राजस्थान में 40 सीटें ऐसी हैं, जहां पर मुस्लिम मतदाता 40 हजार से लेकर 1 लाख तक हैं। इसे देखते हुए अब दोनों ही प्रमुख दलों से आबादी के हिसाब से टिकट देने की मांग जोर पकड़ रही है।
राजस्थान में 40 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां पर अल्पसंख्यक खासतौर पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में है। बावजूद इसके, कांग्रेस और बीजेपी मुस्लिम समाज को टिकट देने में कंजूसी बरतते रहे हैं। हालांकि इन सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 40 हजार से लेकर 1 लाख तक है।
दोनों ही प्रमुख दलों की ओर से कुछ ही सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं को टिकट देकर इतिश्री कर ली जाती है और शेष सीटों पर अन्य उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतार दिया जाता है। वहीं, अब दोनों ही प्रमुख दलों से जुड़े मुस्लिम नेताओं ने आबादी के हिसाब से टिकट देने की मांग जोर-शोर से उठाना शुरू कर दिया है, और इसे लेकर बीजेपी और कांग्रेस के शीर्ष नेताओं तक भी बात पहुंचाई गई है।
भाजपा के मुकाबले कांग्रेस ने दिए ज्यादा दिकट
भाजपा के मुकाबले कांग्रेस बीते तीन विधानसभा चुनावों से एक दर्जन से ज्यादा मुस्लिम नेताओं को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारती रही है। साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में जहां कांग्रेस ने 14 मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा था तो वहीं भाजपा ने केवल एक सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट दिया था।
इन सीटों पर मुस्लिमों का बाहुल्य
आदर्श नगर, किशनपोल, हवामहल, सिविल लाइंस, टोंक, सवाईमाधोपुर, धौलपुर, पुष्कर, मसूदा, अजमेर शहर, अलवर ग्रामीण, तिजारा, लक्ष्मणगढ़, रामगढ़, कामां, नगर, बीकानेर पूर्व, सरदार शहर, सूरसागर, शिव, चैहटन, पोकरण, कोटा उत्तर, लाडपुरा, गंगापुरसिटी, मकराना, चूरू, फतेहपुर, धौलपुर, नागौर, मकराना, डीडवाना, मंडावा, नवलगढ़, नागौर, झुंझुनूं, सीकर, दांतारामगढ़ जैसे विधानसभा क्षेत्र हैं।