जयपुरराजनीति

नए साल से राजस्थान की राजनीति में आएगा उबाल, राजे होगी एक्टिव, ताकि पार्टी पर पकड़ रहे बरकरार

जयपुर। आने वाला नया साल राजस्थान की राजनीति में उबाल लाने वाला साबित होगा। हालांकि अभी प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में तीन साल का वक्त है, लेकिन कहा जा रहा है कि इन चुनावों की तैयारियां अभी से ही शुरू हो जाएगी। इसके संकेत भी दिखाई देने लगे हैं।

भाजपा के जानकारों का कहना है कि नए साल में पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की दिग्गज नेता वसुंधरा राजे प्रदेश की राजनीति में एक्टिव हो सकती है। राजे के एक्टिव होते ही राजनीति में उबाल आ जाएगा। प्रदेश भाजपा में करीब 15 वर्ष पूर्व बने संघ और राजे खेमे के आमने-सामने होने की पूरी संभावना है।

सूत्र बता रहे हैं कि नए साल में राजे प्रदेश में अपनी सक्रियता बढ़ा देंगी। इस दौरान वह पूर्व की भांति प्रदेशभर में दौरा भी कर सकती है। उनके भाजपा कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद करने की संभावना है, ताकि पार्टी पर उनकी पकड़ पूर्व की भांति बरकरार रहे। यात्रा में वह प्रदेश की जनता से सीधे संवाद भी करेंगी।

राजे के इतनी जल्दी सक्रिय होने के पीछे कारण बताया जा रहा है कि प्रदेश भाजपा में चल रही सियासत से वह काफी बेचैन हैं। भाजपा में हुई नियुक्तियों को लेकर सबसे बड़ी रार बताई जा रही है। नियुक्तियों में राजे खेमे को दरकिनार करने की कार्रवाई के खिलाफ वह कई बार इशारों-इशारों में नाराजगी भी जता चुकी है। ऐसे में उन्हें प्रदेश में पकड़ मजबूत करने के लिए समय से पूर्व ही एक्टिव होना पड़ रहा है।

संघ खेमा भी राजे के एक्टिव होने की सूचनाओं से परेशान है और अभी से ही इनकी काट की तैयारियां शुरू कर दी गई है, इसलिए खंडहर हो चुके घनश्याम तिवाड़ी की भाजपा में फिर से वापसी है। तिवाड़ी को राजे के धुर विरोधी के रूप मे पहचाना जाता है। तिवाड़ी की तरह कई अन्य ऐसे नेताओं की भी भाजपा में जल्द वापसी हो सकती है, जो पूर्व में भाजपा को छोड़ कर चले गए थे।

सूत्र बताते हैं कि तिवाड़ी की घर वापसी राजे टीम के वर्तमान में दो प्रमुख सिपहसालारों की काट के रूप में की गई है। इनमें एक पूर्व महापौर और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष हैं तो दूसरे पूर्व छात्रनेता और वर्तमान विधायक हैं। भाजपा की अंदरूनी सियासत की बिसात पर प्रमुख मोहरों को चित्त करने का खेल चल रहा है, लेकिन विधानसभा चुनावों से पूर्व आखिरी दांव खेल दिए जाएंगे।

संघ खेमे के इस दांव से राजे को भी सतर्क हो जाना चाहिए, कि आखिर इन दो सिपहसालारों पर ही निशाना क्यों है। भाजपा में कहा जा रहा है कि इन दोनों ने प्रदेश की राजनीति में अपना सिक्का जमाने के लिए राजे की टीम को खंड-खंड कर रखा है। ऐसे में यदि संघ खेमा इन दोनों पर ही निशाना साध देगा तो राजे टीम में कद्दावार लड़ाकों की कमी हो जाएगी।

Related posts

इंदिरा गांधी नहर परियोजना में पानी की उपलब्धता का पूरा आंकलन कर होगा बंटवारा, मंत्री समूह ने जनप्रतिनिधियों के साथ वार्ता में सुने सुझाव

admin

‘इन्वेस्ट राजस्थान-2022’ (‘Invest Rajasthan-2022’) को सफल बनाने के लिए सरकार (Raj government) देश-विदेश में करा रही इन्वेस्टर कनेक्ट कार्यक्रम (Investor Connect program)

admin

राजस्थान के 143 शहरों में 1000 करोड़ के एफएसटीपी लगाए जाएंगे

admin