जयपुर

राजस्थान में ‘अफ्रीकन स्वाइन फीवर’ को लेकर पशुपालन विभाग सतर्क, 6 रोग संक्रमित ज़िलों में त्वरित प्रतिक्रिया दलों का किया गया गठन

जयपुर। शूकर वंशीय पशुओं में अफ्रीकन स्वाइन फीवर के त्वरित रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए पशुपालन विभाग द्वारा गठित दलों ने रोग प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर शूकर वंशीय पशुओं के सेम्पल एकत्रित किये साथ ही पशुपालकों को रोग की रोकथाम के लिए सुझावों से अवगत कराया गया।

इस सम्बन्ध में अधिक जानकारी देते हुए संयुक्त निदेशक डॉ. रवि इसरानी ने बताया कि राज्य के सभी ज़िले रोग के प्रति संवेदनशील है, साथ ही यह बीमारी शूकर वंशीय पशुओं के लिए बेहद आक्रामक एवं घातक है, जिससे बचाव के लिए पशुपालक को एक किलोमीटर परिधि में नियंत्रण क्षेत्र बनाकर पशुओं को संरक्षित करना चाहिए, जिससे अन्य शूकर वंशीय पशुओं का संक्रमण से बचाव हो सके।

उन्होंने कहा की शूकर पशुपालन में संघटित पशुपालन का अभाव है जो रोग के फैलने की मुख्य वजह है। विभाग पिछले 2 माह से इस रोग की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए निरंतर प्रयासरत है। इसी दिशा में विभाग द्वारा गठित दल मौके पर पहुंच कर संक्रमित पशुओं का परीक्षण कर सेम्पल एकत्रित कर रहे हैं तथा मृत पाए गए पशुओं में रोग की पहचान एवं मौत के कारणों का पता लगाने के लिए पोस्टमार्टम का कार्य किया जा रहा है।

उन्होंने बताया की अलवर जिले में हाल ही में 36 संक्रमित शूकरों की कलिंग की गयी है। वहीं विभागीय अधिकारियों के द्वारा नगर निगम एवं स्थानीय प्रशासन के सहयोग से रोग की रोकथाम की कार्यवाही को अंजाम दिया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि विभाग द्वारा कुल 6 ज़िलों को रोग संक्रमित घोषित किया है, जिसमें अलवर, सवाईमाधोपुर, जयपुर, भरतपुर, कोटा, करौली ज़िले शामिल है। इन जिलों में विभागीय स्तर पर गठित त्वरित प्रतिक्रिया दलों द्वारा शूकर पशुपालकों को रोग के प्रति जागरूक करने के साथ संक्रमित पशुओं की पहचान कर सेम्पल एकत्रित करने का कार्य प्राथमिकता से किया जा रहा है।

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