नयी दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यम को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। यह पद 1 जून, 2023 को न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अरुण कुमार मिश्रा के कार्यकाल समाप्त होने के बाद से खाली था। उनकी नियुक्ति 18 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गठित एक उच्चस्तरीय समिति द्वारा चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद की गई।
एनएचआरसी में प्रमुख नियुक्तियां
एनएचआरसी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर घोषणा की:
“भारत के माननीय राष्ट्रपति ने श्री न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यम (सेवानिवृत्त) को अध्यक्ष और श्री प्रियंक कानूनगो तथा डॉ. न्यायमूर्ति बिद्युत रंजन सरंगी (सेवानिवृत्त) को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC), भारत का सदस्य नियुक्त किया है।”
कौन हैं न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यम?
न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यम एक सम्मानित न्यायविद् हैं, जिन्होंने अपने कानूनी और न्यायिक करियर में अनेक महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
जन्म: 30 जून, 1958
शिक्षा:
चेन्नई के रामकृष्ण मिशन विवेकानंद कॉलेज से रसायन शास्त्र में स्नातक।
मद्रास लॉ कॉलेज से विधि की पढ़ाई।
कानूनी करियर
16 फरवरी, 1983: बार में शामिल हुए।
मद्रास उच्च न्यायालय में 23 वर्षों तक वकालत की।
1983 से 1987 के बीच वरिष्ठ अधिवक्ताओं के. सर्वभौमन और टी.आर. मणि के साथ काम किया।
सेवा कानून, प्रशासनिक ट्रिब्यूनल, उपभोक्ता फोरम और दीवानी मुकदमों सहित विभिन्न कानूनी क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल की।
न्यायिक करियर
31 जुलाई, 2006: मद्रास उच्च न्यायालय में अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त।
9 नवंबर, 2009: मद्रास उच्च न्यायालय में स्थायी न्यायाधीश के रूप में पुष्टि हुई।
2016: व्यक्तिगत अनुरोध पर आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लिए हैदराबाद न्यायालय में स्थानांतरित।
2019: उच्च न्यायालय के विभाजन के बाद तेलंगाना उच्च न्यायालय में कार्य जारी रखा।
22 जून, 2019: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए।
23 सितंबर, 2019: सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नति।
न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यम का कार्यकाल सेवा कानून, प्रशासनिक मामलों और संवैधानिक विषयों में उनकी विशेषज्ञता के लिए जाना जाता है। मद्रास उच्च न्यायालय में वकालत से लेकर देश की सर्वोच्च अदालत में सेवा तक उनका सफर उनकी न्यायिक कुशलता और समर्पण को दर्शाता है। उम्मीद कर सकते हैं कि एनएचआरसी के अध्यक्ष के रूप में, न्यायमूर्ति रामासुब्रमण्यम अपने व्यापक अनुभव का उपयोग मानवाधिकारों से जुड़े मुद्दों को सुलझाने और न्याय की रक्षा के लिए करेंगे।