दक्षिण के कई राज्यों समेत देश में कोविड के बढ़ते मामलों को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने विभिन्न राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक की। इसमें टेस्टिंग बढ़ाने, सर्विलांस सिस्टम को मजबूत करने और सभी केसों की रिपोर्टिंग करने को कहा गया है।
स्वास्थ्य मंत्री मांडविया ने कहा, ‘हमें सतर्क रहने की जरूरत है, घबराने की नहीं।’ चीन, ब्राजील, जर्मनी और अमेरिका में कोविड मामलों की बढ़ती संख्या का जिक्र करते हुए मांडविया ने कोविड के नए और उभरते वेरिएंट से निपटने के लिए तैयार रहने और सतर्क रहने की अहमियत पर जोर दिया है।
उन्होंने कहा कि फेस्टिव सीजन को देखते हुए सतर्कता जरूरी है। कोविड अभी खत्म नहीं हुआ है। निगरानी बढ़ानी होगी। केंद्र की ओर से राज्यों को पूरा सहयोग किया जाएगा। राज्यों से कहा गया है कि वे टेस्टिंग में तेजी लाएं। कोविड पॉजिटिव और निमोनिया जैसी बीमारी के ज्यादा से ज्यादा सैंपल रोजाना आधार पर लैब में भेजें, ताकि जीनोम सिक्वेंसिंग से नए वेरिएंट का पता लगाया जा सके।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अस्पताल की तैयारियों के लिए ‘मॉक ड्रिल’ करना, निगरानी बढ़ाना और लोगों से बातचीत जरूरी है। उन्होंने हर तीन माह में सभी अस्पतालों में ‘मॉक ड्रिल’ करने की जरूरत बताई। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव सुधांश पंत ने बैठक में कहा कि दुनिया के अन्य देशों की तुलना में भारत में कोविड के एक्टिव केस काफी कम हैं।
92 फीसदी से ज्यादा मरीज घर पर ठीक
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी. के. पॉल ने बताया कि कोविड के सब वेरिएंट के अभी देश में 21 मामले हैं। कोविड के देश में 2311 एक्टिव केस हैं। मंगलवार को 519 केस आए। नए वेरिएंट से घबराने वाली बात नहीं है, क्योंकि इस वेरिएंट की फैलने की क्षमता तो ज्यादा है, लेकिन बीमारी हल्की होती है। खांसी-जुकाम होता है। दो हफ्ते में 16 लोगों की मौत हुई है, लेकिन इन लोगों को पहले से कई अन्य गंभीर बीमारियां थीं। किसी को दिल की बीमारी थी तो किसी को कैंसर था। कोविड स्वरूप बदलता है। देश को सतर्क रहना पड़ेगा।
दो सप्ताह में पॉजिटिव मामले तेजी से बढ़े
मीटिंग में प्रेजेंटेशन के जरिए बताया गया कि भारत में एक्टिव केस ग्लोबल लेवल की तुलना में काफी कम हैं। दो सप्ताह में पॉजिटिव मामले तेजी से बढ़े हैं। यह 6 दिसंबर, 2023 को 115 आए, जो 20 दिसंबर को 614 हो गए। यह 21 मई के बाद एक दिन में नए केस की सबसे ज्यादा संख्या है। हालांकि इनमें 92.8 प्रतिषत मामले होम क्वारंटाइन हैं, जो हल्की बीमारी का संकेत है। कोविड के कारण अस्पताल में भर्ती होने की दर में कोई बढ़ोतरी नहीं देखी गई है। जो भर्ती हैं भी, उसकी दूसरी मेडिकल वजहें हैं। केरल, महाराष्ट्र, झारखंड और कर्नाटक जैसे कुछ राज्यों में पॉजिटिव रेट बढ़ा है।
नए वेरिएंट के अब तक 21 केस, गहराई से हो रही जांच
देश में कोविड के नए सब वेरिएंट के अब तक 21 केस आए हैं, जिनमें 18 मामले गोवा से हैं। इस वेरिएंट के बारे में बताया गया कि इसकी गहन वैज्ञानिक जांच चल रही है, लेकिन अभी चिंता का कारण नहीं है। इस वेरिएंट से प्रभावित मरीज बिना किसी जटिलता के ठीक हो गए हैं। भारत में वैज्ञानिक समुदाय इस नए वेरिएंट की जांच कर रहा है। अभी राहत की बात यह है कि हल्के लक्षण हैं और अस्पतालों में भर्ती होने की जरूरत कम पड़ रही है। इसका पहला केस केरल में 8 दिसंबर को सामने आया था। 79 वर्षीय महिला की त्ज्-च्ब्त् जांच में इस वेरिएंट का पता चला। वह अब ठीक भी हो चुकी हैं।
डबल्यूएचओ ने बताया, वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना के इस वैरिएंट के तेजी से बढ़ते मामलों के बीच इसे ‘वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ घोषित किया है। डब्यूएचओ ने साथ ही कहा कि इससे लोगों को ज्यादा खतरा नहीं है। जानकारों ने कहा कि यह वेरिएंट कोविड-19 के बाकी वेरिएंट की तुलना में इम्यून सिस्टम को आसानी से भेद सकता है, लेकिन अब तक ऐसे सबूत सामने नहीं आए हैं, जिससे माना जाए कि इस वेरिएंट से गंभीर खतरा है। हालांकि इस वेरिएंट के गंभीर संक्रमण में मौजूदा टीके प्रभावी नहीं होंगे। पहली बार इस वेरिएंट की पहचान लग्जमबर्ग में की गई थी।
दिल्ली में कोविड के 4 नए मरीज एडमिट
कोविड के नए सब वेरिएंट के गिनती के मामले सामने आए हैं, लेकिन एक बार फिर से कोविड को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। हालांकि, एक्सपर्ट की राय में नए सब वेरिएंट से डरने की जरूरत नहीं है। लेकिन उन्होंने पहले से बीमार और बुजुर्ग मरीजों को अलर्ट रहने और कोविड बिहेवियर का पालन करने की सलाह दी है। इस बीच दिल्ली में 24 घंटे के अंदर कोविड संक्रमित 4 अन्य मरीजों के एडमिट होने की सूचना है। दिल्ली सरकार के कोविड कोरोना डैशबोर्ड पर जारी आकड़ों में होली फैमिली अस्पताल में 4 मरीज एडमिट हुए हैं। एक दिन पहले मंगलवार तक केवल 8 मरीजों के एडमिट होने की सूचना थी। इन 12 मरीजों में से 2 मरीज वेंटिलेटर पर हैं।
बचाव के लिए एन-95 मास्क जरूर लगाएं
पीएसआरआई इंस्टिट्यूट ऑफ पल्मोनरी में क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन के अध्यक्ष प्रोफेसर जी सी खिलनानी के अनुसार, 15 दिसंबर को लैंसेट में एक रिसर्च में जेएन.1 वेरिएंट के बारे में बताया गया था, जिसमें बताया गया कि यह वायरस शरीर में मौजूद इम्यूनिटी को चकमा देने में कामयाब रहता है। हालांकि, इससे डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि कोरोना एक आरएनए वायरस है और आने वाले समय में इसके और अधिक वेरिएंट के बारे में पता चलेगा।