कोटा। गूगल पर कूरियर कंपनी का नंबर ढूंढना एक परिवार के लिए भारी मुसीबत बन गया, जब साइबर ठगों ने उनकी मेहनत की कमाई से 12 लाख रुपये उड़ा लिए। घटना के बाद परिवार ने पुलिस को सूचित किया, और साइबर सेल की तत्परता से करीब 6 लाख रुपये की राशि वापस मिल सकी।
आरकेपुरम निवासी विशाल उपाध्याय ने बताया कि हाल ही में उन्होंने अपना पुराना मकान बेचकर नए मकान की रजिस्ट्री के लिए 12 लाख रुपये बैंक खाते में जमा किए थे। दीपावली के दौरान उनकी बेटी ने कूरियर से सामान मंगाया था। जब कूरियर समय पर नहीं पहुंचा, तो उनकी बेटी ने गूगल पर कूरियर कंपनी का नंबर खोजा, लेकिन दुर्भाग्य से वह नंबर फर्जी निकला।
साइबर ठगी का तरीका
साइबर ठग ने फोन पर बातचीत में लड़की से उसके पिता का मोबाइल नंबर और अन्य जानकारी हासिल कर ली। आधार कार्ड और मकान नंबर की पुष्टि के बहाने उसने एक मोबाइल ऐप डाउनलोड करवाया, जिससे विशाल उपाध्याय का फोन हैक हो गया।
फोन हैक होने के 24 घंटे बाद, जब विशाल उपाध्याय ने ऑनलाइन भुगतान के लिए फोन-पे का पिन डाला, तो उनके खाते से लगातार पैसे कटने लगे। सिर्फ 10 मिनट में 5 लाख रुपये, और फिर धीरे-धीरे कुल 12 लाख रुपये खाते से गायब हो गए।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई
घटना के बाद विशाल ने तुरंत आरकेपुरम थाने में शिकायत दर्ज कराई। साइबर क्राइम विशेषज्ञ कांस्टेबल अंकित भास्कर ने सबसे पहले उनके बैंक खाते को ब्लॉक कराया। इसके बाद मामला साइबर सेल को सौंपा गया।
साइबर सेल के प्रमुख अर्जुन कुमार और सुरेश कुमार शर्मा ने तेजी से कार्रवाई करते हुए बैंक में फंसी हुई रकम को ट्रैक किया और उसे रोकने का काम किया। अधिकारियों ने यह भरोसा दिलाया कि करीब साढ़े छह से सात लाख रुपये की राशि वापस मिल जाएगी।
6 लाख रुपये की रिकवरी
विशाल उपाध्याय ने बताया कि अब तक उनके खाते में 6 लाख रुपये वापस आ चुके हैं और पुलिस ने बाकी राशि जल्द लौटाने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कांस्टेबल अंकित भास्कर और साइबर सेल टीम की सक्रियता की प्रशंसा की।
सावधानी ही सुरक्षा है
यह घटना बताती है कि गूगल सर्च की गई जानकारी पर पूरी तरह भरोसा करना खतरनाक हो सकता है। अनजान नंबरों से बचें और किसी भी ऐप को डाउनलोड करने से पहले उसकी प्रामाणिकता की जांच करें। ऑनलाइन लेन-देन में सतर्कता बरतना बेहद जरूरी है।