पटना। महात्मा गांधी के प्रसिद्ध भजन ‘रघुपति राघव राजा राम’ का गायन करते हुए ‘ईश्वर अल्लाह तेरो नाम’ पंक्ति को लेकर उठे विवाद पर जेडीयू ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। यह घटना 25 दिसंबर को पटना में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम की है, जहां लोक गायिका देवी के इस भजन पर दर्शकों के एक वर्ग ने आपत्ति जताई। जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने इन आपत्तियों पर सवाल उठाए।
विवाद इतना बढ़ गया कि गायिका को माफी मांगनी पड़ी। उन्होंने कहा, “अगर किसी की भावनाएं आहत हुई हैं, तो मुझे खेद है। भगवान सबके हैं।” उन्होंने भारतीय दर्शन ‘वसुधैव कुटुंबकम’ (संपूर्ण विश्व एक परिवार है) का भी जिक्र किया, लेकिन दर्शकों को शांत नहीं कर सकीं। अंततः उन्होंने भजन के शब्द बदलकर ‘श्री रघुनंदन जय सियाराम, जानकी वल्लभ सीताराम’ गाए, जिससे स्थिति को नियंत्रित किया जा सका।
जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा, “राम के सबसे बड़े भक्त महात्मा गांधी थे। जब उन्हें गोली मारी गई, तब उन्होंने ‘हे राम’ का उच्चारण किया। बीजेपी के घोषणापत्र में ‘गांधीवादी समाजवाद’ का उल्लेख है, जो यह दर्शाता है कि भजन के शब्दों पर आपत्ति जताने वाले अपनी ही पार्टी की विचारधारा को पूरी तरह नहीं समझते।”
नीरज कुमार ने विरोध करने वालों के भारतीय इतिहास की समझ और उनके व्यवहार पर भी सवाल उठाए। उन्होंने पूछा, “अगर उन्हें कुछ संदर्भों पर आपत्ति है, तो फिर वे दरगाहों पर चादर चढ़ाने क्यों जाते हैं?” उन्होंने प्रदर्शनकारियों के कार्यों में विरोधाभास की ओर इशारा किया। इस कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे, उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा, सी.पी. ठाकुर, शाहनवाज हुसैन, गोपालजी ठाकुर और संजय पासवान सहित कई प्रमुख नेता उपस्थित थे।
इस बीच, आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद ने गुरुवार को बीजेपी की आलोचना करते हुए एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “संघी और बीजेपी ‘जय सियाराम, जय सीताराम’ नारे और नाम से नफरत करते हैं, क्योंकि इसमें माता सीता की प्रशंसा है। ये लोग शुरुआत से ही महिलाओं के प्रति विरोधी हैं और ‘जय श्रीराम’ के नारे के साथ आधी आबादी, यानी महिलाओं का अपमान करते हैं।”