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भाजपा के चाणक्य का बयान, जातिगत जनगणना की राह हुई आसान

जातिगत जनगणना से ही भाजपा पहुंच पाएगी 4 सौ के पार

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा हालिया दौर में जातिगत जनगणना का विरोध कर रहे हैं लेकिन अंदरखाने तय हो चुका है कि पांच राज्यों के लोकसभा चुनावों के बाद जातिगत जनगणना का काम शुरू किया जाएगा। अब यह मुद्दा केवल बिहार तक सीमित नहीं रहा है। कांग्रेस ने इसे राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया है और भाजपा इस मुद्दे को भुनाने से चूकेगी नहीं। भाजपा अगले लोकसभा चुनावों में 400 पार पर काम कर रही है। कांग्रेस की ओर से जातिगत जनगणना को जोरदार तरीके से उठाए जाने के बाद भाजपा और संघ ने जब इस पर मंथन किया, तो सामने आया कि 65 फीसदी ओबीसी वोटर को साधे बिना 400 सीटों के पार नहीं जाया जा सकता है। ऐसे में गहन मंथन के बाद भाजपा के सुर बदल गए हैं।
भाजपा के चाणक्य अमित शाह ने कुछ ही दिनों पूर्व तेलंगाना में घोषणा की थी कि अगर यहां भाजपा बहुमत में आई तो मुख्यमंत्री का पद ओबीसी वर्ग को मिलेगा। सोचने वाली बात है कि क्या शाह अपने दम पर ऐसी घोषणा कर सकते हैं? हरगिज नहीं। इस बयान से पहले भी शाह के छत्तीसगढ़ और बिहार में दिए गए बयान चर्चा के विषय बन रहे हैं और कहा जा रहा है कि भाजपा अब ओबीसी व जातिगत जनगणना को लेकर अपना ट्रेक धीरे—धीरे बदल रही है। अभी चाणक्य के बयान शुरू हुए हैं लेकिन पांच राज्यों के चुनाव के बाद भाजपा के सभी वरिष्ठ नेताओं की जुबान पर ओबीसी और जातिगत जनगणना ही होगी।
तेलंगाना की तरह छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के जातीय गणना कराने के मुद्दे पर अमित शाह का कहना था कि ‘हम राष्ट्रीय राजनीतिक दल हैं, वोटों की राजनीति नहीं करते हैं, सभी से चर्चा करके जो उचित निर्णय होगा उसे हम जरूर करेंगे।’ शाह ने कहा कि’भारतीय जनता पार्टी ने कभी इसका विरोध नहीं किया, लेकिन ऐसे मुद्दों पर सोच-समझकर निर्णय करना पड़ता है, उचित समय आने पर हम बताएंगे।’ और यह उचित समय पांच राज्यों के चुनावों के बाद और लोकसभा चुनाव से पूर्व का समय है।
जानकारी के अनुसार जातिगत जनगणना की समीक्षा के लिए भाजपा की ओर से 2 नवंबर को ही उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की गई थी। दिल्ली में हुई इस बैठक में भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, डिप्टी सीएम, राज्यों के प्रदेशाध्यक्ष, विधानमंडल दल के नेता व अन्य वरिष्ठ नेताओं को बुलाया गया था। इसी बैठक में तय हो गया बताते हैं कि भाजपा अब जातिगत जनगणना का विरोध नहीं करेगी बल्कि विधानसभा चुनावों के बाद जनगणना की पहल शुरू कर देगी। जातीय जनगणना पर अमित शाह के छत्तीसगढ़, बिहार और तेलंगाना में बयान देने से पहले पूरी तैयारी कर ली गई थी।

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