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राफेल-एम: चीनी लड़ाकू विमानों से मीलों आगे

राफेल एम (मरीन) भारतीय वायुसेना में शामिल राफेल लड़ाकू विमानों का नौसैनिक वेरिएंट है। इसे खास तौर पर एयरक्राफ्ट कैरियर से ऑपरेट करने के लिए डिजाइन किया गया है। भारत इस समय अपनी नौसैनिक शक्ति को बढ़ाने के लिए फ्रांस से राफेल एम को खरीदने की प्रक्रिया में है।
भारतीय नौसेना अपने नए विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के लिए फ्रांसीसी राफेल-एम (मरीन) लड़ाकू विमान को खरीदने जा रही है। राफेल एम (मरीन) फाइटर जेट्स के शामिल होने से भारतीय नौसेना की क्षमताओं और हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) की रणनीतिक गतिशीलता पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। राफेल एम (मरीन) राफेल लड़ाकू विमान का एक नेवल वेरिएंट है, जो भारतीय नौसेना की परिचालन क्षमता और युद्ध की तस्वीर को बदल सकता है। इतना ही नहीं, अपने विस्तारित रेंज और ज्यादा हथियारों के साथ उड़ान भरने की इसकी क्षमता दुश्मनों के दिलों में खौफ पैदा करने के लिए पर्याप्त है।
भारतीय वायु सेना के रिटायर्ड ग्रुप कैप्टन एमजे ऑगस्टीन विनोद (वीएसएम) ने यूरेशियन टाइम्स में लिखा कि राफेल एम अत्याधुनिक एवियोनिक्स से लैस है, जिसमें थेल्स आरबीई2 एए एईएसए रडार और स्पेक्ट्रा इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली शामिल है, जिसे मेटियोर बीवीआरएएएम (दृश्य सीमा से परे हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल) के साथ जोड़ा गया है। ये उन्नत प्रणालिया बेहतर परिस्थितिजन्य जागरूकता और युद्ध प्रभावशीलता सुनिश्चित करती हैं, जिससे भारतीय नौसेना हवाई श्रेष्ठता स्थापित करने, सटीक हमले करने और हवाई रक्षा, जमीनी समर्थन और समुद्री हमलों जैसे विविध मिशनों को पूरा करने में सक्षम होती है।
एयरक्राफ्ट कैरियर से संचालन भी बेहद आसान
राफेल एम को खास तौर पर एयरक्राफ्ट कैरियर ऑपरेशन के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें एक शक्तिशाली लैंडिंग गियर लगा हुआ है, जो एक छोटे रनवे पर तेजी से उतरने के बावजूद जल्द खराब नहीं होता है। इसके अलावा इसमें अरेस्ट लैंडिंग के लिए टेल हुक और एयरक्राफ्ट कैरियर पर पार्किंग के लिए फोल्डेबल विंग भी है। ये विशेषताएं इसे आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य पर तैनाती के लिए आदर्श बनाती हैं, जिससे इंडियन ओशन रीजन में हमारी सैन्य शक्ति मेंउल्लेखनीय वृद्धि होने के आसार हैं।
समुद्री सुरक्षा में बढ़ोत्तरी करेगा राफेल एम
राफेल एम के उन्नत सेंसर और नेटवर्क-सेंट्रिक युद्ध क्षमताएं समुद्री डोमेन जागरूकता को बढ़ाती हैं। यह क्षमता विशाल समुद्री क्षेत्रों की निगरानी, संभावित खतरों की पहचान और ट्रैकिंग और संचार की समुद्री लाइनों (ैस्व्ब्े) की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
भारत की रणनीतिक पहुंच बढ़ाएगा यह विमान
राफेल एम की लंबी दूरी कर मार करने की क्षमता, एरियल रिफ्यूलिंग के साथ मिलकर भारतीय नौसेना की ऑपरेशनल पहुंच का विस्तार करती हैं। यह रणनीतिक पहुंच संभावित विरोधियों के लिए एक दुर्जेय निवारक के रूप में कार्य करती है और पूरे हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की शक्ति प्रक्षेपण की क्षमता को बढ़ाती है।
मलक्का, सुंडा और लोम्बोक जलडमरूमध्य पर प्रभुत्व
मलक्का, सुंडा और लोम्बोक जलडमरूमध्य का रणनीतिक महत्व सर्वोपरि है, क्योंकि ये चोकपॉइंट वैश्विक व्यापार और ऊर्जा आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण हैं, विशेष रूप से चीन के लिए। राफेल एम के शामिल होने से भारत को इन महत्वपूर्ण जलमार्गों में निर्णायक लाभ मिलता है। दुनिया के सबसे व्यस्त शिपिंग लेन में से एक के रूप में, मलक्का जलडमरूमध्य मध्य पूर्व और अफ्रीका से चीन के ऊर्जा आयात के लिए महत्वपूर्ण है। राफेल एम की क्षमताएं भारतीय नौसेना को इस महत्वपूर्ण चोकपॉइंट की प्रभावी रूप से निगरानी और नियंत्रण करने की अनुमति देती हैं।
चीन की हेकड़ी होगी गुम
बढ़ी हुई खुफिया, निगरानी और टोही क्षमताएं समुद्री यातायात की वास्तविक समय पर ट्रैकिंग को सक्षम बनाती हैं, यह सुनिश्चित करती हैं कि किसी भी संभावित खतरे या अवैध गतिविधियों का तुरंत पता लगाया जाए और उनका समाधान किया जाए। मलक्का जलडमरूमध्य के वैकल्पिक मार्ग सुंडा और लोम्बोक जलडमरूमध्य भी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं। राफेल एम की अग्रिम तैनात वाहकों से संचालन करने की क्षमता भारतीय नौसेना को इन क्षेत्रों में शक्ति प्रक्षेपण के लिए लचीलापन प्रदान करती है। विमान की उन्नत स्ट्राइक क्षमताएं, जिसमें एक्सोसेट ।ड39 एंटी-शिप मिसाइल शामिल है, भारतीय नौसेना को संभावित समुद्री खतरों को बेअसर करने और इन महत्वपूर्ण मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में सक्षम बनाती हैं।

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