जयपुर

भारतीय संस्कृति में देह की नहीं ध्येय की सुंदरता का महत्व -संत विजय कौशल, राजभवन में दिव्य रामकथा का दूसरा दिन

जयपुर। प्रसिद्ध संत विजय कौशल जी महाराज ने राजभवन में दूसरे दिन राम कथा में सुंदर काण्ड का पाठ शुरू करते हुए इसके प्रसंगों की विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारतीय जीवन दर्शन में देह को नहीं ध्येय को सुंदर बताया गया है। उन्होंने कहा कि तुलसीदास जी ने हनुमान जी को सुंदर बताया है क्योंकि उनके रोम-रोम में राम विराजित हैं।

राज्यपाल कलराज मिश्र ने आरम्भ में रामचरितमानस का पूजन करने के साथ ही सन्त विजय कौशल महाराज का अभिनन्दन किया। उन्होंने राज्य की प्रथम महिला सत्यवती मिश्र सहित उनके परिजनों के साथ रामकथा का आस्वाद किया। बड़ी संख्या में गणमान्यजन और श्रद्धालुओं ने भी रामकथा सुनी।

इससे पहले संत विजय कौशल महाराज ने दूसरे दिन की कथा शुरू करते हुए यह पंक्तियां सुनाई ‘जानें बिनु न होइ परतीती। बिनु परतीति होइ नहिं प्रीती॥ ‘ उन्होंने इसका तात्पर्य स्पष्ट करते हुए कहा कि प्रभु से प्रेम करने के लिए प्रभु चरित्र के बारे में जानना जरुरी है, क्योंकि बिना जाने विश्वास नहीं जमता और विश्वास के बिना प्रेम नहीं होता। उन्होंने आगे श्रीराम का स्वभाव बताते हुए कहा कि- ‘अति कोमल रघुबीर सुभाऊ, जद्यपि अखिल लोक कर राऊ ‘ अर्थात् राम तीन लोक के स्वामी होते हुए भी अत्यंत सरल स्वभाव के हैं।

संत ने दूसरे दिन की कथा में राम के अयोध्या से वनवास के लिए जाने के बारे में बताते हुए कहा कि संतान को ‘उचित सिखावन ‘ यानी अच्छी बातें सिखानी चाहिए जैसी माता कौशल्या और माता सुमित्रा ने अपने पुत्रों को सिखाई थीं। उन्होंने आगे कहा कि ‘रामहि केवल प्रेम पियारा, जानि लेहु जो जानहि हारा ‘, ‘हरि व्यापक सर्वत्र समाना, प्रेम से प्रकट होई मैं जाना ‘। उन्होंने कहा कि भक्ति में संकल्प, नियम और निष्ठा का बहुत महत्व है। इससे ईश्वर से आसक्ति एवं प्रेम स्वत: ही उत्पन्न हो जाता है।

Related posts

जयपुर में फिर रुका रिंग रोड का काम: जमीन की अब तक की कवायद बेकार

Clearnews

दैनिक भास्कर (Dainik Bhaskar) और भारत न्यूज चैनल (Bharat News Channel) के ठिकानों पर आयकर विभाग (Income tax Department) के छापे (Raids) , विरोध में संसद (Parliament) के दोनों सदनों में हंगामा और स्थगन

admin

गुर्जर आरक्षण पर मंत्रीमण्डलीय समिति की बैठक सम्पन्न

admin