इसरोहैदराबाद

आधी रात को धरती मां का आंचल छोड़ चंद्रयान निकल पड़ा मामा चांद की ओर

चंद्रयान ने सोमवार आधी रात को धरती से विदा ले ली है और यह चांद की कक्षा में पहुंच गया हैा यहां से यान तीन लाख किलोमीटर की अपनी यात्रा के अंतिम चरण में पहुंच गया है। पांच अगस्त के बाद चंद्र्रमा पर लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू की जाएगीा । चंद्रयान-3 चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने से महज 6 दिन दूर है। सोमवार आधी रात जो मैनुअर यानी प्रक्रिया पूरी की गई, वह 28 से 31 मिनट की थी। सही समय और दूरी देखकर स्पेसक्राफ्ट में लगे थ्रस्टर्स को फायर किया गया। इस समय चंद्रयान-3 धरती की दीर्घ वृत्ताकार कक्षा में परिक्रमा कर रहा है और इसकी स्पीड एक किमी प्रति सेकेंड और 10.3 किमी प्रति सेकेंड के बीच है। आगे बढ़ने के लिए स्पेसक्राफ्ट को तेज वेलॉसिटी की जरूरत होगी।
दरअसल, परिक्रमा करते समय किसी भी उपग्रह या यान की दो महत्वपूर्ण दशाएं होती हैं। एक ऐसा पॉइंट (एपोगी) जब यान पृथ्वी से काफी करीब होता है और दूसरा पॉइंट (पेरिगी) जब वह धरती से सबसे दूर होता है। पेरिगी पर वेग सबसे ज्यादा (10.3 किमी प्रति सेकेंड) होता है और एपोगी पर सबसे कम। नए पाथ पर जाने के लिए वेलॉसिटी सबसे ज्यादा चाहिए होगी। चांद की तरफ जाने के लिए इसके ऐंगल को भी बदलना होता है।
पूरी प्रक्रिया समझिए
पहले से तय प्रक्रिया के अनुसार थ्रस्टर्स के फायर होने से करीब 5-6 घंटे पहले यान का मार्ग बदलने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। दिशा बदलने में हेल्प करने के साथ ही थ्रस्टर्स से यान की वेलॉसिटी बढ़ा दी गई। बाद में, चंद्रयान-3 की वेलॉसिटी पेरिगी पर 0.5 किमी प्रति सेकेंड बढ़ने की संभावना है। यान को 1.2 लाख किमी की दूरी तय करने में औसतन 51 घंटे लगेंगे।
धरती से इतना दूर है चांद
धरती और चांद के बीच औसत दूरी 3.8 लाख किमी है लेकिन किसी निश्चित दिन वास्तविक दूरी धरती और चांद की पोजिशन के आधार पर बदल सकती है। यह दूरी 3.6 लाख किमी से लेकर 4 लाख किमी के बीच हो सकती है। चांद की कक्षा में पहुंचना मिशन का एक हिस्सा है। इसरो 2008 में ही चंद्रयान-1 सैटलाइट वहां पहुंचा चुका है और 2019 में चंद्रयान-2 गया था। इस बार चंद्रयान-3 चांद पर उतरने जा रहा है। पिछली बार क्रैश लैंडिंग हुई थी।
चांद की कक्षा में करेगा कई मैनुअर
चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद इसरो को कई मैनुअर करने होंगे। स्पेसक्राफ्ट को 100 किमी की ऊंचाई पर ले जाकर लैंडिंग मॉड्यूल को अलग किया जाएगा। वह तारीख होगी 17 अगस्त और 23 अगस्त को भारत का यान चांद को चूमने के लिए आगे बढ़ेगा।

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