जयपुर

निजी डॉक्टरों की दो सप्ताह से चल रही हड़ताल ख़त्म, 8 बिंदुओं पर सरकार से बनी सहमति

आखिरकार राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ख्वाहिश पूरी हुई और भारत के पहले राज्य में राइट टू हेल्थ बिल लाने वाले पहले मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने अपना नाम दर्ज करवा ही लिया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर कहा कि ‘मुझे प्रसन्नता है कि राइट टू हेल्थ पर सरकार व डॉक्टर्स के बीच अंततः सहमति बन गई है और राजस्थान राइट टू हेल्थ लागू करने वाला देश का पहला राज्य बना है। मुझे आशा है कि आगे भी डॉक्टर-पेशेंट रिलेशनशिप पूर्ववत यथावत रहेगी। ‘

राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सीएम अशोक गहलोत जनता को लुभाने के लिए लगातार बड़े एलान कर रहे थे। बजट पेश होने के बाद भी एक के बाद एक नयी नयी घोषणाएं लायी जा रही थी। इसी क्रम में जनता के लिए वे लाये राइट तो हेल्थ बिल,जो १४ दिन से उनके गले की हड्डी बन गया था।  आखिरकार आज मामले का पटाक्षेप हुआ और सीएम अशोक गहलोत ने अंततः  विधानसभा में पारित स्वास्थ्य के अधिकार अधिनियम को राजस्थान में लागू कर दिया गया है जो अब राजस्थान राइट टू हेल्थ लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।

1. एचएम ने पहले ही 50 बिस्तरों से कम वाले निजी मल्टी स्पेशियलिटी अस्पतालों को आरटीएच से बाहर कर दिया है।
2. सभी निजी अस्पतालों की स्थापित सरकार से बिना किसी सुविधा के लारिड के रूप में की जा रही है और रियायती दर पर बुलिंग को भी आरटीएच अधिनियम से बाहर रखा जाएगा।
3. इसके बाद, अस्पतालों की निम्नलिखित श्रेणी आरटीएच अधिनियम द्वारा कवर की जाएगी।
ए- निजी मेडिकल कॉलेज अस्पताल
बी- पीपीपी मोड पर बने अस्पताल
सी- सरकार से मुफ्त या रियायती दरों पर जमीन लेने के बाद स्थापित अस्पताल (प्रति उनके अनुबंध की
शर्तें)
डी- अस्पताल ट्रस्टों द्वारा चलाए जाते हैं। भूमि और बुलिंग के रूप में सरकार द्वारा वित्तपोषित)
4. राजस्थान के विभिन्न स्थानों पर बने अस्पतालों को कोटा में नियमित करने पर विचार किया जायेगा नमूना।
5. आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए पुलिस मामले और अन्य मामले वापस लिए जाएंगे।
6. अस्पतालों के लिए लाइसेंस और अन्य स्वीकृतियों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम।
7. फायर एनओसी नवीनीकरण हर 5 साल में माना जाएगा।
8. नियमों में कोई और परिवर्तन, यदि कोई हो, आईएमए के दो प्रतिनिधियों के परामर्श के बाद किया जाएगा।

 

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