जयपुर

‘विश्व के गांधी’ व्याख्यान एवं प्रतिमा का अनावरण

गांधीजी के सिद्धांतों को युवा पीढ़ी तक पहुंचाना जरूरी : गहलोत

जयपुर। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कहा कि देश में भाईचारे, प्रेम, सौहार्द तथा सामाजिक समरसता की भावना को मजबूत बनाए रखने के लिए जरूरी है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचार जन-जन तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि बापू के सिद्धांतों को युवा पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए राज्य सरकार काम कर रही है।

गहलोत रविवार को शहीद दिवस के अवसर पर वीसी के माध्यम से ‘विश्व के गांधी’ विषय पर व्याख्यान तथा झुंझुनूं जिला कलक्ट्रेट परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि दुनिया में आतंकवाद, हिंसा, कट्टरता तथा परस्पर अविश्वास का जो माहौल बना हुआ है, उसमें गांधी जी के सिद्धान्त हमें सही राह दिखा सकते हैं। देश की आजादी के संघर्ष, गांधीजी, प. नेहरू, मौलाना आजाद, सरदार पटेल, गोपाल कृष्ण गोखले, डॉ. अम्बेडकर जैसे महान नेताओं एवं उनके जीवन आदर्शों के बारे में हमारी युवाशक्ति को जरूर पढ़ना चाहिए। तभी वे इतिहास को जानेंगे और उन्हें कोई भ्रमित नहीं कर सकेगा। गांधीजी की विचारधारा ही हिंसा, नफरत और आतंक से उपजी समस्याओं का कारगर हल है।

मार्टिन लूथर किंग जूनियर, अल्बर्ट आइंस्टीन तथा नेल्सन मंडेला जैसे विश्व के प्रमुख महापुरूषों को गांधीजी ने अपने विचारों एवं कृतित्व से प्रभावित किया। गांधीजी के अहिंसा के सिद्धान्त को संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी मान्यता दी। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी के प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र ने प्रस्ताव पारित किया और बापू के जन्म दिवस को ‘अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

गहलोत ने कहा कि महात्मा गांधी की शिक्षाओं को आमजन तक पहुंचाने के लिए जयपुर में महात्मा गांधी संस्थान और गांधी दर्शन म्यूजियम बनाया जा रहा है। महात्मा गांधी की शिक्षा को युवा आत्मसात कर गवर्नेंस तथा सामाजिक कार्यों में भूमिका निभा सकें। इस उद्देश्य से महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ गवर्नेंस एण्ड सोशियल साइंसेज की स्थापना की गई है। राजस्थान पहला प्रदेश है जहां शांति एवं अहिंसा निदेशालय की स्थापना की गई है।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर राजस्थान संस्कृत अकादमी की ओर से तैयार किए गए गांधीजी के प्रिय भजन ‘वैष्णव जन तो तेने कहिए‘ के संस्कृत-हिन्दी संस्करण का लोकार्पण किया तथा अकादमी की त्रैमासिक पत्रिका ‘स्वरमंगला’ का विमोचन भी किया। कार्यक्रम में प्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक स्व. डॉ. एसएन सुब्बाराव के गांधीजी पर आधारित अन्तिम आधिकारिक व्याख्यान (रिकॉर्डेड) का भी प्रसारण किया गया।

गांधी शांति प्रतिष्ठान नई दिल्ली के अध्यक्ष कुमार प्रशांत ने कहा कि गांधीजी सामाजिक समानता के अग्रदूत होने के साथ ही सच्चे प्रकृति पे्रमी तथा पर्यावरणविद भी थे। उनका मानना था कि प्रकृति की कीमत पर होने वाला विकास हमें नहीं चाहिए। संसाधनों के कम से कम उपयोग से होने वाले विकास को ही वे सच्चा एवं टिकाऊ विकास मानते थे। आज जबकि विश्व में संसाधनों पर नियन्त्रण करने की जंग छिड़ी है तो ऎसे वक्त में उनकी यह सीख हमें समानता पर आधारित विश्व की स्थापना के लिए बड़ी प्रेरणा दे सकती है।

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