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प्राचीन इमारत ‘टाउन हॉल’ पर खर्च कर दिए 10 करोड़, पर्यटकों को देखने को मिल रहे ‘गोबर के पहाड़’

जयपुर। 13 वर्ष पूर्व राजधानी के मानसिंह टाउन हॉल को वर्ल्डक्लास म्यूजियम बनाने का काम शुरू हुआ था, लेकिन करीब 10 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी आज तक यह प्राचीन इमारत खंडहर बनी हुई है और यहां पर्यटकों को सिर्फ गोबर के पहाड़ देखने को मिल रहे हैं।

हैरिटेज पर्यटन के लिए मशहूर राजस्थान की राजधानी में ऐतिहासक स्थलों की दुर्दशा का यह सबसे बड़ा उदाहरण है कि सिरह ड्योढ़ी बाजार में घुसते ही एक ओर तो पर्यटकों को चमचमाता हवामहल दिखाई देता है, वहीं इससे मात्र 200 मीटर दूर राजपूत—ब्रिटिश स्थापत्य में तामीर हुआ मान सिंह टाउन हॉल बदहाल रूप में पर्यटकों को दिखाई दे रहा है।

ऐसे लगे गोबर के पहाड़
टाउन हॉल का पिछला हिस्सा सिरह ड्योढ़ी बाजार में पड़ता है। करीब 13 वर्ष पूर्व इसको वर्ल्डक्लास म्युजियम में बदलने की कवायद शुरू हुई, लेकिन दो—तीन साल में ही काम बंद हो गया। तब से लेकर आज तक इसकी तीसरी मंजिल पर उभरी हुई डिजाइनों पर दिन—रात सैंकड़ों कबूतरों का डेरा जमा है। इन कबूतरों की बीट दूसरी मंजिल की खिड़कियों के छज्जों पर गिरकर जमा होती रहती है और पिछले तेरह सालों में कबूतरों की बीट अब पहाड़नुमा आकृति के रूप में दिखाई देती है।

पर्यटकों में जा रहा गलत संदेश
राजधानी जयपुर के अधिकांश प्रमुख पर्यटन स्थल हवामहल, सिटी पैलेस, जंतर—मंतर, ईसरलाट, वॉल सिटी, गोविंद देव मंदिर, अन्य प्राचीन मंदिर सवाई मानसिंह टाउन हॉल के आस—पास स्थित हैं। वहीं विश्व प्रसिद्ध आमेर महल और नाहरगढ़ के लिए भी रास्ता भी टाउन हॉल से ही गुजरता है, ऐसे में टाउन हॉल के छज्जों पर कबूतरों की बीटों से बने पहाड़ पर्यटकों के सामने प्राचीन इमारतों के संरक्षण और संवर्धन की पोल खोल देते हैं और पर्यटक यहां की गलत छवि अपने साथ लेकर जाते हैं। उल्लेखनीय है कि जयपुर आने वाले 100 फीसदी पर्यटक टाउन हॉल के नजदीक से गुजरते हैं और इस इमारत की बनावट इतनी भव्य है कि उनकी नजर इसकी बदहाल हालत पर पड़ती ही है।

घर में बैठे जिम्मेदार, नहीं कर रहे सार—संभाल
टाउन हॉल को वर्ल्डक्लास म्युजियम में बदलने का जिम्मा आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण को सौंपा गया था। प्राधिकरण का मुख्य कार्यालय भी इसी टाउन हॉल की इमारत में बना हुआ है, लेकिन प्राधिकरण के अफसरों पर न जाने कैसा चश्मा चढ़ा हुआ है कि उन्हें प्राचीन इमारतों की बर्बादी दिखाई नहीं देती है। माना कि यहां होने वाला काम कई वर्षों से बंद पड़ा है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि प्राधिकरण इस इमारत की दरो—दीवार की सफाई ही नहीं कराए। प्राधीकरण हर वर्ष जयपुर के स्मारकों में सफाई और और रख—रखाव के ठेके कराता है। क्या अफसर इन ठेकेदारों से टाउन हॉल के आठ—दस छज्जों की सफाई नहीं करा सकते हैं? यदि टाउन हॉल की सफाई समय पर हो जाए, तो पर्यटक कम से कम प्रदेश के हैरिटेज ट्यूरिज्म की गलत छवि तो अपने साथ नहीं लेकर जाएं।

टाउन हॉल के छज्जों पर लगे गोबर के पहाड़ों की सफाई के संबंध में एडमा के अधिकारियों से पूछा गया, लेकिन अधिकारी इस मामले में कुछ भी बोलने से बचते रहे।

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