दो बड़े टिकट घोटाले होने के बावजूद रुक नहीं रही धांधलियां
मामला उजागर होने पर छोटों पर गिर रही गाज, अधिकारी सेफ
धरम सैनी
जयपुर। भ्रष्टाचार के लिए बदनाम पुरातत्व विभाग के अधिकारी स्मारक टिकटों में हेराफेरी कर अपने महल खड़े करने में लगे हैं। ज्यादा कमाई वाले स्मारकों पर कुछ सेटिंगबाज अधिकारी दशकों से जमे हैं और उनकी छत्रछाया में टिकटों में आए दिन घोटाले कर सरकारी राजस्व को चूना लगाया जा रहा है। हैरानी की बात यह है कि विभाग में दो बड़े टिकट घोटाले उजागर होने के बावजूद टिकटों में हेराफेरी नहीं रुक पा रही है और अधिकार दम भर रहे हैं कि ऊपर तक माल पहुंचाते हैं, हमें इस पद से कौन हटा सकता है। पूर्व के टिकट घोटालों में छोटे कर्मचारियों पर गाज गिरी, तो आए दिन उजागर होने वाले घोटालों में भी छोटे कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई कर मामलों को रफा-दफा कर दिया जाता है और सेटिंगबाज अधिकारी पाक दामन साबित हो जाते हैं।
ताजा मामला नाहरगढ़ फोर्ट का सामने आया है, जहां प्रदेश के बाहर से आए छात्रों को पूरे टिकट के पैसे लेकर स्टूडेंट टिकट पकड़ा दिया गया। छात्रों ने विरोध किया तो उन्हें धक्के मारकर फोर्ट से बाहर कर दिया गया। छात्रों ने 4 सितंबर को इस मामले का वीडियो सोश्यल मीडिया पर वायरल कर दिया। मामला बढ़ता देख विभाग के अधिकारियों ने एक होमगार्ड के जवान को वापस लाइन में भेज दिया, वहीं विभाग के एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का तबादला मुख्यालय कर उससे स्पष्टीकरण मांगा गया है।
वीडियो वायरल होने के बाद पुरातत्व विभाग में एक बार फिर टिकटों में घोटाले की चर्चाएं आम हो गई हैं। निचले स्तर के कर्मचारी कह रहे हैं कि अधिकारियों की सरपरस्ती में टिकटों में धांधली होती है और खामियाजा छोटे स्तर के कर्मचारियों को भुगतना पड़ता है, विभाग अपने अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं करता, जिसका साफ अर्थ है कि टिकट घोटालों में विभाग के ऊपर तक के अधिकारी मिले हुए हैं। पिछले करीब पंाच-छह वर्षों में नाहरगढ़ में पर्यटकों की भारी भीड़ आने लगी है, लेकिन यहां विभाग ने नियमित नियुक्ति करने के बजाए अल्बर्ट हॉल अधीक्षक को ही अतिरिक्त प्रभार सौप रखा है। अल्बर्ट हॉल अधीक्षक यहां पूरे समय नहीं बैठते हैं, ऐसे में कोई भी घटना सामने आने के बाद अधिकारियों को बचाव का बहाना मिल जाता है कि अतिरिक्त प्रभार के चलते वह पूरा समय नहीं दे पा रहे हैं और घटना की गाज कर्मचारियों पर गिर जाती है।
आज तक पूरी नहीं हुई जांच
वर्ष 2014-15 में पुरातत्व विभाग में बड़ा टिकट घोटाला उजागर हुआ था। इस घोटाले में टिकट वेंडिंग मशीनों में हेराफेरी कर सरकार को करीब 1 करोड़ रुपए के राजस्व का चूना लगाया गया था। यह घोटाला जयपुर स्थित केंद्रीय संग्रहालय अल्बर्ट हॉल और विश्व विरासत स्थल जंतर-मंतर में पकड़ में आया था। इस घोटाले में दो बाबुओं पर गाज गिरी थी, लेकिन अधिकारी साफ बच निकले थे। इस घोटाले की जांच विभाग में अभी तक ठंड़े बस्ते में पड़ी है।
एक घोटाले की जांच में सामने आया दूसरा घोटाला
पुरातत्व विभाग के जयपुर स्थित स्मारकों के लिए पूर्व में छपे हुए कम्पोजिट टिकट चलते थे, जिन्हें बाद में बंद कर दिया गया। कंपोजिट टिकट मामले में एक विदेशी महिला पर्यटक की शिकायत पर एसीबी ने आमेर महल पर टे्रप की कार्रवाई आयोजित की गई थी। एसीबी की टीम महल की पार्किंग में पहुच गई थी, लेकिन कुछ विवाद के कारण पूरे महल में हल्ला हो गया कि एसीबी की रेड पड़ी है। विवाद के दौरान विभाग के अधिकारियों ने महल से नकली टिकट गायब कर दिए। बाद में यह मामला ठंड़ा पड़ गया, लेकिन टिकट वेंडिंग मशीन में हेराफेरी कर हुए घोटाले की जांच के दौरान जंतर-मंतर के स्टोर रूम की तलाशी में एक ही सीरियल नंबर की दो से तीन काउंटर स्लिप बरामद हुई थी। इनकी बरामदगी आज भी पुरातत्व विभाग के रिकार्ड में बोल रही है। इसका मतलब है कि विभाग के अधिकारी नकली टिकट बेच कर सरकार को चूना लगा रहे थे, लेकिन कंपोजिट टिकट मामले को विभाग के उच्चाधिकारियों ने दबवा दिया और आज तक इस मामले में कोई जांच नहीं हुई है। इन दोनों घोटालों में आमेर महल, नाहरगढ फोर्ट, जंतर-मंतर और अल्बर्ट हॉल संग्रहालय के अधिकारियों की भूमिका साफ नजर आती है, इसके बावजूद अधिकारियों पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।