जयपुर

वन और पुरातत्व अधिकारियों की मिलीभगत से जारी हुआ नाहरगढ़ फोर्ट के लिए वाइल्ड लाइफ क्लियरेंस, एनजीटी ने जारी किया नोटिस

क्लियरेंस लेने के लिए वन अधिकारियों ने छिपाए तथ्य

नाहरगढ़ की चपेट में आया जयगढ़, एनजीटी ने जयगढ़ में वाणिज्यिक गतिविधियों के खिलाफ जारी किया नोटिस

जयपुर। जब बाड की खेत को खाने लगे तो भगवान मालिक है। ऐसा ही कुछ नजर आया है जयपुर के नाहरगढ़ अभ्यारण्य में, जहां वन विभाग के अधिकारियों ने नाहरगढ़ फोर्ट में वाणिज्यिक गतिविधियों को चलाने के लिए पुरातत्व विभाग से मिलीभगत की और वन एवं वन्यजीव अधिनियमों को ताक में रखकर पुरातत्व विभाग को वाइल्ड लाइफ क्लियरेंस दिलवा दिया। मामला उजागर हुआ और एनजीटी पहुंचा तो अब एनजीटी ने इस पर संज्ञान लेते हुए वन अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

इस मामले में पक्षकार राजेंद्र तिवाड़ी ने बताया कि जयपुर के नाहरगढ़ अभ्यारण्य में स्थित नाहरगढ़ फोर्ट में चल रही गतिविधियों को बंद कराने के लिए काफी सख्त फैसला सुनाया था और यहां सभी प्रकार की वाणिज्यिक गतिविधियों को प्रतिबंधित कर दिया था, लेकिन वन अधिकारियों की मिलीभगत के चलते यह विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया और वहां पुरातत्व विभाग के पक्ष में स्टे हो गया था। तिवाड़ी के अनुसार यह मामला अभी खत्म नहीं हुआ था इसलिए वन और पुरातत्व विभाग ने मिलीभगत करके नाहरगढ़ फोर्ट को वाइल्ड लाइफ क्लियरेंस दिलाने की ठानी।

इसके लिए पुरातत्व विभाग ने एक प्रस्ताव वन विभाग को भेजा और वन विभाग ने तथ्यों को छिपाते हुए नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड को यह प्रस्ताव भेजा और वाइल्ड लाइफ क्लियरेंस ले ली। वन विभाग ने यह तथ्य छिपाया कि यह प्रापर्टी वन विभाग की है। प्रस्ताव में इस प्रापर्टी को पुरातत्व विभाग की दर्शाया गया और वर्णित क्षेत्र होने के आधार पर वाइल्ड लाइफ क्लियरेंस ले लिया। क्लियरेंस मिलने के बाद वन विभाग के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन ने आदेश जारी किए कि पुरातत्व विभाग नाहरगढ़ फोर्ट को सूर्योदय से सूर्यास्त तक चला सकता है। इस फोर्ट से होने वाली आय का आधा हिस्सा पुरातत्व विभाग वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन और डवलपमेंट के लिए वन विभाग को देगा। उल्लेखनीय है कि क्लियर न्यूज ने सबसे पहले इस मामले को उठाया था और लगातार इस मामले का फॉलोअप किया।

क्या होता है वाइल्ड लाइफ क्लियरेंस
कोई भी निजी या रेवेन्यू लेंड यदि किसी अभ्यारण्य क्षेत्र में आ जाती है तो वहां वाणिज्यिक गतिविधियां संचालित करने के लिए वाइल्ड लाइफ क्लियरेंस लेना होता है, लेकिन वाइल्ड लाइफ क्लियरेंस लेने से पहले फारेस्ट क्लियरेंस लेना जरूरी होता है, जिसमें यह शर्तें होती है कि इन गतिविधियों से फारेस्ट या वाइल्ड लाइफ पर किसी प्रकार का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। फारेस्ट क्लियरेंस की प्रकिया काफी लंबी और जटिल होती है, फिर सुप्रीम कोर्ट भी फारेस्ट क्लियरेंस पर काफी सख्त है और कुछ बेहद जरूरी कार्यों के अलावा फारेस्ट क्लियरेंस नहीं मिल पाती है।

क्लियरेंस को दी एनजीटी में चुनौति
तिवाड़ी ने बताया कि इस क्लियरेंस की जानकारी मिलने के बाद उन्होंने आरटीआई के जरिए क्लियरेंस की सभी जानकारी एकत्रित की और इस क्लियरेंस को एनजीटी में चुनौति दी। एनजीटी को बताया गया कि यह प्रापर्टी वन विभाग की है तो फिर वाइल्ड लाइफ क्लियरेंस से पूर्व इसका फारेस्ट क्लियरेंस क्यों नहीं किया गयाïï? प्रापर्टी वन विभाग की है यह तथ्य नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड से क्यों छिपाया गया? इन सबकी जानकारी होने के बाद एनजीटी ने चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन को नोटिस जारी कर इस मामले की पूरी तथ्यात्मक जानकारी मांगी है।

जयगढ़ भी आया चपेट में
नाहरगढ़ फोर्ट की तरह जयपुर स्थित जयगढ़ फोर्ट भी अभ्यारण्य के बीचों-बीच स्थित है। जयगढ़ फोर्ट में चल रही वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए के लिए भी राजेंद्र तिवाड़ी ने एनजीटी में वाद दायर किया था। तिवाड़ी के अनुसार जयगढ़ फोर्ट भी वन विभाग की प्रापर्टी है, लेकिन वन विभाग इसे अपने कब्जे में नहीं ले रहा है। वन अधिकारियों की मिलीभगत से यहां भी नॉन फारेस्ट एक्टिविटि चल रही है। तिवाड़ी ने बताया कि जयगढ़ के लिए 1949 में कोविनेंट हुआ था। इसके बाद 1961 में यह इलाका रिजर्व फारेस्ट बन गया और फोर्ट को एक्वायर कर लिया गया। 1989 में रिजर्व फारेस्ट को जब अधिकार मिले तब जयगढ़ फोर्ट को कोई अधिकार नहीं मिले। इसके बावजूद वन विभाग ने फोर्ट को अपने कब्जे में नहीं लिया। हैरानी की बात यह है कि इतने दशकों से वन विभाग मिलीभगत करके इस फोर्ट को वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए एनओसी देता रहा। अब एनजीटी ने जयगढ़ फोर्ट के संचालकों को भी नोटिस जारी कर सम्पूर्ण तथ्यात्मक जानकारी मांगी है।

वन विभाग वाइल्ड लाइफ क्लियरेंस की भी उड़ा रहा धज्जियां
तिवाड़ी ने बताया कि वाइल्ड लाइफ क्लियरेंस मिलने के बाद भी वन विभाग के अधिकारी मिलीभगत से इस क्लियरेंस की धज्जियां उड़ा रहे हैं। यह क्लियरेंस मिलने के बाद नाहरगढ़ फोर्ट स्थित पड़ाव रेस्टोरेंट पर मिड नाइट शराब पार्टी आयोजित की गई। इसका विरोध होने के बाद वन विभाग ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की, लेकिन आज तक न तो पड़ाव रेस्टोरेंट के अधिकारियों पर कोई कार्रवाई की गई और न ही पार्टी आयोजित करने वाले और उसमें शामिल होने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई है।

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