धरम सैनी
राजस्थान विधानसभा चुनावों के एक साल पहले से लेकर अभी तक कयास लगाए जा रहे थे कि राजस्थान भाजपा में बगावत हो सकती है। बगावत करने वाले कांग्रेस का साथ लेकर प्रदेश में सरकार बना सकते हैं लेकिन ताजा हालातों में भाजपा में बगावत एकदम बेमानी लगती है। अगर किसी ने बगावत की कोशिश की तो कईयों की फाइलें खुल जाएंगी और सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा।
भाजपा में बगावत की बात सिर्फ कयासभर ही नहीं थे, बल्कि हकीकत में भी बदल सकती थी, लेकिन भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के पॉवरफुल होने के कारण अब बगावत कभी हकीकत नहीं बन सकती है। राजनीतिक हलकों में कहा जा रहा है कि चुनाव परिणाम आते ही भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व काफी चौकन्ना हो गया था और उनकी पूरी नजर बगावत के खेल पर ही थी। इस बगावत को रोकने के लिए उन्होंने काफी पहले से तैयारियां कर रखी थी।
सूत्रों के अनुसार चुनाव परिणाम आने के बाद जैसे ही बगावती सुर बुलंद होने लगे, ठीक उसी समय पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी का ट्वीट सामने आ गया। कहा जा रहा है कि अभी ऐसे कुछ बयान ओर आ सकते हैं। बगावत का यह खेल कांग्रेस की मदद से पूरा होना था। ऐसे में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से राजस्थान कांग्रेस की गर्दन पर तलवार रख दी गई। यह ट्वीट एक तरह से राजस्थान कांग्रेस को चेतावनी थी कि सुधर जाओ, कोई गड़बड़ की तो कईयों की फाइलें खुल जाएंगी।
भाजपा सूत्रों के अनुसार इसी दौरान कुछ भाजपा विधायकों के सीकर रोड स्थित एक होटल में ठहरने की बात भी दिल्ली तक पहुंच गई और केंद्रीय नेतृत्व सख्त हो गया कुछ को दिल्ली तलब कर लिया गया। इसके बाद से ही भाजपा के विधायकों के सुर एकदम से बदल गए। बगावत की जो चिंगारी सुलगने लगी थी, उसपर तत्काल पानी डाल दिया गया। सबको समझ में आ गया कि भाजपा केंद्रीय नेतृत्व के आगे पार नहीं पाई जा सकती है। ऐसे में दिल्ली दरबार में ढोक लगाने के अलावा कोई चारा नहीं बचा। रिवाज बदलने का दम भरने वाले कांग्रेस के नेताओं ने भी भाजपा में बगावत की बात को भूलकर अपनी ही पार्टी में ध्यान लगाना शुरू कर दिया है।
बगावत का फन कुचलकर भाजपा केंद्रीय नेतृत्व राजस्थान में सर्वेसर्वा बन चुका है। अब भाजपा के सामने राजस्थान में कोई परेशानी नहीं है और वह किसी को भी राजस्थान का राज सौंप सकते हैं। अब उनका फोकस सिर्फ इसी बात पर है कि ताजपोशी का ज्यादा से ज्यादा फायदा लोकसभा चुनावों में उठाया जा सके।