जयपुर

3 दिन में जयपुर से नहीं उठा 45 सौ टन कचरा (trash), वैकल्पिक (alternate) व्यवस्था के लिए आयुक्त (commissioner) ने बुलाई बैठक उपायुक्तों के नहीं पहुंचने से करनी पड़ी रद्द, आयुक्त ने सफाईकर्मियों से हड़ताल (strike)समाप्त करने का आग्रह किया

जयपुर नगर निगम ग्रेटर में कांग्रेस की सरकार और भाजपा के बोर्ड के बीच चल रही जंग के बाद अब आयुक्त (commissioner) यज्ञमित्र सिंह देव को शहर की सफाई (cleaning) की चिंता सताने लगी है। शहर में डोर-टू-डोर कर रही विवादित कंपनी बीवीजी की तीन दिनों से चल रही हड़ताल (strike) के कारण शहर से 45 सौ टन कचरा नहीं उठ पाया।

इसी को देखते हुए आयुक्त ने शनिवार को सफाई की वैकल्पिक व्यवस्था के लिए सभी उपायुक्तों की बैठक बुलाई थी, लेकिन अधिकांश उपायुक्त किसी न किसी कारण से बैठक में नहीं आ पाए। ऐसे में बैठक तो नहीं हो पाई, लेकिन आयुक्त मुख्यालय में धरने पर बैठे सफाईकर्मचारियों के बीच पहुंच गए और उनसे हड़ताल खत्म करने का आग्रह किया।

निगम सूत्रों का कहना है कि शुक्रवार को हुए विवाद के बाद आयुक्त घबराए हुए हैं, लेकिन उन्हें विवाद की कोई चिंता नहीं है, बल्कि उन्हें शहर की सफाई को लेकर चिंता है, क्योंकि सफाई कार्य कराने की जिम्मेदारी उनकी है। यदि कोरोना काल में सफाई नहीं होती और संक्रमण (Infection) बढ़ता है तो जिम्मेदारी उनकी ही तय होगी।

वैकल्पिक व्यवस्था की इस लिए तैयारी
सूत्रों का कहना है कि भुगतान नहीं होने के चलते बीवीजी ने हड़ताल कर रखी है, वहीं दूसरी ओर मेयर भुगतान के बिलों पर साइन करने को तैयार नहीं है। कंपनी को भुगतान के लिए यदि आयुक्त सरकार से फंड की मांग करते हैं, तो सरकार से भी फंड मिलने में कुछ दिनों का समय लग सकता है, ऐसे में साफ दिखाई दे रहा है कि हड़ताल लंबी खिंच सकती है और शहर की सफाई व्यवस्था चरमराने के साथ संक्रमण बढ़ने का खतरा है। इसी लिए अब आयुक्त ने वैकल्पिक व्यवस्था के लिए बैठक बुलाई थी।

निगम के सफाईकर्मियों से मिलेगा सहारा
बैठक में उपायुक्तों के नहीं आने पर आयुक्त निगम के सफाई कर्मचारियों के धरने में पहुंच गए और उन्हें हड़ताल खत्म करने के लिए मनाया, क्योंकि यदि बीवीजी के बाद निगम के सफाई कर्मचारी भी आयुक्त के समर्थन में लंबी हड़ताल पर चले जाते तो शहर की सफाई व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो जाती और इसका दोष भी आयुक्त को ही भुगतना पड़ता।

निगम के संसाधनों से उठेगा कचरा
कोरोना की खतरनाक दूसरी लहर के बीच शहर से बड़ी मात्रा में कचरा नहीं उठना गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि शहर में होम आइसोलेट कोरोना मरीजों का कचरा भी डोर-टू-डोर के जरिए उठवाया जा रहा है, ऐसे में कचरा नहीं उठने से शहर में संक्रमण बढ़ने का बड़ा खतरा है। ऐसे में अब जब तक बीवीजी कंपनी का मसला सुलझ नहीं जाता, तब तक नगर निगम ग्रेटर अपने संसाधनों और सफाईकर्मियों के जरिए शहर में खुले पड़े कचरे को उठवाएगा। ग्रेटर के 100 हूपर, 20 डंपर, 6 ट्रेक्टर ट्रॉली, 7 जेसीबी रविवार सुबह से कचरा उठाने में जुट जाएंगे।

दंगल में कूदी सरकार
महापौर सौम्या गुर्जर और आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव के बीच काफी समय से चल रही रस्साकशी में अब सरकार भी कूद गई है। स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने शुक्रवार को हुए हंगामे की जांच के आदेश दे दिए हैं। मंत्री के आदेशों को हाथापाई के आरोपित पार्षदों के निलंबन की प्राथमिक कार्रवाई माना जा रहा है और कहा जा रहा है कि सरकार जांच के बाद इन पार्षदों के खिलाफ कोई कड़ा एक्शन ले सकती है।

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