जयपुर

शहरी सरकार बनते ही शुरू हुआ रार

दोनों निगमों के सीईओ ने बिना मेयर की अनुमति के किए करोड़ों के भुगतान, मेयर बोली मुझसे सहमति नहीं ली

धरम सैनी

जयपुर। नगर निगम हैरिटेज और ग्रेटर में शहरी सरकार के अस्तित्व में आने के बावजूद अधिकारियों की मनमानी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। जानकारी में आया है कि दोनों निगमों के सीईओ ने पिछले दो दिनों में निगम के ठेकेदारों को करोड़ों का भुगतान कर दिया और इसकी भनक महापौर तक को नहीं लगने दी। जबकि नियमानुसार उन्हें इतना भुगतान बिना महापौर की सहमति के करने का अधिकार ही नहीं है।

नगर निगम में हर वर्ष दीपावली से पूर्व ठेकेदारों को भुगतान किया जाता है। इस बार भी दीपावली से पूर्व नगर निगम ग्रेटर और हैरिटेज में 300 से ज्यादा सिविल, गैराज, उद्यान शाखा के ठेकेदारों को पांच-पांच लाख रुपए का भुगतान किया गया है। सूत्र बताते हैं कि ग्रेटर और हैरिटेज में करीब 10-10 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है।

इस भुगतान में समस्या यह खड़ी हो रही है कि भुगतान पिछले दो दिनों में किया गया है, जबकि दोनों निगमों में 10 नवंबर को ही दोनों महापौर शपथ ले चुकी थी और शहरी सरकारें अस्तित्व में आ चुकी थी। नियमानुसार सीईओ को अपने स्तर पर एक करोड़ रुपए तक के भुगतान करने का अधिकार है। यदि उससे ऊपर का भुगतान है तो इसके लिए महापौर की सहमति लेनी जरूरी होती है।

गलत भुगतान महापौर के अधिकारों को चुनौति
इन भुगतानों में महापौर के मौजूद रहते हुए किसी भी सीईओ ने उनसे अनुमति लेने की जहमत नहीं उठाई और अपने स्तर पर ही ठेकेदारों को भुगतान कर दिया। अब दोनों सीईओ इस मामले को दबाने में जुटे हैं। नगर निगम के पूर्व चेयरमैन अनिल शर्मा का इस मामले में कहना है कि नियमानुसार यदि भुगतान की एक ही फाइल पास हुई है और भुगतान एक करोड़ रुपए से अधिक का है कि तो महापौर की उस भुगतान पर सहमति जरूरी होती है। शपथ ग्रहण के साथ ही दोनों निगमों में महापौर का कार्यकाल शुरू हो चुका है। महापौर के अधिकार के प्रशासनिक कार्य मेयर की सहमति से ही हो सकते हैं। अगर अधिकारियों ने बिना सहमति के भुगतान किया है तो वह गलत किया है।

मुझसे सहमति नहीं ली गई
ठेकेदारों को भुगतान के संबंध में जब हमने हैरिटेज की महापौर मुनेश गुर्जर से जानकारी चाही तो उनका कहना था कि इस भुगतान की उन्हें जानकारी नहीं है और न ही सीईओ ने इसके संबंध में उनसे अनुमति ली है। वह इस मामले को दिखवाएंगी कि बिना उनकी अनुमति के सीईओ ने अधिकारों से बाहर जाकर कैसे भुगतान कर दिया। इस संबंध में ग्रेटर की महापौर से भी जानकारी चाही गई, लेकिन वह फोन पर उपलब्ध नहीं हो पाई।

महापौर ने जवाइन नहीं किया है अभी तक
इस भुगतान पर नगर निगम ग्रेटर के सीईओ का कहना है कि करीब 150 से अधिक ठेकेदारों को 5-5 लाख का भुगतान किया गया है। महापौर से सहमति के सवाल पर उनका कहना था कि महापौर ने अभी तक ज्वाइन नहीं किया है। दोनों निगमों के सीईओ ने शामिल में ठेकेदारों को भुगतान किया है।

एफए से जानकारी लो
नगर निगम हैरिटेज के सीईओ लोकबंधु ने माना कि ठेकेदारों को भुगतान किया गया है, लेकिन उनको इस भुगतान की डिटेल पता नहीं है। डिटेल की जानकारी फाइनेंशियल एडवाइजर से ली जा सकती है।

भुगतान कम किया
नगर निगम के सिविल ठेकेदार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष रघुवीर शर्मा का कहना है कि इस भुगतान को लेकर ठेकेदारों में भारी रोष है। निगम ने 18 महीनों बाद कुछ भुगतान किया है, वह भी आधा-अधूरा। दीपावली जैसे बड़े त्योहार पर निगम की ओर से हर वर्ष 10-10 लाख रुपए का भुगतान किया जाता है, जबकि इस वर्ष 5-5 लाख का ही भुगतान किया जा रहा है, यह भुगतान तो मजदूरों का वेतन चुकाने के लिए भी पूरा नहीं पड़ेगा। नगर निगम में ठेकेदारों का वर्तमान में 300 करोड़ रुपए से अधिक का बकाया है। ऐसे में यह भुगतान ऊंट के मुंह में जीरा है।

Related posts

सहकारी समितियों में प्रशासक नियुक्ति के आदेश पर रोक

admin

गुर्जर आंदोलन समाप्त, सरकार ने समाज की ज्यादातर मांगे मानीं

admin

वर्ल्ड टेस्ट चैंपियन न्यूजीलैंड (New Zealand) को भारत (India) ने दूसरे टेस्ट (second test) में चटाई धूल

admin