राजनीति नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह परियोजना 13 जिलों के लोगों को भविष्य में पेयजल प्रदान करने के लिये है। उन्होंने कहा कि षडय़ंत्रपूर्वक दौसा जिले में अफवाह फैला दी गई कि ईआरसीपी परियोजना से दौसा का नाम हटा दिया गया है जबकि दौसा जिले एवं ईसरदा बांध में पानी लाने में यह परियोजना पर काम हो रहा है।

गहलोत ने कहा कि राज्य किसी भी परियोजना के लिये अपने प्रदेश के कैचमेंट से प्राप्त पानी एवं दूसरे राज्य के कैचमेंट से प्राप्त पानी का प्रयोग इस शर्त के साथ कर सकते हैं यदि परियोजना में आने वाले बांध एवं बैराजों का डूब क्षेत्र दूसरे राज्य की सीमा में नहीं आता हो। उन्होंने कहा कि इस परियोजना के तहत् किसी दूसरे प्रदेश की भूमि हमारे द्वारा निर्मित बांध के डूब क्षेत्र में नहीं आती है। मध्यप्रदेश द्वारा पार्वती नदी की सहायक नदी नेवज पर मोहनपुरा बांध एवं कालीसिंध नदी पर कुंडालिया बांध निर्मित कर 265000 हैक्टेयर सिंचाई क्षेत्र 2017 में विकसित कर लिया तथा बांधों के निर्माण के पश्चात् 2017 में एनओसी राजस्थान से ली। ईआरसीपी परियोजना केन्द्रीय जल आयोग की वर्ष 2010 की गाईडलाईन्स के अनुसार ही तैयार की गई है। उन्होंने 7 जुलाई, 2018 को जयपुर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिये गये भाषण को पढक़र सुनाया, साथ ही दिनांक 6 अक्टूबर, 2018 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अजमेर में की गई घोषणा को भी पढ़ा।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि ईआरसीपी के तकनीकी पहलूओं का अवलोकन किया जा चुका है तथा संवेदनशीलता एवं सकारत्मकता के साथ परियोजना का निर्णय लिया जायेगा। जयपुर में आयोजित जल शक्ति मंत्रालय की बैठक में राजस्थान के जलदाय मंत्री डॉ. महेश जोशी ने जब केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री को प्रधानमंत्री द्वारा किये गये वादे की याद दिलाई तो केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री ने राजस्थान सरकार के मंत्री को रिकार्ड चेक करने का कहते हुए प्रधानमंत्री मोदी द्वारा ऐसा कोई वक्तव्य नहीं देने की बात कही। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री ने जयपुर तथा अजमेर में आयोजित प्रधानमंत्री मोदी की रैली के वीडियो भेजने की बात कहकर कहा था कि यदि प्रधानमंत्री मोदी ने ईआरसीपी पर एक शब्द भी बोला हो तो वे राजनीति से सन्यास ले लेंगे अथवा राज्य के जलदाय मंत्री एवं मुख्यमंत्री सन्यास लें। केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री ने तो आज तक कोई वीडियो नहीं भेजा, किन्तु मोदी की उक्त दोनों रैलियों के वीडियो केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री को दिखा दिये गये हैं। मोदी की सभा में मौजूद उनके मंत्री प्रधानमंत्री द्वारा कही गई बात को ही अनसुना कर रहे हैं अथवा ध्यान नहीं दे रहे हैं, यह आश्चर्यजनक घटना है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में केन्द्र ने कैनबेतवा राष्ट्रीय परियोजना घोषित कर दी, किन्तु राजस्थान के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है। लोकतंत्र में जनता ही सर्वोपरि होती है, 25 सांसद राजस्थान से भाजपा के जीते हैं इसलिये ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा मिलना राजस्थान के प्रदेशवासियों का अधिकार है। लोकतंत्र में विरोध करने का भी एक तरीका होता है, जनहित की परियोजनाओं में व्यवधान उत्पन्न करना जनता के अधिकारों का हनन् है। राजस्थान की जनता की आवाज केन्द्र सरकार को सुननी पड़ेगी क्योंकि शीघ्र ही चुनाव आ रहे हैं।

गहलोत ने घोषणा की कि राजस्थान सरकार पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का काम बंद नहीं करेगी, यदि केन्द्र सरकार द्वारा सहयोग नहीं किया गया तो भी राजस्थान सरकार इस परियोजना को पूर्ण करेगी। केन्द्र सरकार द्वारा विपक्षी नेताओं पर दबाव बनाने हेतु संवैधानिक संस्थाओं का दुरूपयोग किया जा रहा है। केन्द्र सरकार चाहे ईडी, सीआईडी, आईटी दबाव बनाने के लिये भेज दे किन्तु वे डरने वाले नहीं है तथा यह परियोजना पूर्ण होकर रहेगी। इस परियोजना को केन्द्रीय परियोजना का दर्जा दिलवाने के लिये विधानसभा में पक्ष एवं प्रतिपक्ष को साथ मिलकर प्रधानमंत्री के पास जाकर बात करने का प्रस्ताव भी दिया गया था किन्तु भाजपा की कथनी और करनी में फर्क है।

उन्होंने कहा कि उदयपुर जैसी भयावह घटना के घटित होने पर उन्होंने नेता प्रतिपक्ष एवं भाजपा प्रदेशाध्यक्ष को सरकार के साथ शांति बहाली एवं शांति कायम रखने हेतु साथ मिलकर कार्य करने का प्रस्ताव दिया था किन्तु भाजपा नेता ऐसे जघन्य हत्याकाण्ड होने के बावजूद 7 दिन के लिये हैदराबाद चले गये, जबकि सरकार ने तो अपराधियों को पकडऩे से लेकर अपने सभी कर्तव्यों की पूर्ति की। देश में शांति एवं भाईचारा बनाये रखने की अपील करने हेतु प्रधानमंत्री से मांग की जाती है, किन्तु देश के प्रधानमंत्री अपने ही देशवासियों से अपील नहीं कर रहे हैं।

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