अब प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर गहलोत ने साधा केंद्र सरकार पर निशाना, कहा प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत की रैंकिंग भारतीय मीडिया की दुर्दशा का प्रतीक
जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर केंद्र में भाजपा की सरकार पर निशाना साधा है। गहलोत ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा कि प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2022 में भारत की रैंकिंग 180 देशों में 150 वें स्थान पर पहुंच गई है। यह भारतीय मीडिया की दुर्दशा का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद से ही मीडिया के दमन का ऐसा कुचक्र चला है कि मीडिया पूरी तरह केन्द्र सरकार, भाजपा एवं RSS के इशारे पर चल रही है।
मीडिया में इतना भय व्याप्त हो गया है कि निष्पक्षता एवं तर्क के साथ सच दिखाने की बजाय ऐसी कवरेज की जाती है, जिससे इनकी नाराजगी ना मोल लेनी पड़ जाए। आज महंगाई एवं बेरोजगारी के कारण जनता में हाहाकार मचा हुआ है परन्तु इस पर मीडिया में कोई चर्चा नहीं हो रही। सिर्फ धर्म के नाम पर ध्रुवीकरण की ही बहस चलती रहती है।
मीडिया को केन्द्र सरकार के दबाव में ना आकर जनता का साथ देना चाहिए। जब मीडिया आमजन के हित की बात करेगा, तो जनता भी मीडिया का साथ देगी और केन्द्र सरकार की इतनी हिम्मत नहीं होगी कि वो मीडिया पर अंकुश लगा सके, जैसा अभी लगाया हुआ है।
उपनेता प्रतिपक्ष राठौड़ ने किया पलटवार
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ट्वीट के बाद भाजपा की तरफ से उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ ने पलटवार किया और कहा कि लगता है मुख्यमंत्री @ashokgehlot51 जी को मीडिया द्वारा राज्य की लचर कानून व्यवस्था, बेरोजगारी व महंगी-बिजली से त्रस्त जनता के हाहाकार की वास्तविक तस्वीर दिखाना नागवार गुजरा। इसलिए ही वह लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ की निष्पक्षता पर सवालिया निशान खड़ा कर रहे हैं।
राठौड़ ने कहा कि लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ ‘मीडिया’ को नसीहत देने वाले मुख्यमंत्री जी शायद भूल गये हैं कि राज्य सरकार की पहली वर्षगांठ पर उन्होंने ही सरकार की खबरें नहीं चलाने पर अखबारों को सरकारी विज्ञापन नहीं देने की धमकी दी थी।
प्रेस की आजादी की दुहाई देने वाले मुखिया जी को इमरजेंसी का वो काला अध्याय नहीं भुलना चाहिये जब तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने संविधान को ताक पर रखकर पत्रकारिता को कुचल दिया था। लगता है कि मुख्यमंत्री जी ने मीडिया पर निराधार व मनगढ़त आरोप लगाने की प्रतिज्ञा ले रखी है।