जयपुर। चौमूं हाउस सर्किल पर सीवर लाइन के कारण सड़क पर हुए गहरे गड्ढे के बाद अब शहर में जर्जर सीवर लाइनों पर चर्चा गरम है। परकोटे की रियासतकालीन सीवर लाइनों को बदलने के लिए 10 साल पहले आया 400 करोड़ से अधिक का प्रस्ताव राजनीति में अटक गया था, लेकिन पॉश कॉलोनियों सी-स्कीम और बनीपार्क की सीवर लाइनें के भी जर्जर होने के बाद कहा जा रहा है कि शहर को 1400 करोड़ से अधिक का सीवर प्लान चाहिए, ताकि परकोटे के साथ-साथ शहर की सभी जर्जर सीवर लाइनों को बदला जा सके।
सर्किल पर हुए हादसे के बाद निगम अधिकारियों ने मान लिया था कि परकोटे के साथ सी-स्कीम और बनीपार्क की सीवर लाइनें भी जर्जर हो चुकी हैं और इन्हें बदले जाने की जरूरत है। हालांकि दुर्घटना के बाद 800 मीटर सीवर लाइन को बदलने का काम शुरू हो चुका है, लेकिन इससे काम चलने वाला नहीं है, क्योंकि बाहरी कॉलोनियों में भी सीवर जाम की समस्याएं आम हो चुकी है।
ऐसे राजनीति में उलझा 400 करोड़ का प्रोजेक्ट
वर्ष 2010-11 में निगम साधारण सभा की बैठक में मनीष पारीक की अध्यक्षता में परकोटे की जर्जर सीवर लाइनों को बदलने के लिए 483. 83 करोड़ का प्रस्ताव पास किया गया। प्रस्ताव पास होने के बाद यह प्रोजेक्ट कभी हकीकत नहीं बन पाया। पिछले बोर्ड में परकोटे में जर्जर सीवर लाइनों को बदलने के लिए 80 करोड़ का काम कराया गया। उस समय भी इसका मामला उठा था। तब मनीष पारीक ने कहा था कि हमारे बोर्ड में प्रस्ताव पास हुआ था और उस समय कांग्रेस की सरकार ने इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया था।
उधर उस समय महापौर रही ज्योति खंडेलवाल ने कहा था कि प्रस्ताव पास होने के बाद टेंडर प्रक्रिया की गई थी और टेंडर होने के बाद वर्कआर्डर पास होने के लिए सरकार के पास भेजा था, लेकिन उस समय सरकार बदल गई थी और भाजपा सरकार ने इस प्रस्ताव पर ध्यान नहीं दिया। कुल मिलाकर जनता की भलाई के लिए पास यह प्रस्ताव राजनीति में उलझ गया।
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का फंड बन सकता है सहायक
शहर में चल रहा स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट परकोटे की विरासत के लिए नासूर बन गया है। प्रोजेक्ट का ऐसा कोई भी काम नहीं रहा, जिसपर विवाद न हो या फिर जनता, व्यापारियों ने विरोध नहीं किया हो। स्मार्ट सिटी के अधिकारी दिशाहीनता के शिकार है और उन्हें यह पता नहीं है कि शहर की जरूरत क्या है। ऐसे में यह स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का फंड शहर की रियासतकालीन सीवर लाइनों को बदलने में सहायक हो सकता है।
सरकार या तो सीवर लाइन बदलने के पुराने प्रस्ताव पर वर्तमान जरूरतों के हिसाब से थोड़ा-बहुत चेंज कर कार्य शुरू कराए या फिर नया प्रस्ताव बनाकर स्मार्ट सिटी के पैसे से सीवर लाइनों को बदलवाए, ताकि दशकों से उफनती सीवर के दंश से जनता को निजात मिल सके।
बोर्ड बैठक में करेंगे चर्चा
पूर्व उपमहापौर और हैरिटेज नगर निगम में वार्ड 58 से पार्षद मनीष पारीक का कहना है कि परकोटे की सीवर लाइनों की स्थिति सरकार से छिपी हुई नहीं है, इसमें सुधार की दरकार है। आबादी को देखते हुए आठ इंच की सीवर लाइन को 2 फीट की लाइन में बदलना जरूरी हो गया है। सरकार पैसे का रोना बंद करे और इस काम में सहयोग कराए। हम बोर्ड की बैठक में इस मुद्दे को उठाएंगे।
पुराना प्रस्ताव पास हो जाए तो भी बहुत राहत हो जाएगी
पूर्व महापौर ज्योति खंडेलवाल का कहना है कि पॉप्यूलेशन डेंसिटी को देखते हुए सीवर लाइनें बदलना जरूरी हो गया है। हैरिटेज बोर्ड को इस दिशा में काम करना चाहिए। सी-स्कीम, बनीपार्क के लिए सरकार नया प्रस्ताव बना सकती है, लेकिन परकोटे की स्थितियों को देखते हुए पुराने प्रस्ताव पर ही तुरंत काम होना चाहिए। परकोटे के लिए नया प्रस्ताव बनाने में टाइम लगेगा, इसलिए पुराने प्रस्ताव पर ही विचार करना चाहिए, क्योंकि उसमें डीपीआर बनी हुई है।
पूरे जयपुर की सीवर लाइनों की जांच कराएंगे
परिवहन मंत्री और सिविल लाइन विधानसभा क्षेत्र से विधायक प्रताप सिंह खाचरियावास का कहना है कि पूरे शहर में जहां भी सीवर लाइनें खराब हैं, उन्हें चैक कराके, दुर्घटनाओं के होने से पहले उन्हें बदलने का काम किया जाएगा। जहां भी जरूरत पड़ेगी, सीवर लाइनों को बदला जाएगा।