जयपुर

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का निधन, शुक्रवार को पैतृक गांव में होगा अंतिम संस्कार

जयपुर। गुर्जर संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का गुरुवार सुबह निधन हो गया है। किरोड़ी बैसला लंबे समय से बीमार चल रहे थे। तबीयत बिगड़ने पर उनको जयपुर स्थित आवास से मणिपाल हॉस्पिटल ले जाया गया। जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। बैंसला के निधन से गुर्जर समाज में शोक की लहर छा गई। प्रदेश के सभी नेताओं ने बैंसला के निधन के बाद शोक व्यक्त किया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा भी शाम को शोक प्रकट करने के लिए बैंसला के निवास पर पहुंचे और उनके परिजनों को ढाढस बंधाया।

कर्नल बैंसला के निधन पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, सांसद ओम प्रकाश माथुर, भाजपा सतीश पूनिया, किरोड़ीलाल मीणा, सचिन पायलट, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ सहित विभिन्न नेताओं ने ट्वीट कर उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।

अभी उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए वैशाली नगर स्थित घर में रखा गया है। बैंसला के समर्थकों के अलावा कई नेता और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि भी उनके अंतिम दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं। कर्नल बैंसला (83) का अंतिम संस्कार शुक्रवार को होगा। इसके लिए उनके पैतृक गांव हिंडौन (करौली) के पास मुड़िया में तैयारियां शुरू हो गई हैं।

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का जन्म राजस्थान के करौली जिले के मुंडिया गांव में हुआ था। किरोड़ी बैंसला ने अपने करियर की शुरुआत शिक्षक के तौर पर ही थी, लेकिन पिता के फौज में होने के कारण उनका रुझान फौज की तरफ था। उन्होंने भी सेना में जाने का मन बनाया और सेना में सिपाही के रूप में भर्ती हो गए। बैंसला सेना की राजपूताना राइफल्स में भर्ती हुए थे और सेना में रहते हुए 1962 के भारत-चीन और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में हिस्सा लिया था। इस दौरान वह पाकिस्तान में युद्धबंदी भी रहे। सेना में मामूली सिपाही के तौर पर भीर्ती होकर वह कर्नल की रैंक तक पहुंचे। बैंसला के चार संतान हैं। एक बेटी रेवेन्यु सर्विस और दो बेटे सेना में है। और एक बेटा निजी कंपनी में कार्यरत है। बैंसला की पत्नी का निधन हो चुका है और वे अपने बेटे के साथ हिंडौन में रहते थे।

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला सेना से रिटाटर होने के बाद राजस्थान लौट आए और गुर्जर समुदाय के लिए अपनी लड़ाई शुरू की। आंदोलन के दौरा कई बार उन्होंने रेल रोकी, पटरियों पर धरना दिया। आंदोलन को लेकर उन पर कई आरोप भी लगे। उनके आंदोलन में अब तक 70 से अधिक लोगों की मौत भी हो चुकी है। भाजपा हो या कांग्रेस कर्नल बैंसला ने दोनों ही सरकारों में आंदोलन किए।

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