जयपुर

देश में बढ़ती सांप्रदायिकता को लेकर गहलोत एक बार ​फिर मुखर, कहा हमारी बात पीएम सुनते नहीं, रिजिजू हमारी भावनाओं को पीएम तक पहुंचाएं ​​

सुप्रीम कोर्ट के और हाईकोर्ट के जजों की उपस्थिति में गहलोत ने कहा कि देश के हालात बहुत खराब है आप कुछ कीजिए

जयपुर। देश में बढ़ती सांप्रदायिकता को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलापेत एक बार ​फिर मुखर हुए। उन्होंने कहा कि हमारी बात पीएम सुनते नहीं, यहां मौजूद केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू हमारी भावनाओं को पीएम तक पहुंचाएं।

गहलोत शनिवार को जयपुर में सीतापुरा स्थित जेईसीसी सभागार में विधिक सेवा प्राधिकरण के 18 वों राष्ट्रीय सम्मेलन में बोल रहे थे। इस सम्मेलन में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना के साथ साथ 15 जजों ने भाग लिया। सम्मेलन में हाईकोर्टों के करीब 75 जज भी उपस्थित रहे। देश में न्यायिक व्यवस्था के विकास और सुधार के लिए इस सम्मेलन को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

सम्मेलन में गहलोत ने कहा कि आज देश के हालात बहुत खराब हैं। मैं पिछले तीन महीनों से एक बात बोल रहा हूं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी हमारी बात सुनते नहीं है। यहां किरण रिजिजू मौजूद हैं और मैं चाहता हूं कि वह हमारी भावनाओं को मोदी जी तक पहुंचाएं। गहलोत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहने से लोग वोट देते हैं। मैं एक बार फिर पीएम मोदी से अपील करना चाहता हूं कि वे देश में प्रेम, भाई चारा वाला वक्तव्य दें। लोग धर्म के नाम पर हिंसा न करें, ऐसी अपील भी पीएम को करनी चाहिए।

चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना के अमेरिका में दिए गए भाषण को आधार बनाकर सीएम गहलोत ने कहा कि आप लोग देश के हालात सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। चार जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि लोकतंत्र खतरे में हैं। इन चार जजों में से एक गोगोई जब सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बन गए तो भी हालातों में सुधार नहीं हुआ। रिटायरमेंट के बाद क्या बनना है यह यदि जजों को चिंता रहेगी तो फिर हालात कैसे सुधरेंगे। गहलोत ने कहा कि आज चुनी हुई सरकारों को गिराया जा रहा है। यह तो अच्छा हुआ कि मेरी सरकार नहीं गिरी। यदि उस समय मेरी सरकार गिर जाती तो आज मैं मुख्यमंत्री के तौर पर इस सम्मेलन में उपस्थित नहीं होता।

गहलोत ने कहा कि मेरी मोदी या भाजपा से कोई दुश्मनी नहीं है। हमारे बीच विचारधारा की लड़ाई है। हम सब चाहते हैं कि भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था बनी रहे। जजों को इस बात पर भी विचार करना चाहिए कि वकील का चेहरा देखकर निर्णय क्यों होता है। सीएम गहलोत ने सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री रिजिजू के हिंदी में बोलने पर उनकी प्रशंसा की।

उन्होंने कहा कि नालसा व इसकी राज्य इकाइयां विधिक सेवाओं के प्रचार-प्रसार, निःशुल्क विधिक सहायता प्रदान करने,अपराध से पीड़ित व्यक्तियों को मुआवजा दिलवाने तथा लोक अदालतों के माध्यम से अधिकाधिक मुकदमों को निपटाने में महती भूमिका निभा रही है। इसके साथ ही, वंचित तबकों को न्याय दिलाने तथा भ्रष्टाचार की रोकथाम में भी इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। लोक अदालतों ने गरीबों, आपदा पीड़ितों, आदिवासियों, वरिष्ठ नागरिकों और एसिड अटैक पीड़ितों को निःशुल्क कानूनी सहायता और मुआवजा दिलवाया है।

सम्मेलन में केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि यह राष्ट्रीय सम्मेलन आजादी के अमृत महोत्सव में हो रहा है। उन्होंने माना कि सरकार और ज्यूडीशियरी के बीच अच्छा तालमेल होना चाहिए। आज आम आदमी और न्याय के बीच दूरी है जिसे खत्म करने की आवश्यकता है। अमीर लोग तो अच्छा वकील कर न्याय प्राप्त कर लेते हैं। सुप्रीम कोर्ट में कुछ वकील एक पेशी के 10-15 लाख रुपए की फीस लेते हैं। जब इतनी फीस ली जाएगी तो आम आदमी को न्याय कैसे मिलेगा। रिजिजू ने कहा कि मौजूदा समय में देश भर में पांच करोड़ मुकदमे लंबित हैं। मुकदमों के शीघ्र निस्तारण के लिए सरकार और अदालतों को मिल कर काम करना चाहिए।

सम्मेलन में चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने कहा कि विधिक सेवा प्राधिकरण का प्रयास है कि आम आदमी को न्याय मिले। पिछले कुछ वर्षों में प्राधिकरण ने अपने कार्यों का विस्तार किया है। इसके अंतर्गत लोगों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक भी किया जा रहा है।

न्याय के लिए डिजिटल टूल्स लॉन्च

इससे पहले मुख्यमंत्री गहलोत तथा उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमन्ना द्वारा ई प्रिजन पोर्टल फोर सिटीजन एवं लीगल सर्विस अथॉरिटी के अंतर्गत नवाचार का लोकार्पण किया गया। साथ ही, लीगल ऎड केसेज मैनेजमेंट पोर्टल एवं मोबाइल ऎप फोर लीगल ऎड लायर्स का भी ऑनलाइन लोकार्पण किया गया।

केंद्रीय विधि मंत्री द्वारा नालसा ऑनलाइन मीडिएशन पोर्टल फॉर कमर्शियल मीडिएशन का ऑनलाइन लोकार्पण किया गया। समारोह में रिलीज यूटीआरसी एट 75 कैंपेन का भी ऑनलाइन लॉन्च किया गया। साथ ही केंद्रीय विधि मंत्रालय तथा राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के बीच 112 एस्पिरेशनल जिलों में लीगल लिटरेसी प्रोग्राम, टेली लॉ तथा न्यायबंधु के लिए एमओयू किया गया।

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