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भारत जल्द बनाएगा परमाणु शक्ति से चलने वाली पनडुब्बियां: नौसेना प्रमुख

नई दिल्ली। नौसेना प्रमुख एडमिरल डी.के. त्रिपाठी ने घोषणा की है कि भारत जल्द ही परमाणु ऊर्जा से संचालित पनडुब्बियां (SSNs) विकसित करेगा। यह परियोजना भारतीय नौसेना की ताकत में उल्लेखनीय वृद्धि करेगी और ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को नई दिशा देगी। नेवी डे के अवसर पर पुरी में दिए गए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि पहली न्यूक्लियर पावर अटैक सबमरीन के 2036 तक तैयार होने की उम्मीद है। साथ ही, राफेल-एम लड़ाकू जेट और कलवरी श्रेणी की तीन पनडुब्बियों की खरीद को लेकर बातचीत अंतिम चरण में है। नौसेना वर्तमान में 175 युद्धपोतों के निर्माण के लक्ष्य पर काम कर रही है।
परमाणु पनडुब्बी परियोजना पर जानकारी
एडमिरल त्रिपाठी ने बताया कि यह परियोजना 35,000 करोड़ रुपये की लागत से शुरू की जा रही है। शुरुआती धनराशि दो पनडुब्बियों के निर्माण पर खर्च की जाएगी। इस परियोजना के लिए वही मॉडल अपनाया जाएगा, जिसे परमाणु मिसाइल पनडुब्बियों (SSBNs) के निर्माण में उपयोग किया गया था। इसके तहत नौसेना डिजाइन तैयार करेगी और भारतीय रक्षा उद्योग निर्माण में भागीदार होगा।
2036 तक न्यूक्लियर पॉवर अटैक सबमरीन तैयार
एडमिरल के अनुसार, 2036-37 तक पहली SSN पनडुब्बी नौसेना के बेड़े में शामिल हो जाएगी। इस परियोजना में शिप बिल्डिंग सेंटर, बीएआरसी, डिजाइन एजेंसियां, और निजी कंपनियां भाग लेंगी। हाल ही में आयोजित बैठक में परियोजना के रोडमैप को अंतिम रूप दिया गया। उन्होंने बताया कि प्राइवेट सेक्टर की इस परियोजना में महत्वपूर्ण भूमिका होगी, जिससे छोटे और मध्यम उद्योगों को भी लाभ पहुंचेगा।
आत्मनिर्भर भारत के लिए कदम
एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि सरकार को नौसेना की क्षमताओं पर पूरा भरोसा है। उन्होंने यह भी बताया कि अरिहंत परमाणु पनडुब्बी कार्यक्रम के तहत दो परमाणु हथियारों से लैस सबमरीन पहले ही बनाई जा चुकी हैं। SSBN प्रोग्राम में मिली सफलता को ध्यान में रखते हुए SSN प्रोजेक्ट को भी उसी दिशा में आगे बढ़ाया जाएगा।
राफेल एम और कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी पर प्रगति
नौसेना प्रमुख ने कहा कि राफेल एम लड़ाकू विमान और कलवरी श्रेणी की तीन नई पनडुब्बियों की खरीद को लेकर बातचीत अंतिम चरण में है। इसके अलावा, अगले पांच साल ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के लिए महत्वपूर्ण होंगे। भारतीय नौसेना 2047 तक पूरी तरह आत्मनिर्भर बनने के लक्ष्य पर प्रतिबद्ध है।
यह परियोजना न केवल नौसेना की ताकत में इजाफा करेगी बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ को भी मजबूती प्रदान करेगी। एडमिरल त्रिपाठी के अनुसार, यह कदम भारत को समुद्री रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाएगा।

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