जयपुर

प्रदेश की 30 जिला स्तरीय पेयजल जांच प्रयोगशालाओं (drinking water testing laboratories) को मिला ‘एनएबीएल एक्रीडिशन’

पंचायत समिति मुख्यालयों पर 102 ब्लॉक स्तरीय लैब्स भी स्थापित होगी

जयपुर। राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में आमजन को स्वच्छ पेयजल (clean drinking water) आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए पीने के पानी की गुणवत्ता जांच से सम्बंधित सुविधाओं के विस्तार पर लगातार फोकस किया जा रहा है। प्रदेश में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (PHED) के तहत 33 में से 30 जिला मुख्यालयों पर कार्यरत जिला स्तरीय पेयजल गुणवत्ता जांच प्रयोगशालाओं के ‘एनएबीएल एक्रीडिशन’का कार्य पूरा कर लिया गया है। प्रदेश में चालू वित्तीय वर्ष में 102 नई ब्लॉक स्तरीय पेयजल गुणवत्ता जांच प्रयोगशालाएं भी स्थापित होगी।

30 जिला प्रयोगशालाओं को मिला एक्रीडिशन
जलदाय मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने बताया कि प्रदेश में जल जीवन मिशन (JJM) के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में वर्ष 2024 तक सभी परिवारों को ‘हर घर नल कनेक्शन’ उपलब्ध कराने के साथ ही वाटर क्वालिटी मॉनिटरिंग एंड सर्विलियंस (WQMS) प्रोगाम में पेयजल गुणवत्ता की दृष्टि से राज्य सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर प्रयास किए जा रहे हैं।

अब तक 30 जिलों अजमेर, अलवर, बांसवाड़ा, बारां, बाड़मेर, भरतपुर, भीलवाड़ा, बीकानेर, बूंदी, चूरू, दौसा, धौलपुर, डूंगरपुर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, जयपुर, जैसलमेर, जालौर, झालावाड़, झुंझुनूं, जोधपुर, करौली, कोटा, नागौर, पाली राजसमंद, सीकर, सिरोही, टोंक एव उदयपुर की जिला स्तरीय पेयजल गुणवत्ता जांच प्रयोगशालाओं का ‘एनएबीएल एक्रीडिशन’करा लिया गया है।

शेष तीन जिलों में चितौडग़ढ़ एवं सवाईमाधोपुर की प्रयोगशालाओं के लिए ऑडिट प्रक्रिया पूरी हो गई है, इनको इसी माह ‘एनएबीएल एक्रीडिशन’ का दर्जा मिल जाएगा, जबकि प्रतापगढ़ की लैब केलिए आवेदन कर दिया गया है।

ऐसे होता है एक्रीडिशन
देश में एनएबीएल (नेशनल एक्रीडिशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड केलिब्रेशन लेबोरेट्रीज) जांच प्रयोगशालाओं के प्रमाणीकरण के लिए राष्ट्रीय स्तर की एक स्वतंत्र संस्था है। इसके द्वारा आईएसओ/आईईसी 17025 के तहत परीक्षण प्रयोगशालाओं को एनएबीएल प्रमाणीकरण दिया जाता है।

यह संस्था भारत सरकार में ‘क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया’ के तहत स्थापित है, जो लेबोरेट्रीज के ‘एनएबीएल एक्रीडिशन’ के लिए थर्ड पार्टी एजेंसी के रूप में प्रयोगशालाओं की लीगल आइडेंटिटी, इसमें कार्यरत मानव श्रम की संख्या के साथ ही उनकी योग्यता और अनुभव, उपकरणों के समयबद्ध केलिब्रेशन (जांच में दक्षता की परख) आदि बिन्दुओं के आधार पर ‘परफॉर्मेंस ऑडिट के बाद प्रमाणीकरण करती है।

मोबाइल प्रयोगशालाओं का भी संचालन
डॉ. कल्ला ने बताया कि जयपुर में स्थापित राज्य स्तरीय पेयजल जांच प्रयोगशाला को भी ‘एनएबीएल एक्रीडिशन’ मिला हुआ है। राज्य सरकार द्वारा जयपुर में मोबाइल जांच प्रयोगशाला भी संचालित है, जिसके एनएबीएल ‘रिकग्निशन’ की कार्यवाही चल रही है, जो इसी माह पूरी हो जाएगी।

जयपुर, कोटा, अजमेर और उदयपुर संभाग के 20 अन्य जिलों में भी आउटसोर्सिंग के माध्यम से पेयजल गुणवत्ता जांच के लिए मोबाइल प्रयोगशालाओं का संचालन किया जा रहा है। आउटसोर्सिंग के जरिए संचालित इन सभी 20 जिला प्रयोगशालाओं के एनएबीएल ‘रिकग्निशन’ की कार्यवाही भी प्रगति पर है।

पानीपेच में बनेगा राज्य स्तरीय प्रयोगशाला का नया भवन
कल्ला ने बताया कि प्रदेश में डब्ल्यूक्यूएमएस के तहत वर्ष 2020-21 की वार्षिक योजना में 67 करोड़ रुपए की राशि का प्रावधान किया गया है। इसके तहत मौजूदा वित्तीय वर्ष में ही राज्य के 353 पंचायत समिति मुख्यालयों में से 102 में ब्लॉक स्तरीय पेयजल गुणवत्ता जांच प्रयोगशालाएं स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है।

पीएचईडी के तहत जयपुर में चल रही राज्य स्तरीय प्रयोगशाला का नया भवन बनाने के लिए 3 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी गई है, स्टेट लेबोरेट्री का यह भवन पानीपेच में बनाया जाएगा, इसके लिए स्थान चिह्नित कर लिया गया है। सभी प्रयोगशालाओं में आवश्यकता अनुसार अपग्रेडेशन का कार्य भी प्रगति पर है।

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