जयपुरराजनीति

नगर निगम (Municipal Corporation) जयपुर ग्रेटर (Jaipur Greater) महापौर (Mayor) से नाराज भाजपा पार्षद (BJP councilors) दो गुटों में बंटे (divided)

एक गुट ने संगठन को बताए बिना होटल में बैठक बुलाई, बाद में पहुंचे संगठन के पास

भाजपा के गढ़ कहलाने वाले जयपुर में क्या भाजपा पार्षद (BJP councilors) दल एक बार फिर टूट की ओर अग्रसर हो रहा है? यह सवाल सियासी हलकों में एक बार फिर तब तब उठा जबकि नगर निगम (Municipal Corporation) जयपुर ग्रेटर (Jaipur Greater) के 50 से अधिक पार्षदों ने बिना संगठन के संज्ञान में लाए एक होटल में बैठक की और उसके बाद वह कार्यकारी महापौर (Mayor) की शिकायत लेकर संगठन के पास पहुंचे।

मंगलवार को नगर निगम ग्रेटर के 50 से अधिक पार्षदों ने एक होटल में बैठक आयोजित की। बताया जा रहा है कि महापौर पद की एक दावेदार महिला पार्षद की अगुआई में भोज के बहाने यह बैठक आयोजित की गई, जिसमें विद्याधर नगर, झोटवाड़ा समेत अन्य विधानसभा क्षेत्रों के कुछ पार्षदों ने शिरकत की। यह महिला पार्षद पहले भी महापौर पद की दौड़ में थी और अब भी महापौर बनने की चाहत रखती है। बैठक का मुख्य एजेंडा कार्यकारी महापौर शील धाभाई की खिलाफत बताया जा रहा है। इसके अलावा भविष्य में मेयर पद के नाम पर भी चर्चा की गई।

बैठक में शामिल अधिकांश पार्षद कार्यकारी महापौर की कार्यशैली से नाराज बताए जा रहे हैं। वार्डों में विकास कार्य नहीं होना, महापौर की ढुलमुल नीति, पार्षदों की सुनवाई नहीं करने को नाराजगी का प्रमुख कारण बताया जा रहा है। बैठक के बाद यह सभी पार्षद भाजपा प्रदेश कार्यालय पहुंचे और संगठन महामंत्री चंद्रशेखर से इन्होंने चर्चा की। भाजपा सूत्रों का कहना है कि संगठन की ओर से भी इन पार्षदों को टका सा जवाब दे दिया गया है कि यदि भाजपा पार्षदों के काम नहीं हो रहे हैं तो समय पर इसे राजनीतिक मुद्दा बनाया जाएगा।

संगठन को किया दरकिनार या संगठन हुआ फेल
भाजपा में कहा जा रहा है कि इन पार्षदों ने संगठन को दरकिनार किया है। बिना संगठन को सूचना दिए या संगठन की रजामंदी के बिना बैठक का आयोजन किया गया, जो गलत है। भाजपा संगठन को भी इस बैठक की सूचना मिल गई थी, क्योंकि बैठक से एक दिन पूर्व पार्षदों को फोन कर इस भोज में बुलाया गया था। यदि संगठन के पास बैठक की सूचना थी तो फिर संगठन ने बिना इजाजत हो रही इस बैठक को रोका क्यों नहीं? यदि संगठन ने बैठक को रोकने की कोशिश की और उसके बावजूद बैठक आयोजित हुई, तो यह भाजपा संगठन की नाकामी है। पार्षदों ने संगठन के निर्देशों को दरकिनार किया। ऐसे में संगठन को इन पार्षदों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। इन पार्षदों के पीछे विधायकों और विधायक प्रत्याशियों का हाथ बताया जा रहा है।

चढ़ गए संगठन की नजरों में
गे्रटर निगम में शील धाभाई को सरकार ने महापौर नियुक्त कर रखा है। ऐसे में यहां काम तो सरकार के इशारे पर ही होंगे। महापौर का विरोध करने वाले पार्षदों को इस विरोध का कोई फायदा मिलने वाला लगता नहीं है, बल्कि ऐसा करके वह संगठन की निगाहों में जरूर आ गए हैं। इन पार्षदों ने बिना संगठन की सहमति से होटल में बैठक की, लेकिन बाद में जब उन्हें घबराहट होने लगी तो वह संगठन की शरण में पहुंच गए।

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