दुनिया में अभी भी दर्जनों ऐसी बीमारियां है, जिनकी ना तो कोई वैक्सीन तैयार की जा सकी है और ना ही उन्हें पूरी तरह से खत्म ही किया जा सका है. मसलन एचआईवी, मलेरिया, कॉलरा, टायफाइड, टीबी, इबोला और इंफ्लूएंज़ा. इन बीमारियों की रोकथाम के लिए दवाएं तो हैं मगर इलाज नहीं.
- किसी भी जानलेवा महामारी के होते हैं तीन चरण
- इसी से पूरा होता है पैनडेमिक से एनडेमिक बनने का सफर
कोरोना महामारी ने हम सभी को नए तरीके से जिंदगी जीने के लिए मजबूर कर दिया है. इस तरह की नई जिंदगी यानी न्यू नॉर्मल लाइफ कोई नहीं चाहेगा. ना सरकारें और ना ही आम लोग. इसीलिए सभी को ना सिर्फ उम्मीद है बल्कि सबकी दुआ भी यही है कि कोरोना वायरस की वैक्सीन जल्द से जल्द तैयार हो जाए ताकि हम फिर से पहले जैसी ज़िंदगी जी सकें. और हमें कोरोना वायरस के साथ जीना ना पड़े. वरना हमें कोरोना से पहले की अपनी आज़ाद जिंदगी आने वाली पीढ़ी को सिर्फ तस्वीरों में दिखाने और किताबों में पढ़ाने को मिलेगी.
कोरोना हो या कोई और वायरस, मेडिकल साइंस में हर बीमारी के तीन स्टेज, यानी तीन चरण होते हैं.
1- कंट्रोल (नियंत्रण)
2- एलिमिनेशन (निष्कासन)
3- इराडिकेशन (उन्मूलन)
कोरोना के पैनडेमिक से एनडेमिक बनने की इस कहानी को और आसानी से समझने के लिए इन तीनों चरणों को एक एक करके समझना होगा. सबसे पहले समझते हैं कि बीमारी पर नियंत्रण क्या होता है. जब किसी बीमारी से संक्रमित लोगों के ठीक होने वालों की तादाद ज़्यादा होने लगती है. और नए मामलों के आने की तादाद भी कम होने लगती है. तब वो बीमारी नियंत्रण की स्थिति में आ जाती है. मगर कोरोना वायरस की बात करें तो ये बिलकुल भी इस स्टेज पर नहीं है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चंद देशों को छोड़कर बाकी तमाम दुनिया इससे अभी भी जूझ रही है.
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कोरोना का ये वायरस कंट्रोल में तो ज़ाहिर तौर पर नहीं है. लिहाज़ा अब दूसरे चरण पर आते हैं. यानी निष्कासन या एलिमिनेशन और आसान भाषा में इसे किसी बीमारी को खत्म करना भी कह सकते हैं. यानी जब किसी बीमारी के मामले आने ही बंद हो जाएं और सभी संक्रमितों को ठीक कर लिया जाए तो वो एलिमिनेशन के चरण में पहुंच जाती है. लेकिन क्या कोरोना वायरस के मामलों में इसे अभी खत्म करना मुमकिन है, शायद नहीं. क्योंकि कई जगहों पर कोरोना के मामले बिलकुल खत्म होने के बाद भी अचानक से दोबारा आने शुरू हो गए हैं.
तीसरा और आखिरी चरण वो है जिसकी चेतावनी डब्लूएचओ ने शुरुआत में ही ये कहते हुए दे दी थी कि कोरोना वायरस को कभी भी खत्म नहीं किया जा सकेगा. यानी इसका उन्मूलन या इराडिकेशन मुमकिन नहीं है. आपको बता दें कि दुनिया में अभी तक सिर्फ स्माल पॉक्स यानी चेचक ही ऐसी बीमारी है, जिसका पूरी तरह से डब्लूएचओ ने उन्मूलन का दावा किया है. जबकि पोलियो जैसी कई पुरानी बीमारियों का अभी तक भी उन्मूलन नहीं किया जा सका है.
कोरोना कमांडोज़ का हौसला बढ़ाएं और उन्हें शुक्रिया कहें…
दुनिया में अभी भी दर्जनों ऐसी बीमारियां है, जिनकी ना तो कोई वैक्सीन तैयार की जा सकी है और ना ही उन्हें पूरी तरह से खत्म ही किया जा सका है. मसलन एचआईवी, मलेरिया, कॉलरा, टायफाइड, टीबी, इबोला और इंफ्लूएंज़ा. इन बीमारियों की रोकथाम के लिए दवाएं तो हैं मगर इलाज नहीं. लेकिन अब लोगों ने कुछ एहतियात लेकर इन बीमारियों के साथ जीना सीख लिया है.
आपको बता दें कि वैक्सीन के इंतज़ार में इन बीमारियों की वजह से हर साल पूरी दुनिया में लाखों लोगों की मौतें होती है. इसीलिए WHO लगातार दुनिया को आगाह कर रहा है कि अभी कोरोना से ये जंग लंबी चलने वाली है. ये वायरस हमारे साथ काफी दिनों तक रहने वाला है और फिर से आसानी से उभर सकता है. और जो देश ये समझ रहे हैं कि उन्होंने कोरोना वायरस पर काबू पा लिया है. वहां इस बीमारी के मामलों में फिर से पलट सकते हैं.