जयपुर। नगरीय निकायों में मौके पर चौका लगाने से कोई नहीं चूकता है, फिर वह सरकारी अधिकारी-कर्मचारी हों या निकायों में काम कर रही अनुबंधित कंपनियों के कर्मचारी। सबका एक ही मकसद नजर आता है, शहर की जनता से लूट। जेडीए में पांच अधिकारियों-कर्मचारियों की गिरफ्तारी के बाद आज नंबर नगर निगम ग्रेटर का लगा और एसीबी ने यहां यूडी टैक्स वसूलने का काम कर रही स्पैरो कंपनी के टैक्स कलेक्टर 9 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया है।
एसीबी के महानिदेशक बीएल सोनी ने बताया कि एसीबी की जयपुर देहात इकाई को परिवादी द्वारा शिकायत की गई थी। उसकी प्रापर्टी को यूड टैक्स की सूची से बाहर रखने और मांगी गई रिश्वत नहीं देने पर तीन-चार लाख रुपए का यूडी टैक्स नोटिस जारी करने का भय दिखाकर स्पैरो कंपनी का टैक्स कलेक्टर पंकज चौधरी द्वारा 10 हजार की रिश्वत मांग कर परेशान किया जा रहा है।
शिकायत के बाद जयपुर इकाई अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नरोत्तमलाल वर्मा के नेतृत्व में शिकायत का सत्यापन कराया गया और पुलिस निरीक्षक नीरज भारद्वाज व मानवेंद्र सिंह की टीम ने ट्रेप आयोजित कर पंकज चौधरी को परिवादी से 9 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। एसीबी के अतिरिक्त महानिदेशक दिनेश एमएन के निर्देशन में आरोपी से पूछताछ की गई।
उल्लेखनीय है कि एसीबी ने कुछ समय पूर्व ही ग्रेटर नगर निगम जयपुर में सीईओ के नाम पर ठेकेदारों से रिश्वत लेने के आरोप में वित्तीय सलाहकार अचलेश्वर मीणा, दलाल धन कुमार और अनिल को गिरफ्तार किया था। उसी समय पर ही स्पैरो कंपनी के भ्रष्टाचार के खिलाफ एक शिकायत एसीबी को मिली थी। हनुमानगढ़ टाउन निवासी एक व्यक्ति ने एसीबी के अतिरिक्त महानिदेशक दिनेश एमएन को निगम में यूडी टैक्स वसूल कर रही स्पैरो कंपनी के मामले में चल रहे घोटाले की शिकायत की थी। शिकायत की मूल बात यह है कि स्पैरो कंपनी यूडी टैक्स वसूलने में अब तक नाकामयाब रही है। निगम के राजस्व शाखा के अधिकारी-कर्मचारी राजस्व वसूल कर रहे हैं, लेकिन निगम के अधिकारी शर्तों में हेराफेरी का बहाना बनाकर मोटे कमीशन के बदले कंपनी को वर्ष 2017 से ही बिना काम के भुगतान कर रहे हैं।
वर्ष 2021 में नगर निगम ग्रेटर में 18.15 करोड़ रुपए का टैक्स वसूला गया, जो कि निगम की राजस्व शाखा ने कुर्की कार्रवाई के बदौलत वसूल किया गया और निगम के खाते में जमा कराया गया, लेकिन अधिकारी मिलीभगत से निगम के खाते में जमा राशि का भी कमीशन कंपनी को दे रहे हैं। ऐसे में इस घोटाले की भी जांच कर मुकद्दमा दर्ज किया जाए, क्योंकि इनमें से एक अधिकारी वही है, जिसे हाल ही में एसीबी ने दो दलालों के साथ गिरफ्तार किया है।
नगर निगम अधिकारियों द्वारा जानबूझकर स्पैरो कंपनी को लाभ देने की नीयत से यह निर्णय लिया कि सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट, अन्य न्यायालय, डीएलबी, कलेक्टर इत्यादि के यहां यू डी टैक्स के जो केस चल रहे हैं, उन मामलों में जो राजस्व की प्राप्ति होगी उसका कमीशन स्पैरो कंपनी को नहीं दिया जाएगा। इस निर्णय मेंं कुर्की से वसूल की गई राजस्व को जानबूझकर कमेटी द्वारा छोड़ दिया गया, जिसका परिणाम यह हुआ कि नगर निगम के अधिकारी कुर्की की कार्रवाई करके यूडी टैक्स वसूल करते हैं और उस वसूल की गई राशि का कमीशन स्पैरो कंपनी को दिया जाता है। इसी के चलते कंपनी ने काम करना छोड़ दिया है और अधिकारियों से मिलीभगत कर बिना काम के ही कमीशन ले रही है। यह भी एक बहुत बड़ा घोटाला है जिसकी जांच होनी आवश्यक है।