जयपुर। नॉन रेजिडेंट राजस्थानियों (एनआरआर) को जल्द ही एनआरआर कार्ड दिए जाएंगे। ये कार्ड एनआरआर के लिए विशिष्ट पहचान दस्तावेज का काम करेंगे और इसके तहत उन्हें कुछ विशेषाधिकार भी दिए जाएंगे। एनआरआर कार्ड जारी करने का प्रस्ताव एनआरआर नीति का हिस्सा है, जिसे हाल ही में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा जारी किया गया था।
राज्य की उद्योग मंत्री शकुंतला रावत ने कहा, ‘हमारी नई एनआरआर नीति के तहत राज्य के आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास में एनआरआरएस (नॉन रेजिडेंट राजस्थानियों) को शामिल करने और उनके साथ लाभकारी संबंध बनाने की योजना बनाने का प्रस्ताव है।’
यह नीति पांच ‘सी’ – कनेक्ट, कल्चर, कम्यूनिटी, केयर और कॉन्ट्रिब्यूशन अवधारणा पर आधारित है। राज्य के विकास में उन्हें जोड़ने के लिए एनआरआरएस के योगदान पर फोकस है, वहीं उनकी समस्याओं को हल करने और उनके कल्याण के लिए काम करने के लिए एक तंत्र विकसित करने के प्रावधान हैं। एनआरआर नीति का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में राजस्थान फाउंडेशन तहत 1,00,000 से अधिक एनआरआर को शामिल करते हुए भौगोलिक और क्षेत्रों में एनआरआर के व्यापक आधार से जुड़ना है। इस नीति का उद्देश्य पर्यटन, निवेश, व्यापार, उद्यमिता, परोपकार आदि जैसे क्षेत्रों में एनआरआर की बढ़ती भागीदारी के साथ सामाजिक और आर्थिक प्रभाव उत्पन्न करना है, जिससे अगले पांच वर्षों में 1000 करोड़ रुपए से अधिक का उत्प्रेरण हो सके।
धीरज श्रीवास्तव, कमिश्नर, राजस्थान फाउंडेशन ने कहा, ‘एनआरआर नीति का उद्देश्य राजस्थानी डायस्पोरा के संस्थागत जुड़ाव के लिए एक ढांचा स्थापित करना है, जो सरकार की प्रतिबद्धता के अनुसार एक सक्षम वातावरण बनाने और सामाजिक-ऑर्थिक विकास में एनआरआरएस की प्रभावी भागीदारी के लिए मंच बनाने के लिए है। राजस्थान का आर्थिक विकास और उनके कल्याण, विकास और सशक्तिकरण के लिए एनआरआरएस की जरूरतों को भी पूरा करता है। यह नीति एनआरआरएस को मातृभूमि से जुडाव को भी मजबूत करेगी और ‘राजस्थानीयत’ की अभिव्यक्ति, पीढ़ियों के माध्यम से राजस्थानी पहचान को बनाए रखेगी।’
नीति के तहत एनआरआरएस के लिए कई योजनाएं बनाई गई है। म्हारी ढ़ाणी सरकार की प्रमुख योजना होगी जिसमें एनआरआरएस अपने कस्बों और गांवों में बुनियादी विकास कार्यों में स्वेच्छा से योगदान कर सकेंगे। राज्य सरकार हर साल बकाया एनआरआर की भी पहचान करेगी और उन्हें सम्मानित करेगी, जिन्हें प्रवासियों के लिए आयोजित वार्षिक कार्यक्रम में सम्मानित किया जाएगा। अन्य योजनाओं में निम्न शामिल हैं – समुदाय के साथ बॉन्डिंग बनाने के लिए राजस्थानियों के सभी संगठनों और संघों को एक मंच पर लाना, जाने अपना राजस्थान कार्यक्रम, राजदूत कार्यक्रम आदि। प्रवासी मित्र का एक विशेष कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है जिसमें दुनिया भर के विभिन्न देशों में एनआरआरएस नियुक्त किए जाएंगे। ये मित्र, अपने संबंधित देश का प्रतिनिधित्व करेंगे, जहां वे बसे हुए हैं, अपनी भूमि के लोग जो रणनीतिक परामर्श और मार्गदर्शन प्रदान करने के इच्छुक हैं और जो अध्ययन, कार्य या यात्रा के लिए विदेश जाना चाहते हैं। इस तरह के विदेशी संबंध युवाओं को विदेशों में अपने पैर जमाने में मदद कर सकते हैं क्योंकि वे विदेश में नया भविष्य बनाने की आशा करते हैं।
बारां या सीकर जैसे छोटे शहर में युवा वयस्क हमारे प्रवासी मित्रों के नेटवर्क तक पहुंच सकते हैं और विदेशों में शिक्षा या रोजगार के अवसरों के बारे में पूछताछ कर सकते हैं। जो पहले से ही वहां हैं, वे किसी भी प्रकार की मदद के लिए प्रवासी मित्रों तक पहुंच सकते हैं। हम राज्य के साथ एनआरआर को एकीकृत करके राजस्थान के लोगों का कल्याण सुनिश्चित कर रहे हैं।
नीति में जयपुर में प्रवासी राजस्थानी केंद्र स्थापित करने की परिकल्पना की गई है, जबकि जिलों में एनआरआर प्रकोष्ठों का गठन किया जाएगा। देश-विदेश के चुनिंदा शहरों में राजस्थानी प्रवासी भवन बनाने का भी प्रस्ताव है। नीति के कार्यान्वयन के हिस्से के रूप में प्रत्येक पहल से संबंधित विभिन्न योजनाओं/ कार्यक्रमों/ दिशानिर्देशों को जल्द ही अधिसूचित/लागू किया जाएगा। राजस्थानी, पूरे देश और दुनिया में राजस्थान का प्रतिनिधित्व करते हैं तथा अपने उच्च कौशल और उन जगहों पर उनके योगदान के लिए जाने जाते हैं जहां वे निवास करते हैं। राजस्थान फाउंडेशन की स्थापना 2001 में राज्य सरकार द्वारा की गई थी और यह राजस्थानी डायस्पोरा और देश और विदेश में फैले कई संघों के साथ संबंधों को मजबूत करने और अपनी मातृभूमि के साथ जुड़ाव को बढ़ावा देने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।