लिंगानुपात की स्थिति में सुधार के लिए विभिन्न विभागों को समन्वित प्रयास के निर्देश
जयपुर। राजस्थान में 0 से 6 साल आयु वर्ग में लिंगानुपात का आंकड़ा मात्र 888 है। लिंगानुपात की इस स्थिति को चिंताजनक माना जा रहा है। मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने राज्य में 0 से 6 साल आयु वर्ग के लिंगानुपात की स्थिति को चिंताजनक बताते हुए विभिन्न विभागों को समन्वित प्रयास कर इसे सुधारने के निर्देश दिए।
आर्य मंगलवार को शासन सचिवालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओÓ योजना की स्टेट टास्क फोर्स की बैठक की अध्यक्षता करते हुए अधिकारियों को निर्देशित कर रहे थे।
आर्य ने कहा कि राज्य में वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 0 से 6 साल आयु वर्ग का लिंगानुपात 888 है, जो गंभीर चिंता का विषय है। ऐसे में संबंधित विभाग समन्वित तरीके से सतत जनजागरुकता एवं अन्य सक्रिय प्रयासों से इसमें सुधार लाएं। उन्होंने जिला एवं ब्लॉक स्तर पर टास्क फोर्स की नियमित बैठकें करने, जिलावार आवंटित राशि का खर्च बढ़ाने, सभी स्कूलों में क्रियाशील बालिका शौचालय की सुनिश्चितता करने एवं ग्राम सभाओं के एजेंडे में इस योजना को शामिल कर व्यापक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए। शिक्षा विभाग छह साल से अधिक उम्र की स्कूल नहीं जाने वाली बच्चियों को चिह्नित करें और उन्हें शिक्षा से जोडऩा सुनिश्चित करें।
बैठक में महिला एवं बाल विकास विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रेया गुहा ने योजना की प्रगति से अवगत कराते हुए बताया कि योजना के बेहतर क्रियान्वयन के लिए जिलों की रैंकिंग तय कर सर्वश्रेष्ठ जिलों को पुरस्कृत किया जाना प्रस्तावित है। गुहा ने बताया कि 10 बिन्दुओं के आधार पर जिलों का चयन किया जाएगा। गत सालों में जन्म के समय लिंगानुपात (एसआरबी) में सुधार हुआ है जिसका सकारात्मक असर आगामी जनगणना में दृष्टिगोचर होगा।
इस अवसर पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के शासन सचिव वैभव गालरिया ने बताया कि शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) में साल दर साल समग्र गिरावट के साथ राज्य में पहली बार लड़कियों की आईएमआर लड़कों की तुलना में कम हुई है, जो लिंगानुपात सुधार के लिए अच्छा संकेत है।