भारतीय.पुलिस सेवा के सेवानिवृत्त्त अधिकारी अजित डोभाल को तीसरी बार भारत का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार के गठन के बाद से ही इस बात पर अटकलें लगायी जा रही थीं कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद पर अजित डोभाल को ही नियुक्त किया जाएगा या फिर किसी अन्य व्यक्ति को यह महत्वपूर्ण पद दिया जाएगा। लेकिन, पीएम मोदी ने एक बार अजित डोभाल पर ही भरोसा जताते हुए, उन्हें ही यह पद सौंपने का फैसला किया।
वर्ष 2014 में सत्ता में आने के बाद पीएम मोदी ने अजित डोभाल को पहली बार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया था और इसके बाद 2019 में उन्हें एक बार फिर से पांच साल के लिए इस पद पर नियुक्ति दी गई थी। पीएम मोदी को अजित डोभाल और उनकी काबिलियत पर जबर्दस्त भरोसा है। और यह भरोसा इसलिए भी है क्योंकि बीते एक दशक में डोभाल ने मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। वर्ष 2014 में, अजीत डोभाल ने इराक के तिकरित में एक अस्पताल में फंसी 46 भारतीय नर्सों की रिहाई सुनिश्चित की। वे एक शीर्ष-गुप्त मिशन पर गए और 25 जून, 2014 को इराक गए ताकि जमीनी स्थिति को समझ सकें। इसके बाद 5 जुलाई 2014 को नर्सों को भारत वापस लाया गया। भारत की तरफ से सितंबर 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और फरवरी 2019 में पाकिस्तान में सीमा पार बालाकोट हवाई हमले डोभाल की देखरेख में ही किए गए थे। यही नहीं उन्होंने डोकलाम गतिरोध को समाप्त करने में भी मदद की। इसके अलावा पूर्वोत्तर में उग्रवाद से निपटने के लिए निर्णायक कदम उठाए। वर्ष 1945 में उत्तराखंड में जन्मे अजित डोभाल भारत के सबसे कम उम्र के पुलिस अधिकारी हैं जिन्हें कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया था। यह सैन्य कर्मियों के लिए एक वीरता पुरस्कार है।
उल्लेखनीय है कि भारत का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (National Security Advisor) भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) का वरिष्ठ अधिकारी होता है। एनएसए की नियुक्ति कैबिनेट की नियुक्ति समिति द्वारा की जाती है। इस समिति की अध्यक्षता भारत के प्रधानमंत्री करते हैं। यह राष्ट्रीय सुरक्षा नीति और रणनीतिक मामलों पर भारत के प्रधानमंत्री के मुख्य सलाहकार के रूप में कार्य करते हैं। ये भारत के प्रधानमंत्री के विवेक पर काम करते हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सभी खुफिया रिपोर्ट प्राप्त करता है और उन्हें प्रधानमंत्री के समक्ष प्रस्तुत करता है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) को भारत के आंतरिक और बाहरी खतरों और अवसरों से संबंधित सभी मामलों पर नियमित रूप से प्रधानमंत्री को सलाह देने का काम सौंपा गया है। एनएसए के कार्य पोर्टफोलियो में प्रधानमंत्री की ओर से रणनीतिक और संवेदनशील मुद्दों की देखरेख करना शामिल है। भारत का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार चीन के साथ प्रधानमंत्री के विशेष वार्ताकार और सुरक्षा मामलों पर पाकिस्तान और इजराइल के दूत के रूप में भी कार्य करता है। भारत सरकार ने 2019 में एनएसए अजित डोभाल को एनएसए बनाने के साथ ही कैबिनेट रैंक दिया था।
1998 में हुई थी एनएसए की स्थापना
भारत में 1998 में इस पद की स्थापना की गई थी। इसके बाद से से नियुक्त सभी एनएसए भारतीय विदेश सेवा या भारतीय पुलिस सेवा से संबंधित हैं। अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान ब्रजेश मिश्रा पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार थे। वे 22 मई 2004 तक इस पद पर रहे। इसके बाद मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में आईएफएस अधिकारी जेएन दीक्षित को यह जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके बाद 3 जनवरी 2005 से 23 जनवरी 2010 तक आईपीएस एमके नारायणन इस पद पर रहे। उनके बाद 24 जनवरी 2010 से 28 मई 2014 तक आईएफएस शिवशंकर मेनन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे। साल 2014 में मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद अजित डोभाल को इस पद पर नियुक्त किया गया।