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भारत के पूर्व विदेश मंत्री कुंवर नटवर सिंह का निधन, गुरुग्राम के मेदांता हॉस्पिटल में ली अंतिम सांस

भारत के पूर्व विदेश मंत्री और कांग्रेस नेता कुंवर नटवर सिंह का 95 वर्ष की अवस्था में शनिवार, 10 अगस्त की रात को निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार थे और गुरुग्राम के मेदांता हॉस्पिटल में भर्ती थे। यहां उनका पिछले दो हफ्तों से इलाज चल रहा था.यह जानकारी उनके परिवारिक सूत्रों ने दी।
बीते माह यानी जुलाई की 31 तारीख को उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गयी थी जिस वजह से उन्हें मेदांता हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। वहीं पर उपचार के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। नटवर सिंह रिटायर्ड आईएफएस (भारतीय विदेश सेवा) के अफसर भी रह चुके हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में कई महत्वपूर्ण पदों पर जिम्मेदारियां निभाई थीं।
पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह राजस्थान के भरतपुर जिले के जघीना गांव के मूल निवासी थे। इनका जन्म 16 मई 1929 में हुआ। नटवर सिंह अपने पिता की चौथी संतान थे, उनकी एजुकेशन मेयो कॉलेज अजमेर और ग्वालियर के सिंधिया स्कूल में हुई। उन्होंने उच्च शिक्षा कैंब्रिज विश्वविद्यालय के कॉपर्स क्रिस्टी कॉलेज से की। इस दौरान नटवर सिंह का भारतीय विदेश सेवा में चयन हुआ, जहां उन्होंने चीन, न्यूयॉर्क, पोलैंड, इंग्लैंड, पाकिस्तान, जैमिका, जांबिया समेत देशों में अपनी सेवाएं दी। इसके बाद 1984 में उन्होंने आईएफएस सेवा से इस्तीफा दे दिया और राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। उन्होंने 1984 में लोकसभा का चुनाव जीता और राज्य मंत्री बने।
काफी चर्चित रही थी नटवर सिंह की आत्मकथा ‘वन लाइफ इस नॉट इनफ’
पूर्व मंत्री कुंवर नटवर सिंह अपनी आत्मकथा को लेकर जमकर चर्चा में रहे। उनकी अगस्त 2014 में आई आत्मकथा ‘वन लाइफ इस नॉट इनफ’ ने भारत की सियासत में तहलका सा मचा दिया था। किताब में 2004 का जिक्र करते हुए बताया था कि सोनिया गांधी प्रधानमंत्री क्यों नहीं बनी थी। नटवर सिंह ने अपनी किताब में लिखा है कि दो हजार चार में सोनिया गांधी, पुत्र राहुल गांधी के दबाव में प्रधानमंत्री नहीं बनी थी। इसके अलावा नटवर सिंह ने अपनी किताब में यह भी लिखा है कि यूपीए शासनकाल के दौरान में अहम फैसले सोनिया की मंजूरी के बिना नहीं होते थे।
नटवर सिंह का यह रहा राजनीतिक सफर
नटवर सिंह वर्ष 1986 में विदेश मामलों के राज्य मंत्री बने। इसके बाद 1989 में आम चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद भी विदेश राज्य मंत्री बने रहे। वर्ष 1991 में पीवी नरसिम्हाराव के प्रधानमंत्री बनने के बाद नटवर सिंह ने एनडी तिवारी और अर्जुन सिंह के साथ कांग्रेस छोड़ दी और नई पार्टी अखिल भारतीय इंदिरा कांग्रेस का गठन किया। नटवर सिंह वर्ष 1998 में अन्य दोनों नेताओं के साथ वापस कांग्रेस पार्टी में लौट आए। इसके बाद वर्ष 1998 में नटवर सिंह भरतपुर से लोकसभा चुनाव जीता। वर्ष 2002 में राज्यसभा के लिए चुने गए और वर्ष 2004 में विदेश मंत्री नियुक्त किए गए।

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