मुंबई। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने दो सहकारी बैंकों पर नियामकीय दिशा-निर्देशों का पालन न करने के लिए भारी जुर्माना लगाया है। यह कार्रवाई आरबीआई की वैधानिक जांच के दौरान हुई गड़बड़ियों के बाद की गई, जिसमें KYC (अपने ग्राहक को जानें) नियमों, ऋण स्वीकृतियों और धन हस्तांतरण से संबंधित उल्लंघन पाए गए।
जुर्माना लगाए गए बैंक
मुक्कुपेरी को-ऑपरेटिव अर्बन बैंक लिमिटेड (तमिलनाडु)
• जुर्माना: ₹1.75 लाख
• उल्लंघन:
o बैंक ने सिस्टमेटिक ऑडिट फ्रेमवर्क (SAF) के निर्देशों का पालन नहीं किया, जिससे उच्च गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) वाले क्षेत्रों में जोखिम बढ़ गया।
o बैंक ने ग्राहकों के KYC रिकॉर्ड को निर्धारित समय सीमा के भीतर सेंट्रल KYC रिकॉर्ड रजिस्ट्री में अपलोड नहीं किया।
परभणी जिला केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड (महाराष्ट्र)
• जुर्माना: ₹5 लाख
• उल्लंघन:
o बैंक ने अपने निदेशकों से जुड़े ऋणों को सही तरीके से स्वीकृत नहीं किया।
o डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड (DEA फंड) में पात्र धनराशि को निर्धारित समय सीमा के भीतर स्थानांतरित नहीं किया।
आरबीआई की कार्रवाई
दोनों बैंकों की वित्तीय स्थिति की गहन जांच के बाद, आरबीआई ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया। बैंकों के जवाब और आगे की जांच के आधार पर, आरबीआई ने सुधारात्मक उपाय के रूप में मौद्रिक दंड लगाने का निर्णय लिया।
मुख्य निष्कर्ष
• KYC उल्लंघन: पारदर्शिता बनाए रखने और धोखाधड़ी रोकने के लिए उचित दस्तावेज़ीकरण और ग्राहक रिकॉर्ड का समय पर अपलोड करना अनिवार्य है।
• ऋण स्वीकृति नियम: निदेशकों और आंतरिक व्यक्तियों के लिए ऋण स्वीकृत करते समय बैंकों को सख्त दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए ताकि हितों के टकराव से बचा जा सके।
• फंड ट्रांसफर: डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड में समय पर धनराशि का स्थानांतरण उपभोक्ता संरक्षण कानूनों का अनुपालन सुनिश्चित करता है।
आरबीआई का उद्देश्य
यह कार्रवाई दर्शाती है कि आरबीआई बैंकिंग क्षेत्र की अखंडता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और यह सुनिश्चित करता है कि वित्तीय संस्थान नियामकीय मानकों का पालन करें।