उत्तर प्रदेश में अपराधियों के साथ सख्ती से निपटा जा रहा है। हालांकि सख्ती इतनी अधिक है कि मारे डर के कुछ अपराधी तो स्वयं आकर कहने लगे हैं कि हमें गिरफ्तार कर लिया जाए। उन्हें डर यह है कि कहीं उनके आपराधिक रिकॉर्ड पर सख्ती दिखाते हुए पुलिस किसी मुठभेड़ के नाम पर उनकी जीवन लीला ही समाप्त ना कर दे। उत्तर प्रदेश में पुलिस जिस तरह सख्त हुई है, उसे देख कर व्यंग्यात्मक तौर पर अब प्रदेश को मुठभेड़ राज्य भी कहा जाने लगा है।
अपराधियों में यह दहशत और आमजन में विश्वास विकसित हुआ है उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) प्रशांत कुमार के कारण। द प्रिंट को दिये साक्षात्कार में उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि राज्य में अपराधियों से सख्ती से निपटा जाता है, चाहे वे किसी भी धर्म या जाति के हों।
हालांकि, कुमार ने कहा कि मुठभेड़ में पुलिसकर्मी भी मारे गए हैं। उन्होंने कहा, “हमने अपने सैनिक भी खोये है लेकिन ये पेशेवर खतरे हैं। अगर कोई अपराधी हम पर गोली चला रहा है तो हम जवाबी कार्रवाई करते हैं। हताहत किसी भी तरफ से हो सकता है।”
उन्होंने कहा, “अगर ज़रूरी हुआ तो हम कानून द्वारा सशक्त हैं और कुछ दिशानिर्देश हैं जिनका हर पुलिस कार्रवाई के बाद पालन करना होता है।” उन्होंने बहुत साफ शब्दों में कहा कि “पुलिसकर्मियों को हथियार सिर्फ सजाने के लिए नहीं दिए गए हैं।”
कुमार ने इन आरोपों से भी इनकार किया कि यूपी में ज्यादातर मुठभेड़ों में एक विशेष समुदाय को निशाना बनाया जाता है। उन्होंने कहा कि पुलिस अपराधियों से निपटने में “निष्पक्ष” रही है। उन्होंने कहा, “अपराधियों से निपटते समय, हम कोई भेदभाव नहीं करते. अगर कोई ऑपरेशन चल रहा हो तो आप यह नहीं चुन सकते कि कौन किस समुदाय से है और किस जाति से है।”