दुर्घटनादेहरादून

110 घंटे, 40 जिंदगियां, अनगिनत प्रयास, टनल में हर पल जगती-मरती आस

उत्तरकाशी में सिल्क्यारा टनल में फंसे 40 मजदूर हर पल मौत से जंग लड़ रहे हैं, इन्हें निकालने के लिए कई टीमों के साथ 200 से ज्यादा लोग 24 घंटे जुटे हुए हैं। अब मजदूरों तक रास्ता बनाने के लिए अमेरिकन ऑगर मशीन मंगाई गई है। राहत दल का प्रयास है कि स्टील के पाइप से इन सभी मजदूरों को किसी भी तरह बाहर निकाल लिया जाए।
उत्तरकाशी में टनल के बाहर खड़ा हर शख्स दुआएं मांग रहा है, राहत दल बचाव की कोशिशों में जुटे हैं और अंदर फंसे 40 मजदूर बाहर आने की आस में हर पल मौत से जंग लड़ रहे हैं। उत्तराखंड की ये टनल पूरे देश की उम्मीदों का केंद्र बन चुकी है। राहत दल और मजदूरों के बीच मलबे की 70 मीटर चैड़ी दीवार है। बार-बार ये आस जगती है कि राहत दल मजदूरों के पास पहुंच जाएगा, लेकिन हर बार ही निराशा हाथ लगती है। मुसीबत की बात ये है कि अब अंदर फंसे मजदूर भी धैर्य खोने लगे हैं और बाहर उनके साथी भी जिम्मेदारों पर अपना गुस्सा निकालने से पीछे नहीं हट रहे।
उत्तरकाशी में सिल्क्यारा टनल धंसने से 40 मजदूर इसमें फंस गए थे। यह हादसा 12 नवंबर को सुबह चार बजे हुआ था। इसके बाद से लगातार इन मजदूरों को बाहर निकालने का प्रयास किया जा रहा है। अब बचाव कार्य के लिए अमेरिकन ऑगर्स मशीनों को लगा दिया गया है। राहत दल का दावा है कि सब कुछ ठीक रहा तो 10 से 15 घंटे में मजदूरों को रेस्क्यू कर लिया जाएगा। इसके लिए एक स्टील पाइप की मदद ली जाएगी। इसी पाइप की मदद से मजदूर बाहर आएंगे।
12 नवंबर को हुआ था हादसा
हादसे के बाद सबसे पहले बचाव दल ने टनल से मलबा हटाने का प्रयास किया, मजदूरों को लगा कि वे सकुशल बाहर आए जाएंगे, लेकिन मलबा हटाया नहीं जा सका। इसके बाद मलबे में ड्रिल कर एक पाइप के जरिए मजदूरों तक खाना-पानी और ऑक्सीजन पहुंचाई गई। 14 नवंबर को राहत एवं बचाव दल ने एक बार फिर मजदूरों को बाहर निकालने की कोशिश की, इस बार 35 इंच के डायमीटर का एक स्टील पाइप अंदर डालने की कोशिश की गई, ताकि मजदूर इसके जरिए बाहर आ सकें। इसके लिए ऑगर ड्रिलिंग मशीन और हाइड्रोलिक जैक की मदद ली गई, लेकिन ये प्रयास भी सफल नहीं हुआ।
टनल के बाहर मजदूरों का टूट रहा धैर्य
इसका कारण ये था कि ये मलबे में 45 मीटर तक ही जा सकती थी। इसके अलावा एस्केप टनल बनाते समय ये मशीन भी खराब हो गई थी। 15 नवंबर को टनल के बाहर इकट्ठे मजदूरों का धैर्य जवाब देने लगा, इन मजदूरों ने रेस्क्यू ऑपरेशन में देरी का आरोप लगाते हुए हंगामा किया, इसके बाद बचाव दल ने अपनी कोशिशों को बदला और दिल्ली से अमेरिकन ऑगर मशीन मंगवाने की बात कही।
16 नवंबर को सुबह भारतीय वायु सेना का दल हरक्यूलिस विमान से अमेरिकन ऑगर मशीन लेकर उत्तराखंड पहुंचा, इसके बाद इसे इंस्टाल करने की प्रक्रिया शुरू हुई और एक बार फिर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया गया। अब इसी कोशिश पर सारी उम्मीदें टिकी हुई हैं।
यह है ऑगर मशीन की खासियत
टनल से मजदूरों को बाहर निकालने के लिए ऑगर मशीन गुरुवार सुबह भारतीय वायुसेना के विमान से उत्तराखंड पहुंचाई गई। नेशनल हाईवे एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड यानी छभ्प्क्ब्स् के डायरेक्टर अंशू मनीष खलखो की मानें तो यह मशीन 25 टन हैवी है, जो प्रति घंटे पांच से छह मीटर तक ड्रिल कर सकती है। हालांकि यह टनल की परिस्थितियों पर निर्भर करता है मलबा कैसा है या इसके और धंसने के कितने चांस हैं। हालांकि वे दावा करते हैं कि यदि मशीन से काम किया तो अगले 12 से 15 घंटे में इन मजदूरों को सकुशल बाहर निकाला जाएगा।
धामी ने ली मीटिंग, केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह पहुंचे
गुरुवार को अमेरिकन ऑगर मशीन इंस्टाल होने के बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों के साथ एक मीटिंग भी की। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री वीके सिंह गुरुवार को उत्तरकाशी पहुंचे और टनल का जायजा लिया। उन्होंने बताया कि मजदूर टनल के अंदर 2 किमी हिस्से में हैं। वहां खानी-पानी भेजा जा रहा है, अमेरिकन ऑगर मशीन काम पर जुट चुकी है जो पुरानी मशीन से काफी बेहतर है।
थाईलैंड के एक्सपर्ट से ली जा रही मदद
उत्तरकाशी में बचाव के लिए नेशनल हाईवे एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड के अलावा बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन और आईटीपी समेत 200 से ज्यादा लोगों की टीम लगातार जुटी है। राहत दल लगातार थाईलैंड, नार्वें समेत अन्य देशों के एक्सपर्ट से भी मदद ली जा रही है, टीम थाईलैंड के उस विशेषज्ञ के संपर्क में भी है, जिसने 18 दिन तक गुफा में फंसी फुटबॉल टीम की जान बचाई थी।

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