शिक्षा

यूजीसी ने राजस्थान की तीन विश्वविद्यालयों पर 2029-30 तक पीएचडी प्रोग्राम चलाने पर प्रतिबंध लगाया

नयी दिल्ली। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने राजस्थान की तीन विश्वविद्यालयों को अगले पांच वर्षों तक पीएचडी कार्यक्रम संचालित करने से प्रतिबंधित कर दिया है। यह निर्णय यूजीसी की पीएचडी नियमावली का पालन न करने के कारण लिया गया है। यूजीसी की स्थायी समिति की समीक्षा के बाद यह पाया गया कि इन संस्थानों ने शैक्षणिक मानदंडों का उल्लंघन किया और पीएचडी डिग्री प्रदान करने के लिए आवश्यक नियामक आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल रहे।
यूजीसी स्थायी समिति की भूमिका
यूजीसी ने एक स्थायी समिति का गठन किया है, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विश्वविद्यालय पीएचडी नियमों का पालन करें और डॉक्टरेट डिग्री प्रदान करने में उचित प्रक्रियाओं का पालन हो। यह समिति उन विश्वविद्यालयों के लिए सुधारात्मक कार्रवाई की सिफारिश भी करती है जो यूजीसी मानकों का पालन नहीं करते।
तीन विश्वविद्यालयों पर प्रतिबंध
समिति ने इन विश्वविद्यालयों द्वारा प्रस्तुत किए गए डेटा का मूल्यांकन करने के बाद पाया कि राजस्थान की तीन संस्थाएं ओपीजेएस विश्वविद्यालय, सनराइज विश्वविद्यालय और सिंघानिया विश्वविद्यालय ने आवश्यक प्रावधानों का पालन नहीं किया।
अवसर दिए जाने के बावजूद सुधार नहीं
हालांकि इन विश्वविद्यालयों को उनके गैर-अनुपालन पर स्पष्टीकरण देने का अवसर दिया गया था, लेकिन उनकी प्रतिक्रियाएं असंतोषजनक पाई गईं। इसके परिणामस्वरूप, स्थायी समिति ने सिफारिश की कि इन संस्थानों को 2025-26 से 2029-30 तक के अगले पांच शैक्षणिक वर्षों के लिए पीएचडी छात्रों को नामांकित करने से प्रतिबंधित किया जाए।
यूजीसी का निर्णय और निर्देश
समिति की सिफारिश के अनुसार, यूजीसी ने यह प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है और इन विश्वविद्यालयों को तत्काल प्रभाव से पीएचडी छात्रों को नामांकित करने से रोक दिया है।
छात्रों और अभिभावकों के लिए चेतावनी
यूजीसी ने छात्रों और अभिभावकों को सलाह दी है कि वे इन तीन विश्वविद्यालयों में पीएचडी कार्यक्रमों में प्रवेश लेने से बचें। इन विश्वविद्यालयों से प्राप्त पीएचडी डिग्री को न तो उच्च शिक्षा के लिए और न ही रोजगार के उद्देश्य से मान्यता प्राप्त होगी, क्योंकि ये डिग्रियां यूजीसी की स्वीकृति के बिना प्रदान की गई मानी जाएंगी।
यह प्रतिबंध यूजीसी के शैक्षणिक मानकों को बनाए रखने और उच्च शिक्षा क्षेत्र में गुणवत्ता सुनिश्चित करने के प्रयास का हिस्सा है।

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