राजस्थान में गहलोत मंत्रिमंडल फेरबदल और राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई है। कांग्रेस हाईकमान के निर्देश पर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अजय माकन बुधवार से दो दिन कांग्रेस व सरकार को समर्थन देने वाले विधायकों से वन टू वन चर्चा (discussion) करेंगे।
विधानसभा के मुख्यमंत्री कार्यालय में होने वाले इस संवाद के दौरान माकन एक-एक विधायक से कांग्रेस सरकार व संगठन के कामकाज की रिपोर्ट लेंगे। इसके साथ ही मंत्रीमंडल विस्तार, राजनैतिक नियुक्तियां व संगठन विस्तार को लेकर जिलेवार विधायकों से बात करेंगे। कहा जा रहा है कि संवाद के दौरान माकन द्वारा कुछ प्रश्न तैयार किए है जिसके आधार पर विधायकों से राय ली जाएगी।
विधायकों व विधायक प्रत्याशी रहे कांग्रेस नेताओं से मंत्रणा के बाद माकन एक बार फिर मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिहं डोटासरा से चर्चा करेंगे। इस बीच माकन के जयपुर पहुंचने से पहले ही मंगलवार शाम को सचिन पायलट दिल्ली चले गए। उनके अचानक दिल्ली जाने को लेकर भी पार्टी में कई तरह कयास लगाए जा रहे हैं।
इधर जयपुर में मंगलवार शाम को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गुट भी सक्रिय हो गया। मुख्य सचेतक महेश जोशी की अगुवाई में कई कांग्रेस व निर्दलीय विधायकों ने देर रात सीएम से मुलाकात की।
माकन पहले दिन नौ घंटे तक चलने वाले फीडबैक कार्यक्रम में जयपुर, कोटा और भरतपुर संभाग के विधायकों से वन-टू-वन बातचीत करेंगे। उसके बाद गुरुवार को उदयपुर, जोधपुर, बीकानेर और अजमेर संभाग के विधायकों से बातचीत करेंगे। विधायकों से वन टू वन के दौरान राजनीतिक मसलों को लेकर बात होगी। इनमें मंत्रियों की परफार्मेंस के साथ ही संगठनात्मक और राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर भी उनकी राय जानी जाएगी। माकन विधायकों से कांग्रेस को भविष्य में मजबूत करने के सुझाव भी लेंगे।
माकन का विधायकों से संवाद का कार्यक्रम में कुल 119 विधायक हिस्सा लेंगे। जिनमें 106 कांग्रेस के विधायक, इनमें बसपा से आए छह विधायक भी शामिल है। इसके अलावा 13 निर्दलीय विधायक जो सीएम के करीबी है उनको भी रायशुमारी में बुलाया गया है।
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार प्रदेश सरकार व संगठन में चल रहे गतिरोध को खत्म करने के लिए पार्टी हाईकमान ने माकन को तीन सवाल सुझाए हैं, जिनके जवाब विधायकों से लेने है। बताया जा रहा है कि हर विधायक को सात मिनट का समय दिया जाएगा। इस दौरान उनसे तीन बिदुंओं पर राय ली जाएगी। पहला सरकार व मंत्रियों के कामकाज से जुड़ा हो सकता है, दूसरा जिला अध्यक्ष व नियुक्ति से लेकर और तीसरा कांग्रेस के संबंध में हो सकता है जिसमे पूछा जा सकता है कि प्रदेश में कांग्रेस किस नेता के नेतृत्व में मजबूत होगी।