जयपुरराजनीति

राजस्थान में राज बदला, रिवाज बदलने के लिए भाजपा को मुख्यमंत्री के चेहरे से करनी होगी शुरुआत

धरम सैनी
राजस्थान की जनता ने अपना जनादेश सुना दिया और परंपरा के अनुसार राज बदल दिया। भाजपा पिछले तीन सालों से प्रदेश में रिवाज बदलने पर मंथन कर रही थी। अब वह सत्ता हाथ आने के बाद वह प्रदेश के ‘एक बार भाजपा—एक बार कांग्रेस’ के रिवाज को बदलने के लिए काम कर सकती है। यह काम एकाएक नहीं होगा, बल्कि उसे अभी से ही इस काम में जुटना होगा। इस काम की शुरुआत राजस्थान में मुख्यमंत्री के चेहरे से करनी होगी।
राजस्थान ही नहीं देश के कई अन्य राज्यो में हर बार सरकार बदल देने का रिवाज चल रहा था। भाजपा ने सबसे पहले इसपर काम उत्तर प्रदेश में किया। उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तो योगी आदित्यनाथ को आगे किया गया। योगी ने राजनीति की धारा के विपरीत जाकर काम किए। सरकार बनते ही मक्खियों की तरह भिनभिनाने वाले दलालों, बिल्डरों, ठेकेदारों और सूटकेस दिखाकर काम कराने वालों को दूर कर दिया। भ्रष्टाचार और क्राइम पर रोक लगाई और भाजपा की हिन्दुत्व वाली विचारधारा को सबसे आगे रखा। योगी के पहले शासन काल के दौरान वीआईपी संस्कृति को दूर किया गया और सरकार खुद चलकर आम जनता के पास गई। इससे आम जनता में भाजपा के प्रति विश्वास बढ़ा। जनता को आस जगी कि मोदी—योगी हैं तो सबकुछ मुमकिन है। इन्हीं कारणों के बूते भाजपा ने उत्तर प्रदेश में रिवाज पलटकर फिर से सरकार बनाई।
गरीब को गणेश मना तो मिला फायदा
मध्यप्रदेश की बात करें तो यहां भी हर बार सरकार में बदलाव का रिवाज था। पिछले चुनावों में कांग्रेस ने यहां सरकार बनाई थी, लेकिन कुछ समय बाद भाजपा ने जोड़—जुगाड़ कर अपनी सरकार बना ली। मुख्यमंत्री बने ‘मामा’ शिवराज सिंह। हो सकता है कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से योगी मॉडल का इशारा शिवराज सिंह को दिया गया हो, या फिर शिवराज ने अपनी राजनीतिक समझ के कारण योगी मॉडल के फायदे देख लिए हों। ऐसे में पिछले तीन साल के दौरान मध्यप्रदेश में भी योगी मॉडल की अक्षरश: पालना की गई।
जनता ने भर दी भाजपा की झोली
सरकार बनते ही मामा ने प्रदेश की आम जनता के लिए काम करना शुरू कर दिया। बिल्डरों, दलालों, ठेकेदारों और सूटकेस संस्कृति को दूर कर दिया। गरीब को गणेश माना और हिन्दुत्व के मुद्दे को सबसे आगे रखा। जमकर बुलडोजर चलाए गए, चाहे वह धार्मिक मामले हों या फिर क्राइम कंट्रोल करने के लिए। वीआईपी संस्कृति को छोड़कर सरकार आम जनता को फायदा पहुंचाने वाली योजनाओं को लेकरी आई। आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों के लिए योजना बनाई और काम किया गया। इसका नतीजा यह निकला कि जनता ने चुनावों में भाजपा की झोली सीटों से भर दी और रिवाज को पलट कर रख दिया।
मौका मिले, क्यों बदलेंगे रिवाज
राजस्थान में भी भाजपा लंबे समय से रिवाज पलटने की बात कर रही थी और यह तभी संभव हो सकता था, जबकि प्रदेश में भाजपा की सरकार बने। अब भाजपा को यहां बहुमत मिल गया है, तो रिवाज पलटने की तैयारी भी अभी से ही शुरू करनी होगी। सबसे पहले मुख्यमंत्री ऐसा होना चाहिए जो वीआईपी संस्कृति को दूर करके आम जनता के लिए काम कर सके। जो दलालों, बिल्डरों, ठेकेदारों और सूटकेस वालों को दूर करके आम जनता के लिए काम कर सके। भाजपा कार्यकर्ता भी यही चाहते हैं कि आम जनता के काम करने वाली सरकार यहां बने। भाजपा के चुनावी कार्यक्रमों में हर जगह बुल्डोजर की एंट्री कराकर कार्यकर्ताओं ने भी साफ कर रखा है कि हमें राजस्थान में योगी का बुल्डोजर मॉडल ही चाहिए।
यहां भी लागू हो सकता है योगी मॉडल
पांच राज्यों में से तीन बड़े राज्यों में जीत दर्ज कर भाजपा सत्ता में आई है, लेकिन तीनों ही राज्यों में अभी तक मुख्यमंत्री की घोषणा नहीं हो पाई है। लोगों को मुख्यमंत्री घोषणा का बेसब्री से इंतजार है, वहीं भाजपा केंद्रीय नेतृत्व इस मामले में कोई जल्दबाजी नहीं दिखा रहा है। मध्यप्रदेश में तो योगी मॉडल चल रहा है, हो सकता है कि केंद्रीय नेतृत्व राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी रिवाज ​बदलने के लिए योगी मॉडल अपनाने पर विचार कर रहा हो। ऐसे में इन दोनों राज्यों में मुख्यमंत्री के चुनाव के लिए वह विशेष सावधानी बरत रहा हो।
केंद्र की मजबूत रहेगी पकड़
भाजपा सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव पार्टी के लिए कोई बड़ी बात नहीं है। जब राज्यों के चुनाव मोदी के नाम पर जीते हैं तो लोकसभा चुनावों में तो मोदी का ही चेहरा सबसे आगे रहने वाला है। ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व प्रदेश में किसी को भी मुख्यमंत्री बना सकता है। अगर किसी पुराने चेहरे को मुख्यमंत्री बनाया जाता है, तो उसे फ्रीहैंड नहीं मिल पाएगा। मुख्यमंत्री नया चेहरा हो या पुराना, केंद्र की नकेल उसपर रहेगी। केंद्री की नीतियों और निर्देशों पर ही मुख्यमंत्री को काम करना होगा।

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