जयपुर

वर्ल्र्ड हेरिटेज सिटी तमगे पर स्वच्छता सर्वेक्षण ने खड़े किए सवाल, जयपुर की रैंकिग गिरना खतरनाक, यूनेस्को और पार्लियामेंट्री कमेटी भी उठा चुकी सवाल

28वें पायदान से 32वें और 36वें पायदान पर खिसके जयपुर के दोनों निगम

जयपुर। स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 के परिणाम जारी हो चुके हैं। इंदौर ने एक बार फिर 5618.14 अंक प्राप्त कर पहला स्थान हासिल किया है. जबकि सूरत 5559.21 अंक के साथ दूसरे पायदान पर रहा, लेकिन वर्ल्ड हेरिटेज सिटी अहमदाबाद भी सातवीं रैंकिग पर रहा, लेकिन जयपुर के दोनों नगर निगम सफाई के मामले में पूरी तरह से नाकारा साबित हुए और अपनी पिछली रैंकिंग को भी नहीं संभाल पाए।

राजस्थान में जयपुर हेरिटेज पहले स्थान पर रहा। हालांकि ऑल ओवर रैंकिंग में जयपुर हेरिटेज 3482.08 अंक के साथ 32वें स्थान पर रहा, जयपुर ग्रेटर 3227.86 अंक के साथ 36 वें स्थान पर रहा। जबकि गत वर्ष जयपुर की 28वीं रैंकिंग रही थी। जहां दूसरे कई शहरों को गार्बेज फ्री सिटी के 200 से 600 तक अंक मिले हैं, वहीं जयपुर के दोनों निगमों को इस कैटेगरी में जीरो अंक मिले हैं। रैंकिंग गिरना कुल मिलाकर दोनों नगर निगमों का शर्मनाक प्रदर्शन है। इसके कारण चाहे जो भी रहे हों।

शनिवार को केंद्रीय शहरी मंत्रालय ने स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 का परिणाम जारी हुआ। 2020 की तुलना में राजस्थान का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। पिछली बार जहां प्रदेश के दो शहर टॉप 30 में अपनी जगह बनाने में कामयाब हुए थे, तो वहीं इस बार प्रदेश का एक भी शहर टॉप 30 में शामिल नहीं है।

यूनेस्को और पार्लियामेंट्री कमेटी दे चुकी नसीहत
सर्वेक्षण की रैंकिंग घोषित होने से करीब एक पखवाड़े पूर्व ही यूनेस्को इंडिया की कल्चर हैडै जूनीहॉन जयपुर के दौरे पर आई थी। निगम सूत्रों के अनुसार जूनीहॉन ने दौरे में मौजूद सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों और नगर निगम के अधिकारियों को साफ कह दिया था कि शहर के हैरिटेज को बचाना और उसका संवर्धन करना तो दूर पहले आप शहर की सफाई व्यवस्था को तो सुधार लो। कुछ समय पूर्व पार्लियामेंट्री कमेटी भी जयपुर आई थी। कमेटी को दिखाने के लिए नगर निगमों ने पूरे जयपुर में सफाई करा दी थी, लेकिन लोगों ने कमेटी के सामने नगर निगमों की पोल खोलकर रख दी थी कि यह सफाई सिर्फ कमेटी को दिखाने के लिए कराई गई थी, रोज ऐसी सफाई होती ही नहीं है। इससे साफ है कि यदि शहर की सफाई व्यवस्था में चल रहे भ्रष्टाचार को खत्म नहीं किया गया और सफाई व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन नहीं किए गए तो जयपुर के वर्ल्र्ड हेरिटेज सिटी तमगे पर भी असर हो सकता है, लेकिन न तो शहर के जनप्रतिनिधियों को और न ही अफसरशाही को इसकी परवाह है।

हेरिटेज सिटी की रैंकिंग गिरना शर्मनाक
पूर्व पार्षद अनिल शर्मा का कहना है कि हकीकत में वर्ष भर की सफाई को देखें तो जयपुर इस रैंकिंग के लायक भी नही है। वर्ल्ड हेरिटेज सिटी का तमगा होने के बाद जयपुर की रैंकिंग इतनी नीचे आना दोनों निगमों की बड़ी विफलता है। क्या नगर निगम और अफसरशाही जयपुर आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी के नाम पर कचरे के ढेर ही दिखाना चाहती है? शहर की बदहाल हालत के लिए अधिकारियों के साथ-साथ जनप्रतिनिधि भी बराबर के दोषी हैं।

डोर-टू-डोर सफाई कंपनी बीवीजी इसका सबसे बड़ा कारण है, जिसे जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों का वरदहस्त प्राप्त है। कंपनी को हर महीने करोड़ों रुपए का भुगतान किया जा रहा है, इसके बावजूद शहर साफ नहीं हो पा रहा है, तो साफ है कि दोनों निगमों में सफाई कार्यों में भारी भ्रष्टाचार चल रहा है। सरकार की भी यह बड़ी विफलता है, क्योंकि दो नगर निगम बनाने के बावजूद वह राजधानी को साफ नहीं करा पा रही है। पिछले कार्यकाल में स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने जयपुर नगर निगम को नरक निगम की उपमा दी थी, लेकिन इस कार्यकाल में सरकार ने इस उपमा को चरितार्थ कर दिया है।

नगर निगम ग्रेटर में भाजपा की महापौर प्रत्याशी कुसुम यादव का कहना है कि जयपुर की रैंकिंग गिरने में हेरिटेज के विधायकों की मुख्य भूमिका है। उनको निगम का कांग्रेसीकरण करने और पार्षदों के कराए कार्यों का फीता काटने से फुर्सत नहीं मिल पा रही है। मेयर तो सिर्फ कठपुतली भर हैं और अपने विवेक से कोई कार्य वह कर ही नहीं सकती है। सरकार को राजधानी की सफाई व्यवस्था से कोई लेनादेना नहीं रहा है।

पार्षद विमल अग्रवाल ने कहा कि नगर निगम हेरिटेज में कोई भी व्यवस्था सुचारू रूप से काम नहीं कर रही है। बीवीजी कंपनी सही तरीके से काम नहीं कर रही है। वार्डों में समानीकरण नहीं होने के चलते अधिकांश वार्डों में सफाई व्यवस्था ठप्प है। महापौर अखबारों में तस्वीरें खिंचवाने के लिए दौरे कर रही है और घडिय़ाली आंसू बहा रही है। निगम अधिकारियों और कर्मचारियों की फौज को कार्यों में व्यवस्थित नहीं कर पा रहे हैं। प्रबंधन ऐसा होना चाहिए कि अधिकारी दौरा करें, महापौर को तो दौरे की जरूरत ही नहीं पड़े।

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