जयपुर

पत्रकार का स्वाभिमान उसकी खबरें: प्रभु चावला

हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर जार की ओर से स्वाभिमान से साक्षात्कार कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार प्रभु चावला का सम्बोधन

चित्तौड़गढ़। पत्रकारिता का आत्म सम्मान तभी रह सकता है जब पत्रकार की आत्म निर्भरता होगी। ग्रामीण पत्रकार भारत की आत्मा है और हिन्दुस्तान की पत्रकारिता में अन्य देशों के मुकाबले आज भी दम है। यह पत्रकारिता का ही कमाल है कि भारतीय लोकतंत्र में सत्ता तक परिवर्तन होते रहते है। पत्रकार का स्वाभिमान खबर है और आज की पत्रकारिता खरी नही है। हमने आंख और कान दोनो बंद कर रखे है। उक्त विचार हिन्दुस्तान के दिग्गज पत्रकार प्रभु चावला ने सोमवार को हिन्दी पत्रकारिता दिवस के मौके पर होटल अमृत मंथन में जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन आॅफ राजस्थान (जार) की ओर से आयोजित स्वाभिमान से साक्षात्कार कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता व्यक्त किये।

वरिष्ठ पत्रकार प्रभु चावला ने अपने संबोधन में कहा कि स्वाभिमान की परिभाषा चित्तौड़गढ़ से बेहतर कोई नही दे सकता है। चित्तौड़गढ़ की धरती एवं यहां के वीर वीरांगनाओं को प्रणाम करते हुए उन्होने कहा कि यहां का स्वाभिमान विश्व प्रसिद्ध है। यह मेरे लिए गौरव की बात है कि यहां स्वाभिमान से साक्षात्कार करने का मौका मिला। इस मिट्टी को छूने का मौका मिला। स्वाभिमान के पर्याय वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के वंशज से साक्षात्कार करने का सौभाग्य भी जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन आॅफ राजस्थान के कारण संभव हो पाया है।

मेरी खबर मेरा स्वाभिमान
चावला ने कहा कि ‘‘नो फीयर-नो फेवर’’ की थीम पर काम करने की महत्ती आवश्यकता है। पत्रकार को यह स्वाभिमान होता है कि मेरे पास खबर है और कलम उसकी ताकत है। उसके पास खबर ऐसी है जिसकी दर्शक या पाठक को खबर नही है। पहले खबर छपती थी तो इतनी विश्वसनीयता होती थीे कि खबर छपने के बाद मंत्रियों को इस्तीफा तक देने पर मजबूर होना पड़ता था। पहले पत्रकार निर्धारित करते थे कि किसका साक्षात्कार करना है लेकिन आज जनप्रतिनिधि निर्धारित करते है कि उन्हे किसको साक्षात्कार देना है। सोशल मीडिया के माध्यम से नागरिक पत्रकारिता के रूप में नये युग की शुरूआत हुई है। आज जिस भी हाथ में स्मार्टफोन है वो पत्रकार है, क्योंकि आज सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर हर पल कुछ ना कुछ वायरल हो रहा है।

आज बड़ें शहरों की पत्रकारिता आईसीयू में है, मृत्यु शैया पर है। पत्रकारिता में आई विकृति में सुधार छोटे शहरों एवं गांवों से ही आ सकती है। ग्रामीण पत्रकारों की खबरें आज भी छपती है और उसका असर होता है। दिल्ली जैसे बड़े शहरों पर सिर्फ खबरें परोसी जाती है। पत्रकारिता का स्वाभिमान एवं सम्मान छोटे शहरों एवं गांवों की पत्रकारिता ही है। पत्रकार को हमेषा ‘‘फेवर नन-फीयर नन’’ पर ही हमेशा कार्य करना होगा, तभी निश्पक्ष पत्रकारिता जीवित रह पाएगी। पत्रकारिता में हिन्दुस्तान का भविष्य बहुत अच्छा है और यहां हमेशा पत्रकारिता जिन्दा रहेगी।

आत्मनिर्भरता एवं स्वतंत्रता बेहद जरूरी
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन आॅफ राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष राकेश कुमार शर्मा ने कहा कि पत्रकार की कलम जुर्म के खिलाफ हमेशा आवाज बुलन्द करती आ रही है। चाहे वह आजादी की लड़ाई हो या आजादी के बाद लोकतंत्र की मजबूती, भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम हो, सब ने पत्रकारिता को जीवित रखा। कभी भी चौथे स्तंभ पर आंच नहीं आने दी। तब की पत्रकारिता और आज की पत्रकारिता में परिस्थितियां बदली नही है। अब पत्रकारिता पहले की तरह मिशन नहीं रही है। मीडिया संस्थान ही अपने निजी हितों व स्वार्थ के चलते मीडिया की छवि धूमिल कर रहे हैं। पत्रकारिता को दबाने के लिए हमेशा से ही हथकण्डे अपनाये जाते रहे हैं, लेकिन हमें यही संकल्प लेना है कि हमारी कलम को कभी भी झुकने नही देंगे। स्वागत उद्बोधन जार जिलाध्यक्ष विवेक वैष्णव ने दिया जबकि आभार प्रदर्शन जार प्रदेश महामंत्री संजय सैनी ने व्यक्त किया।

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