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राम मंदिर, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के बाद अब बनाया अटल सेतु… इस कंपनी पर देश को क्यों इतना भरोसा..!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही मुंबई ट्रांस-हार्बर लिंक यानी अटल सेतु का उद्घाटन किया। यह देश का सबसे लंबा पुल है और इंजीनियरिंग का एक नमूना है। इसका अधिकांश निर्माण इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की सबसे दिग्गज कंपनी लार्सन एंड टुब्रो ने किया है। एक नजर इस कंपनी के इतिहास पर…
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस मुंबई ट्रांस-हार्बर लिंक का उद्घाटन किया, इसे अटल सेतु नाम दिया गया है। करीब 17,840 करोड़ रुपये की लागत से बना यह लिंक भारत का सबसे लंबा पुल है। इसे इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की सबसे दिग्गज कंपनी लार्सन एंड टुब्रो ने बनाया है। इस कंपनी की स्थापना आजादी से पहले हुई थी। डेनमार्क से आए दो इंजीनियरों ने इस कंपनी को बनाया था और आज यह दुनिया की टॉप कंस्ट्रक्शन कंपनियों में से एक है। इसने भारत और दुनिया में कई प्रोजेक्ट बनाए हैं। इनमें गुजरात में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, नरेंद्र मोदी स्टेडियम और राउरकेला में बिरसा मुंडा हॉकी स्टेडियम शामिल है। कंपनी अयोध्या में भगवान राम का मंदिर भी बना रही है।
अटल सेतु
अटल सेतु यानी मुंबई ट्रांस-हार्बर लिंक देश का सबसे लंबा पुल है। करीब 17,840 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बना यह पुल 21.8 किमी लंबा है। समुद्र के ऊपर इसकी लंबाई लगभग 16.5 किमी और जमीन पर लगभग 5.5 किमी है। इसके निर्माण में 177,903 मीट्रिक टन स्टील और 504,253 मीट्रिक टन सीमेंट का इस्तेमाल किया गया है। यह अपने आप में इंजीनियरिंग का एक बेजोड़ नमूना है। इसका 14 किमी लंबा हिस्सा एलएंडटी ने बनाया है। इसमें भारत में पहली बार ऑर्थोट्रॉपिक स्टील डेक का इस्तेमाल किया गया है। मरीन कंस्ट्रक्शन और अंडरवाटर पाइलिंग के लिए एडवांस्ड टेक्नीक्स का यूज किया गया।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
गुजरात के केवड़िया में नर्मदा नदी के किनारे सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण भी इसी कंपनी ने किया है। 182 मीटर ऊंची यह दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति है। इसे पूरा करने के लिए 300 इंजीनियरों और 3000 श्रमिकों ने लगभग साढ़े तीन साल तक काम किया था। इसे बनाने के लिए 70,000 टन सीमेंट, 25,000 टन स्टील, और 12,000 कॉपर पैनल का इस्तेमाल किया गया है। स्टैच्यू के अंदर चार हाई-स्पीड लिफ्ट हैं। इसे इस तरह डिजाइन किया गया है कि भूकंप के तेज झटके या 60 मीटर/सेकेंड जितनी हवा की रफ्तार भी इस प्रतिमा का कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी।
नरेंद्र मोदी स्टेडियम
अहमदाबाद में दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम बनाने का श्रेय भी इसी कंपनी को जाता है। नरेंद्र मोदी स्टेडियम में 110,000 दर्शकों के बैठने की व्यवस्था है। ओडिशा के राउरकेला में दुनिया का सबसे बड़ा हॉकी स्टेडियम भी एलएंडटी ने बनाया है। साथ ही, कंपनी ने कतर में अहमद बिन अली स्टेडियम और बारबाडोस के ब्रिजटाउन में केनसिंगटन ओवल स्टेडियम बनाया है। 2011 में वानखेडे स्टेडियम की क्षमता में विस्तार का काम भी इसे ही सौंपा गया था। 2006 में कंपनी ने चेन्नई में जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम को रेकॉर्ड 260 दिन में तैयार किया था।
राम मंदिर
अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर का निर्माण भी यही कंपनी कर रही है। दावा किया जा रहा है कि 1000 साल तक कोई आंधी-तूफान या भूकंप-बाढ़ इस मंदिर को नहीं हिला नहीं पाएगा। राम मंदिर में 22 जनवरी को भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा होगी, जिसके बाद मंदिर आम लोगों के लिए खुल जाएगा। इसे पूरी तरह से पत्थरों से बनाया जा रहा है। इसमें सीमेंट और लोहे का न्यूनतम इस्तेमाल हुआ है।
कैसे हुई शुरुआत
एलएंडटी की शुरुआत डेनमार्क से आए दो इंजीनियरों हेनिंग होलोक लार्सन और सोरेन क्रिश्चियन टुब्रो ने की थी। साल 1946 में इसकी स्थापना मुंबई में एक छोटे से कमरे से हुई थी और आज दुनिया के 30 से ज्यादा देशों में अपनी सेवाएं देती है। कंपनी इंजीनियरिंग और कंस्ट्रक्शन के अलावा कंपनी टेक्नोलॉजी, फाइनेंशियल सर्विसेस और आईटी सेक्टर में काम करती है।

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