जयपुर। एसीबी की विशेष अनुसंधान इकाई ने गुरुवार को कार्रवाई करते हुए जयपुर ग्रामीण के थाना गोविंदगढ़ के थानाधिकारी हरिनारायण शर्मा को अधिवक्ता के माध्यम से परिवादी से 6 लाख रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया है।
ब्यूरो के महानिदेशक बीएल सोनी ने बताया कि एसीबी की विशेष अनुसंधान इकाई को परिवादी ने शिकायत की थी कि उसके खिलाफ धोखाधड़ी के मामले में मदद करने के एवज में थानाधिकारी हरिनारायण शर्मा दलाल अधिवक्ता विश्वनाथ शर्मा के माध्यम से 10 लाख रुपए की रिश्वत मांग कर परेशान किया जा रहा है।
शिकायत पर एसीबी की ओर से शिकायत का सत्यापन कर ट्रेप की कार्रवाई आयोजित की गई। आरोपी पुलिस निरीक्षक के दलाल अधिवक्ता विश्वनाथ शर्मा ने परिवादी से 6 लाख रुपए की रिश्वत ली, लेकिन उसे एसीबी की कार्रवाई का शक हो गया, तो वह रिश्वत की राशि लेकर मौके से फरार हो गया। एसीबी टीम की ओर से पीछा किए जाने पर उसने रिश्वत की रकम को फेंक दिया, जिसे एसीबी की टीम ने बरामद कर लिया। आरोपी अधिवक्ता को एसीबी तलाश कर रही है। प्रकरण में आरोपी गोविंदगढ़ थानाधिकारी हरिनारायण शर्मा को एसीबी ने पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया। सोनी ने बताया कि शिकायत के सत्यापन के दौरान भी अधिवक्ता ने थानाधिकारी के लिए परिवादी से 4 लाख रुपए वसूल कर चुका था। एसीबी के अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस दिनेश एमएन के निर्देशन में आरोपी के आवास एवं अन्य ठिकानों की तलाशी ली जा रही है।
रोडवेज परिचालक 40 हजार की घूस लेते गिरफ्तार
एसीबी की विशेष अनुसंधान इकाई की ओर से बुधवार को ही राजस्थान रोडवेज के हनुमानगढ़ डिपो के परिचालक विजय छाबड़ा को परिवादी से 40 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया। परिवादी के बकाया 6 लाख के बिल पास कराने और मार्ग ड्यूटी से हटवाने की एवज में आगार मुख्य प्रबंधक दीपक भोबिया के नाम से विजय छाबड़ा द्वारा परिवादी से 50 हजार रुपए की रिश्वत मांग कर परेशान किया जा रहा था। शिकायत का सत्यापन कराए जाने के बाद ट्रेप की कार्रवाई आयोजित की गई और परिचालक को 40 हजार रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार कर लिया गया। एसीबी प्रकरण में आगार मुख्य प्रबंधक दीपक भोबिया की भूमिका की जांच कर रही है।
जिला शिक्षा अधिकारी और दो दलाल गिरफ्तार
एसीबी की जैसलमेर इकाई ने भी गुरुवार को बाड़मेर के जिला शिक्षा अधिकारी (प्रारंभिक) केसरदान रत्नू और उसके दलाल जीवनदान चारण व आसुसिंह राजपुरोहित को परिवादी से 50 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया। परिवादी को उसके निलंबन काल के समस्त परिलाभ दिलवाने और विभागीय जांच में मदद करने की एवज में रत्नू द्वारा 2 लाख रुपए की रिश्वत मांग कर परेशान किया जा रहा था।