जयपुर

प्रदेश भाजपा में शीर्ष की गुटबाजी का असर कार्यकर्ताओं तक, आक्रोश रैली में नहीं जुट पाई उम्मीद के मुताबिक भीड़

जयपुर। प्रदेश भाजपा में शीर्ष स्तर पर चल रही गुटबाजी का असर अब कार्यकर्ताओं तक पहुंच चुका है। इसकी बानगी जयपुर जिला की ओर से आयोजित आक्रोश रैली में देखने को मिली, जबकि रैली में उम्मीद के मुताबिक कार्यकर्ता नहीं पहुंच पाए। गुटबाजी के चलते कुछ विधायक विधानसभा से उठकर रैली में पहुंचे, तो कुछ ने विधानसभा में मौजूद होने के बावजूद रैली को दरकिनार कर दिया। वहीं जयपुर शहर और ग्रामीण के कई बड़े नेताओं ने भी रैली से दूरी बनाए रखी।

भाजपा सूत्रों का कहना है कि रैली में कार्यकर्ताओं की संख्या को लेकर विरोधाभास सामने आ रहा है। कुछ कह रहे हैं कि रैली में करीब 1000 कार्यकर्ता मौजूद रहे, तो कुछ कह रहे हैं कि 300-400 से ज्यादा कार्यकर्ता रैली में नहीं थे। सूत्र बता रहे हैं कि 250 पार्षद, 33 मंडल, 8 मोर्चे और जयपुर शहर व ग्रामीण की टीम होने के बाद भी यदि राजधानी में आयोजित रैली में 300-400 लोग जुटें तो यह बड़े संकट का विषय है। ऐसे में कहा जा रहा है कि भाजपा सरकार के खिलाफ हल्ला नहीं बोल पाए।

रैली में भीड़ नहीं होने के लिए शहर भाजपा को जिम्मेदार बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि करीब एक सप्ताह पूर्व आदर्शनगर के सेवा सदन में आदर्श नगर मंडल सशक्तिकरण की बैठक में शहर अध्यक्ष के खिलाफ नारेबाजी की गई। इस बैठक में शहर अध्यक्ष पर काम नहीं करने व जातिवाद जैसे गंभीर आरोप लगाए गए और विवाद काफी बढ़ कर हाथापाई तक पहुंच गया था। बताया जा रहा है कि कोरोना काल में शहर अध्यक्ष फील्ड में नजर नहीं आए। कहा जा रहा है कि आदर्शनगर मंडल ने इस बैठक में ही जता दिया था कि आक्रोश रैली किस तरह की होगी, लेकिन भाजपा जयपुर शहर के कर्ताधर्ता इसको भांप नहीं सके, जिसके चलते प्रदर्शन फीका रहा। हाल यह हो गया है कि अब तो कार्यकर्ता बैठकों में ही आपस में झगड़ रहे हैं।

बड़े नेताओं पर भी गुटबाजी हावी
कहा जा रहा है कि जयपुर जिले के नेताओं पर भी गुटबाजी हावी रही। वसुंधरा खेमे के बताए जाने वाले पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी, पूर्व विधायक, राजपाल सिंह शेखावत मोहनलाल गुप्ता, सुरेंद्र पारीक, कैलाश वर्मा रैली में नहीं आए। दो विधायक रामलाल शर्मा और निर्मल कुमावत विधानसभा छोड़कर रैली में पहुंचे, लेकिन विधायक कालीचरण सराफ, अशोक लाहोटी और नरपत सिंह राजवी विधानसभा में मौजूद थे, वह रैली में नहीं आए।

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