जयपुर। अजमेर दरगाह के स्थान पर हिंदू मंदिर होने के दावे को लेकर चल रहे विवाद के बीच, इस साल ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 813वें उर्स में रिकॉर्ड संख्या में जायरीन पहुंचे। दरगाह समिति के सूत्रों ने बताया कि इस साल जायरीन की संख्या पिछले साल की तुलना में दोगुनी रही। बडे कुल और जुम्मे की नमाज जैसे रस्मों को बड़े उत्साह के साथ मनाया गया।
पाकिस्तान से 89 जायरीन समेत कई देशों के श्रद्धालु दरगाह पर दुआ मांगने पहुंचे। अजमेर के 6,000 से अधिक होटलों के कमरे जायरीन के लिए नाकाफी साबित हुए। ऐसे में स्थानीय लोगों ने अपने घर अस्थायी गेस्टहाउस के रूप में खोलकर श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्था की।
अंजुमन कमेटी ने बताया कि चादर चढ़ाने का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं रखा गया, लेकिन उर्स के दौरान रोज़ाना 25,000 से 30,000 चादर पेश की गईं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी चादर पेश की।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की ओर से एक चादर पाकिस्तान उच्चायोग के दूसरे सचिव तारिक मसरोफ के नेतृत्व में आए एक प्रतिनिधिमंडल ने पेश की। यह प्रतिनिधिमंडल कड़ी सुरक्षा में विशेष ट्रेन से पाकिस्तान लौट गया। मीडिया से बात करते हुए एक जायरीन ने शांति और समृद्धि के लिए दुआ की। उन्होंने कहा, “हम सभी शांति और भाईचारे की दुआ करने आए हैं। अल्लाह सबकी झोलियां भरें और भारत-पाकिस्तान दोनों में अमन कायम करें।”
दरगाह की अंजुमन कमेटी के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने विवाद के असर को खारिज करते हुए कहा कि जायरीन की संख्या में इजाफा ही हुआ है। उन्होंने कहा, “इस साल हमने पहले से बड़ी संख्या में श्रद्धालु देखे हैं।” चट्ठी रस्म के बाद आमतौर पर भीड़ कम हो जाती है, लेकिन इस साल बड़े कुल के बाद भी होटलों में कोई जगह नहीं बची, और जायरीन लगातार आ रहे हैं। पिछली बार इतनी बड़ी भीड़ 786वें उर्स के दौरान देखी गई थी।
विवाद की पृष्ठभूमि
25 सितंबर 2024 को हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने एक याचिका दाखिल की, जिसमें दावा किया गया कि दरगाह का स्थान मूल रूप से संकटमोचन महादेव मंदिर था। याचिका में 114 साल पुरानी एक किताब, अजमेर हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव का हवाला दिया गया। यह किताब सेवानिवृत्त न्यायाधीश हरबिलास सारड़ा द्वारा लिखी गई है, जिसमें एक अध्याय में कहा गया है कि दरगाह के स्थान पर एक बार भगवान शिव का मंदिर था।