खेलदिल्ली

अर्जुन पुरस्कार प्राप्त भारतीय क्रिकेट के ‘गब्बर’ ने संन्यास लिया..!

लंबे समय भारतीय क्रिकेट को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित करने वाले ‘गब्बर’ के नाम से मशहूर रहे शिखर धवन ने संन्यास की घोषणा कर दी है। वो बांग्लादेश के विरुद्ध दिसंबर 2022 से ही टीम इंडिया से अलग थे। उन्होंने अपने संन्यास की घोषणा सोशल मीडिया के एक्स अकाउंट पर एक भावुक पोस्ट के जरिये दी। उन्होंने कहा, मैं अपने क्रिकेट के सफ़र का यह अध्याय समाप्त कर रहा हूं. तो मैं अपने साथ अनगिनत यादें लेकर जा रहा हूं. प्यार और समर्थन के लिए धन्यवाद! जय हिंद!


बाएं हाथ से खेलने वाले शिखर धवन की बल्ले से गेंट को पीटने वाली किसे याद नहीं है। फील्डिंग के दौरान उनकी उस्तादी..कौन भूल सकता है। उनका बाउंड्री लाइन कैच लेने के बाद पहलवानों की तरह अपनी जंघा पर हाथ मारकर जश्न मनाने का अनूठे अंदाज को शायद हर क्रिकेट प्रेमी बरसों बरस याद रखेगा। क्रिकेट के मैदान पर उनके इसी दादागिरी के अंदाज के कारण उन्हें गब्बर के नाम से खूब प्रसिद्धि मिली। शिखर धवन ने आज वीडियो पोस्ट कर कहा,” नमस्कार आज मैं एक ऐसे मोड़ पर खड़ा हूं जहां से पीछे देखने पर सिर्फ यादें नजर आती है। मेरी हमेशा से एक ही मंजिल थी कि मैं इंडिया के लिए खेलूं. जो कि हुआ भी। जिसके लिए मैं कई लोगों का शुक्रगुजार हूं। सबसे पहले मेरी फैमिली, मेरे बचपन के कोच जिनके अंडर मैंने क्रिकेट सीखी। मैं इंटरनेशनल क्रिकेट और घरेलू क्रिकेट को अलविदा कह रहा हूं, मैं बीसीसीआई का भी बहुत शुक्रगुजार हूं. जिन्होंने मुझे मौका दिया।
वर्ष 2010 में धवन को भारत की तरफ से ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे से इंटरनेशनल डेब्यू करने का मौका मिला। साल 2011 में उन्होंने टी20 जबकि 2013 में टेस्ट क्रिकेट मे डेब्यू किया। धवन के करियर में सबसे अच्छा साल 2013 रहा. जब उन्होंने 26 वनडे मैचों में 1162 रन ठोक डाले। इसी साल धवन ने चैंपियंस ट्रॉफी में 5 मैच में 363 ठोके थे। भारत इस साल तीसरी बार आईसीसी इवेंट का चैंपियन बना था। इसके बाद धवन को टीम में लगातार मौके मिलते रहे।
धवन ने भारत की तरफ से 167 वनडे, 68 टी20 और 34 टेस्ट मैच खेले हैं। टेस्ट में 7 शतक के साथ उनके नाम 2315 हैं जबकि वनडे में 17 शतकीय पारी की बदौलत 6782 रन बनाए हैं। टी20 में धवन ने 11 हाफ सेंचुरी जड़ते हुए 1759 रन बनाए हैं। धवन ने अपना आखिरी इंटरनेशनल मैच 10 दिसंबर 2022 को बांग्लादेश के खिलाफ ही खेला था। इसके बाद से उन्हें टीम इंडिया में कभी मौका नहीं मिला।

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