अदालत

आरजी कर हॉस्पिटल बलात्कार और हत्या मामला, सत्र न्यायालय ने संजय रॉय को सुनाई आजीवन कारावास की सजा

कोलकाता। 20 जनवरी 2025 को कोलकाता की एक सत्र अदालत ने आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के दोषी संजय रॉय को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इस बीच, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार दोषी के लिए मृत्युदंड की मांग कलकत्ता उच्च न्यायालय में करेगी।
न्यायाधीश का फैसला और तर्क:
सीयालदह के अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश, अनिर्बान दास ने कहा कि यह मामला “दुर्लभतम में दुर्लभ” (rarest of the rare) के मानकों को पूरा नहीं करता है और अभियोजन पक्ष की मृत्युदंड की मांग को स्वीकार करना उचित नहीं होगा।
172 पृष्ठों के आदेश में न्यायाधीश ने लिखा कि यह मामला न्याय, पुनर्वास और मानव गरिमा के संरक्षण के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए एक संतुलित सजा की मांग करता है। उन्होंने कहा कि अदालत को जनता के दबाव या भावनात्मक अपीलों के आगे झुकने से बचना चाहिए।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और पीड़िता के परिवार के वकीलों ने दोषी के लिए मृत्युदंड की मांग की थी। अदालत ने 18 जनवरी को संजय रॉय को भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 64 (बलात्कार), 66 (बलात्कार पीड़िता की मृत्यु का कारण बनने वाली चोट), और 103(1) (हत्या) के तहत दोषी ठहराया था।
सजा और अन्य प्रावधान:
न्यायाधीश ने संजय रॉय से कहा, “आप अपने जीवन के अंतिम दिन तक जेल में रहेंगे।”
आदेश के अनुसार:
• धारा 64 BNS के तहत दोषी को आजीवन कठोर कारावास और ₹50,000 का जुर्माना।
• धारा 103(1) BNS के तहत आजीवन कठोर कारावास और ₹50,000 का जुर्माना।
• धारा 66 BNS के तहत शेष जीवन तक कठोर कारावास।
सभी सजाएं एक साथ चलेंगी।
अदालत ने यह भी कहा कि दोषी के पास इस निर्णय के खिलाफ अपील करने का अधिकार है और उसे कानूनी सहायता प्राप्त करने का अधिकार भी है।
पीड़िता के परिवार के लिए मुआवजा:
अदालत ने पीड़िता के माता-पिता को ₹17 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया—₹10 लाख पीड़िता की मृत्यु के लिए और ₹7 लाख बलात्कार के लिए। हालांकि, पीड़िता के पिता ने अदालत में कहा, “हमें कोई मुआवजा नहीं चाहिए। हमें केवल अपनी बेटी के लिए न्याय चाहिए।”
न्यायाधीश ने यह भी उल्लेख किया कि पीड़िता की मृत्यु ड्यूटी के दौरान हुई, इसलिए राज्य की भी यह जिम्मेदारी है कि वह अतिरिक्त मुआवजा प्रदान करे।
अस्पताल प्रशासन की आलोचना:
अदालत ने आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के अधिकारियों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि “यह स्पष्ट है कि मृत्यु को आत्महत्या के रूप में दिखाने की कोशिश की गई ताकि अस्पताल प्रशासन को कोई परिणाम न भुगतना पड़े।”
दोषी की प्रतिक्रिया:
सजा सुनाने से पहले अदालत ने दोषी को बयान देने का मौका दिया। दोषी ने कहा, “मैंने कुछ नहीं किया। मुझे झूठा फंसाया गया है।”
हालांकि, अदालत ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि “आरोपी को परिस्थितियों को स्पष्ट करने का मौका दिया गया, लेकिन वह अपराध स्थल पर अपनी मौजूदगी को नकारने के लिए कोई वैकल्पिक स्पष्टीकरण देने में विफल रहा।”
ममता बनर्जी की प्रतिक्रिया:
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फैसले पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि मृत्युदंड से पीड़िता के परिवार को सांत्वना मिल सकती थी। उन्होंने कहा, “अगर पश्चिम बंगाल पुलिस को जांच की अनुमति दी जाती, तो मृत्युदंड सुनिश्चित होता।”
उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “मैं यह देखकर हैरान हूं कि इस फैसले में इसे दुर्लभतम में दुर्लभ मामला नहीं माना गया। यह एक ऐसा जघन्य अपराध है, जो मृत्युदंड की मांग करता है।”
प्रदर्शन और असंतोष:
फैसले के बाद अदालत के बाहर विरोध प्रदर्शन हुए। डॉक्टरों और सिविल सोसाइटी के सदस्यों ने फैसले पर असंतोष जताया और कहा कि वे अपने विरोध जारी रखेंगे।
यह सजा आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के सेमिनार कक्ष में 9 अगस्त को मिली पीड़िता की हत्या के बाद न्याय की मांग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

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