जयपुर। दशकों चली गुटबाजी के बाद प्रदेश भाजपा में चल रहे घटनाक्रम को देखकर सवाल खड़े हो रहे हैं कि कहीं भाजपा के कुनबे में टूट की शुरूआत तो नहीं हो गई है। इस सवाल ने गुरुवार को उस समय जोर पकड़ लिया, जबकि बारां जिले में भाजपा के बहुमत होने के बावजूद कांग्रेस का जिला प्रमुख बन गया और इसके बाद भाजपा सांसद दुष्यंत सिंह के कार्यालय पर गुस्साए भाजपा कार्यकर्ताओं ने ही हमला बोल दिया। जमकर तोड़-फोड़ और पत्थरबाजी हो गई।
बारां में हुए चुनावों में भाजपा को 25 में से 13 सीटों पर विजय मिली और कांग्रेस के खाते में 12 सीट ही रह गई। इसके बावजूद आज मंत्री प्रमोद जैन भाया अपनी पत्नी उर्मिला जैन को जिला प्रमुख बनवाने में कामयाब हो गए। कांग्रेस का जिला प्रमुख बनने के बाद बारां के भाजपा कार्यकर्ताओं ने सांसद दुष्यंत सिंह के कार्यालय पर पथराव किया गया। कार्यालय में घुसकर कुर्सियां तोड़ी गई, पेड़-पौधे उखाड़ दिए गए। कार्यालय में खड़े वाहनों को नुकसान पहुंचाया गया।
भाजपा में कहा जा रहा है कि इस घटनाक्रम के पीछे काफी गहरे समीकरण हैं। हो सकता है कि यह सीधे भाजपा को अंतिम चेतवनी हो कि या तो समझ जाओ नहीं तो कुनबे में टूट तय है। जब बहुमत के बावजूद जिला प्रमुख बनाने में परेशानी हो सकती है तो भविष्य में विधानसभा चुनावों में भी बहुत कुछ हो सकता है।
भाजपा सूत्र कह रहे हैं कि काफी लंबे अंतराल से प्रदेश भाजपा में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को हाशिये में रखा जा रहा था। बांरा भी राजे के प्रभाव वाला क्षेत्र है और इस बार बारा में दिए गए टिकटों में हो सकता है कि राजे की पूरी सहमति नहीं रही हो। ऐसे में बहुमत के बावजूद जिला प्रमुख का पद हाथ से निकल जाना कोई बड़ी बात नहीं है। संगठन तो जयपुर नगर निगम में पार्षदों की क्रॉस वोटिंग होने और अपने ही पार्षद के महापौर बनने के बावजूद बोर्ड नहीं बचा पाया था।
शाह के दौरे के बाद तेज हुई सियासत
भाजपा सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के जयपुर दौरे के बाद से ही पार्टी में सियासत तेज हो गई है। राजे गुट इसके बाद से ही पूरी तरह से एक्टिव मोड में आ गया है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने प्रदेश भर में दौरे शुरू कर दिए। हालांकि राजे की ओर से कहा जा रहा है कि यह राजनीतिक दौरे नहीं है, लेकिन इन दौरों की मंशा साफ झलक रही है।
लोकसभा में दुष्यंत का बयान कर रहा इशारा
कोटा झालावाड़ से भाजपा के सांसद और राजे के पुत्र दुष्ययंत सिंह अक्सर लोकसभा में शांत ही रहते हैं, लेकिन कुछ ही दिनों पूर्व दुष्यंत ने लोकसभा में कृषि मंत्री पर उनके क्षेत्र की उपेक्षा की बात उठाई थी। हालांकि दुष्यंत की ओर से उठाए गए सवाल सामान्य थे, लेकिन समय के हिसाब से इनका भी गहरा अर्थ लगाया जा रहा है।
जयपुर में चुनाव प्रचार में शहर भाजपा रही नदारद
सूत्रों का कहना है कि नगर निगम जयपुर हेरिटेज के दो वार्डों के चुनावों में एक वार्ड में भाजपा को जीत मिली और एक में हार। जिस वार्ड में भाजपा को जीत मिली, वहां पूरी शहर भाजपा प्रचार में लगी थी, वहीं जहां हार मिली वहां शहर भाजपा प्रचार में नजर नहीं आई। यदि यहां शहर भाजपा जोर लगाती तो, यह सीट भी भाजपा की झोली में आती, क्योंकि जीत का अंतर मात्र 11 वोट का रहा। कहा जा रहा है कि इस सीट पर टिकट राजे गुट के प्रमुख नेता और इस क्षेत्र से पूर्व विधायक व पूर्व प्रदेशाध्यक्ष के नाम पर दिया गया था। इस कारण शहर भाजपा ने इस वार्ड से दूरी बना ली। इसका सीधा अर्थ है कि मामला इस समय बहुत गर्माया हुआ है। ऐसे में अब कहा जा सकता है कि भाजपा के कुनबे में टूट की शुरूआत हो चुकी है।